आलेख : 2024 में और बढ़ेगी योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 30 दिसंबर 2023

आलेख : 2024 में और बढ़ेगी योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता

तीखे तेवर, सीधी बात या यू कहें बिना लाग लपेट के जनहित के लिए एक के बाद एक ताबड़तोड़ लिए जा रहे फैसलें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता में चार चांद लगा रहे हैं। बात चाहे मुख्तार-अतीक जैसे दुर्दांत माफियायों के खिलाफ दिन-रात चलाएं गए बुलडोजर अभियान की हो या कुंभ से लेकर श्रीराम मंदिर निर्माण सहित यूपी के मूलभुत व आधारभूत विकास की हो या फिल्म इंडस्ट्री लगाने की हो, सबकुछ जनता के मुताबिक हो रहे हैं। लेकिन ज्योतिष विदों का मानना है कि की नए साल मे कुंडली बना रहे हैं कई योग उनके पक्ष में है। मतलब साफ हे तमाम संघर्षों के बावजूद योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा और सम्मान में निरंतर वृद्धि होगी। या यूं कहे 2017 से 2023 के मुकाबले 2024 में योगी की लोकप्रियता और बढ़ेगी। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या योगी आदित्यनाथ के ‘यूपी मॉडल’ में बीजेपी को दिखता है भविष्य? योगी आदित्यनाथ की महाराथ सबसे बड़ी इसी में है कि ये जाति समीकरणों को चकनाचूर करते हुए 80- 20 कर देते हैं.

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बेशक, बात चाहे निकाय चुनाव हो या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में ताबड़तोड़ की गयी चुनावी रैलियों की हो माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर संस्कृति हो या पूरे यूपी में समानभाव से किए जा रहे विकास कार्य हो, सबकुछ जनता के मुताबिक हो रहा है। मतलब साफ है अभी भी योगी मैजिक खत्म नहीं हुआ है. उनके करिश्मे की बदौलत बीजेपी 2024 में भी कमल लिखाने में सफल होने वाली है। योगी की मानें तो पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटें जीतेगी। देखा जाएं तोयूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का रुतबा, देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में पहली पसंद है। कानून व्यवस्था को लेकर किए गए फैसलों की वजह से उन्हें लोगों ने ज्यादा पसंद किया है. कानून व्यवस्था के साथ हिन्दुत्व का एजेंडे को लेकर उन्होंने नया मॉडल बनाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस और मजबूत कानून व्यवस्था को लेकर जाने जाते हैं. अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर तो उनकी पहचान बन चुका है. सीएम योगी का यही स्टाइल अब लोगों को खूब पसंद आ रहा है. उनका लोकप्रियता का जलवा ये है कि वो देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए हैं। तमाम सर्वे रिपोर्टों ने भी माना है कि सीएम योगी देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री की सूची में टॉप पर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह योगी के कानून व्यवस्था को लेकर किए गए फैसले है। उन्होंने कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रुख और हिन्दुत्व का एजेंडा साथ लेकर चलने के साथ एक नया मॉडल तैयार किया है. जो लोगों को पसंद आ रहा है. लोगों का मानना है कि जहां वो अपराधियों पर लगाम कसने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटते हैं तो वहीं दूसरी तरफ यूपी में निवेश बढ़ाने के लिए भी उनके द्वारा जो प्रयास किए जा रहे हैं।


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ट्विटर पर उनके फॉलोवर्स की संख्या 3.5 करोड़ पार हो चुकी है। हाल ही में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर सीएम योगी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ’माय योगी आदित्यनाथ’ ने 25 मिलियन यानी 2.5 करोड़ फॉलोवर्स के आंकड़े को पार कर लिया है. उनकी लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हो रहा है. सोशल मीडिया पर उन्होंने लोकप्रियता का नया कीर्तिमान स्थापित किया है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर सीएम योगी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ’माय योगी आदित्यनाथ’ ने 25 मिलियन यानी 2.5 करोड़ फॉलोवर्स के आंकड़े को पार कर लिया. यह वो आंकड़ा है, जहां यूपी ही नहीं देश के बड़े-बड़े नेता और सेलेब्रिटी अब तक नहीं पहुंच सके हैं. ट्विटर पर इस संख्या को पार करने वाले वह पहले सीएम भी हैं. सीएम योगी ने यह आंकड़ा 8 वर्षो के अंतराल में प्राप्त किया है. उन्होंने सितंबर 2015 में ट्विटर पर अपने आधिकारिक हैंडल की शुरुआत की थी. चाहे वो गोकशी रोकने का ऑर्डिनेंस हो, या एनकाउंटर और बुलडोज़र चलना हो. जब सीएए को लेकर विरोध हुआ था तब उस पर जबरदस्त क्रैक डाउन हुआ. यह अलग बात है कि कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि वो खास लोगों पर कार्रवाई करते हैं लेकिन वो उनके एजेंडे का हिस्सा है. योगी आदित्यनाथ के यूपी मॉडल में एक और ख़ास बात है जो बीजेपी शासित किसी और राज्य में दिखाई नहीं देती. आलोचक उन्हें एक ख़ास जाति का समर्थक बताते हैं लेकिन ये आरोप का उनके राजनीतिक ग्राफ पर असर होता नहीं दिखता. इसकी वजह है, उनका भगवा परिधान. वो पीठाधीश्वर हैं गोरक्षनाथ पीठ के. वो भले ही सवर्ण हैं लेकिन उस पीठ की फॉलोइंग पिछड़ों में काफी है. दूसरे भगवा वेश की वजह से पिछड़े नेतृत्व की बात डाइल्यूट हो जाती है. फिर यूपी में अब मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह के कद का कोई पिछड़ा नेता भी नहीं है. मायावती का दलितों में आधार घट रहा है. यूपी में रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान से ही ओबीसी और पिछड़ों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी के साथ जुड़ा हुआ है. बीजेपी उन्हें पद भी देती है,


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बता दें, उस वक्त योगी सांसद थे. 2017 में यूपी की सत्ता संभालने के बाद उन्होंने प्रदेश में विकास और सुशासन के साथ ही कानून व्यवस्था में सुधार की लकीर खींच कर दिखाया, उसके बाद उनकी लोकप्रियता में गुणात्मक वृद्धि देखी गई. ट्विटर पर 2.5 करोड़ फॉलोवर्स का आंकड़ा छूने के साथ ही सीएम योगी उस क्लब का हिस्सा बन गए, जिसमें पीएम मोदी और अमित शाह जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं.सीएम योगी ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन भी लोगों से संवाद करते रहते हैं. वह ट्विटर समेत फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्वदेशी सोशल मीडिया एप कू पर काफी सक्रिय हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ सोशल मीडिया एक्स पर देश के दूसरे सबसे चर्चित राजनेता है। सोशल मीडिया हैशटैग ट्रैकिंग टूल ’ट्वीट बाइंडर’ की ताजा रैंकिंग जारी की है। लोकप्रियता के मामले में सीएम योगी राजनेताओं ही नहीं अन्य बड़ी हस्तियों से भी कहीं आगे हैं। पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, अमेरिका तक उनकी चर्चा है। ट्वीट बाइंडर की ओर से जारी ताजा रैंकिंग के अनुसार अक्टूबर 2023 में पीएम मोदी के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जिस राजनेता के अकाउंट की सर्वाधिक चर्चा हुई है वो सीएम योगी आदित्यनाथ हैं। ट्वीट बाइंडर की इस रैंकिंग को भारत में एक्स यूजर्स द्वारा 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक पोस्ट की संख्या के आधार पर तैयार की है। उल्लेखनीय है कि ट्वीट बाइंडर एक हैशटैग एनालिटिक्स और फॉलोअर ट्रैकिंग टूल है। यह ट्विटर हैशटैग एनालिटिक्स और ट्विटर मॉनिटरिंग के लिए डिजाइन किया गया है। लोकप्रियता के मामले में सीएम योगी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी से कहीं आगे हैं।


देश-विदेशों में भी योगी की धूम

अपनी लोक कल्याणकारी नीतियों, अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की शैली के चलते प्रदेश ही नहीं बल्कि देश और देश की सीमाओं को लांघते हुए वैश्विक पटल पर सीएम योगी की पहुंच बढ़ती जा रही है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, अमेरिका और इंग्लैंड तक सीएम योगी के नाम की धूम है। देश के पांच राज्यों में चल रहे विधान सभा चुनाव प्रचार में योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री मोदी के बाद सर्वाधिक डिमांडिंग शख्सियत हैं।


योगी की साख

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भाजपा को साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला. करीब 15 साल बाद बीजेपी ने सत्ता में वापसी की थी. सरकार का मुखिया कौन होगा यानी मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस सवाल के जवाब में कई नाम सामने थे. लेकिन, फ़ाइनल मुहर लगी योगी आदित्यनाथ के नाम पर. बहुत से लोगों के लिए ये फ़ैसला एक ’सरप्राइज़’ था. तब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह ने भी कुछ साल पहले इसका ज़िक्र किया था, “जब योगी जी को मुख्यमंत्री बनाया तो किसी को कल्पना नहीं थी कि योगी जी मुख्यमंत्री बनेंगे. ढेर सारे लोगों के फ़ोन आए कि योगी जी ने कभी म्युनसपिलिटी भी नहीं चलाई. वास्तविकता थी. नहीं चलाई थी. योगी जी कभी किसी सरकार में मंत्री नहीं रहे.“ अमित शाह के मुताबिक उस वक़्त उनसे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ अलग सलाह दी गई थी, “योगी जी संन्यासी हैं, पीठाधीश हैं और इतने बड़े प्रदेश का आप उनको मुख्यमंत्री बना रहे हो.“ लेकिन, सात साल बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई है. अब योगी आदित्यनाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी तलाशने वालों की संख्या बढ़ती नज़र आ रही है. ऐसे लोगों में सिर्फ़ योगी आदित्यनाथ के उत्साही समर्थक नहीं हैं. बीजेपी के कई कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक भी दावा करते हैं कि योगी का कद पार्टी में अपने समकालीन नेताओं से काफी ऊंचा हो गया है. योगी जी का स्टेटस सेकेंड अमंग इक्वल्स यानी पार्टी में दूसरे नंबर का हो गया है. उन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया है.


पूरे देश में योगी मॉडल की मांग

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मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के पहले योगी आदित्यनाथ पांच बार लोकसभा के सांसद चुने जा चुके थे लेकिन तब उनका प्रभाव क्षेत्र सीमित था. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के कामकाज ने जिस यूपी मॉडल को खड़ा किया, उसकी चर्चा अब उसी तरह होती है जैसे साल 2014 के पहले बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल का ज़िक्र करते थे. मध्य प्रदेश और कर्नाटक (जब बीजेपी की सरकार थी) भी यूपी मॉडल का काफी ज़िक्र करते रहे हैं.“ पार्टी को चुनाव दर चुनाव मिलने वाली कामयाबी की वजह से हर तरफ योगी आदित्यनाथ के ’यूपी मॉडल’ की बात हो रही है. देखा जाएं तो “किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन रिजल्ट से होता है. योगी आदित्यनाथ के साथ भी यही बात है. वो 2017 में सत्ता में आए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अच्छा रिजल्ट दिया. तब सपा, बसपा और आरएलडी का गठबंधन था. उस गठबंधन के मुक़ाबले 64 सीट जीतना (सहयोगियों के साथ) बड़ी उपलब्धि थी. तब लोगों को लग रहा था कि बीजेपी का सफाया हो जाएगा.“ लेकिन 2022 की प्रचंड जीत के साथ दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर योगी ने साबित कर दिया कि यूपी का विकास वे ही कर सकते है। निकाय चुनाव में बीजेपी ने सारे बड़े शहरों में क्लीन स्वीप किया. ये रिपोर्ट कार्ड है उनकी लोकप्रियता बताने के लिए काफी है। आज की तारीख़ में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ दूसरे सभी नेताओं से आगे हैं. जहां तक यूपी का सवाल है यहां नरेंद्र मोदी से भी ज़्यादा योगी आदित्यनाथ का असर है. नरेंद्र मोदी (2024 में) जहां फिर से पहुंचना चाहते हैं, उसके लिए यूपी ज़रूरी है और योगी भी. इसमें कोई शक नहीं है कि योगी आदित्यनाथ ने अपने आपको जिस तरह से आगे बढ़ाया है, वो काबिले तारीफ है.“


2024 की चुनौती

विपक्ष को हाशिए पर धकेलने वाले योगी आदित्यनाथ की अगली परीक्षा साल 2024 में लोकसभा के आम चुनाव के दौरान होगी. तब नरेंद्र मोदी और बीजेपी के साथ विपक्षी दलों के लिए बहुत कुछ दांव पर होगा। लेकिन सच यह है कि योगी आदित्यनाथ ने सपोर्ट बेस सॉलिड बना लिया है. विपक्ष बिल्कुल कमज़ोर है. अखिलेश यादव सॉफ्ट हिंदुत्व प्ले करने लगे हैं. ये भी योगी के हक में जाता है, जब आप दूसरे की पिच पर खेलेंगे तो कैसे जीतेंगे. मतलब साफ है यूपी में कोई बड़ी चुनौती बीजेपी के सामने नहीं है. 2019 का आपको ध्यान है, तब सपा बसपा और आरएलडी का गठबंधन था लेकिन बीजेपी बहुत आगे रही. हालांकि, उन्हें ये नहीं लगता कि योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई चुनौती बन सकते हैं.


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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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