सीहोर : संकल्प वृद्धाश्रम में दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

सीहोर : संकल्प वृद्धाश्रम में दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव

  • सुख-शांति और सफलता चाहते हैं तो काम अधूरे मन और भ्रम के साथ न करें : पंडित श्री त्रिवेदी

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सीहोर। पुण्य और पाप कर्म दोनों ही बांधते है। एक लोहे की जंजीर है तो एक सोने की। लोहे की जंजीर से छुटकारा पाने का मन भी करता है। लेकिन अगर जंजीर सोने की हो, तो छूटने का मन नहीं करेगा। पाप कर्म बंधन है तो पुण्यकर्म भी बंधन है। जब तुम सुख में होते हो तो इसमें एक इच्छा होती है। फिर मन करता है कि अब यह परिस्थिति बनी रहे। हमेशा सुख बना रहे। यह कामना जब मन में उत्पन्न होती है तो हम भूल जाते हैं कि परिस्थिति परिवर्तनशील होती है। कोई भी परिस्थिति कायम नहीं रहती। कभी राजा, कभी रंक, कभी बहुत कुछ, कभी कुछ भी नहीं। क्या समुद्र में रहकर कोई जहाज एकदम शांत रह सकता है, जब समुद्र के पानी में ही लहरें उठ रही हों, तो भला जहाज कैसे शांत रह सकता है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के दौरान उज्जैन स्थित शनि मंदिर के पुजारी पंडित सचिन त्रिवेदी ने कहे। गीता जयंती महोत्सव के पहले दिन आश्रम के संचालक राहुल सिंह, जिला संस्कार मंच के उपाध्यक्ष जितेन्द्र तिवारी, जितेन्द्र साहु, मनोज दीक्षित मामा सहित अन्य ने गीता जयंती की पूर्व संध्या पर यहां पर प्रवचन की शुरूआत की। शनिवार की सुबह महोत्सव का समापन किया जाएगा।


इस मौके पर पंडित श्री त्रिवेदी ने कहा कि 23 दिसंबर को सूर्योदय के समय एकादशी तिथि रहेगी, इस वजह से 23 को ये व्रत करना और गीता जयंती मनाना ज्यादा शुभ रहेगा। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्योदय के समय जो तिथि रहती है, वही पूरे दिन मान्य होती है। गीता जयंती पर श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना चाहिए या सुनना चाहिए। श्रीकृष्ण की छोटी-छोटी कथाएं पढ़-सुन सकते हैं। श्रीकृष्ण की कथाओं में सुख-शांति और सफलता पाने के सूत्र छिपे होते हैं। इन सूत्रों को जीवन में उतारने से हमारी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं। यहां जानिए श्रीकृष्ण और अर्जुन का एक ऐसा किस्सा, जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भ्रम से बचने की सलाह दी है। महाभारत युद्ध की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। कुरुक्षेत्र में कौरव और पांडव पक्ष की सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं। संख्या और शक्ति के हिसाब से कौरवों की सेना ज्यादा अच्छी दिख रही थी। जब अर्जुन ने कौरव पक्ष में अपने परिवार, कुटुंब के लोगों को देखा तो वे भ्रमित हो गए। अर्जुन ने अपने सारथी यानी श्रीकृष्ण से रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाने के लिए कहा। श्रीकृष्ण रथ लोग युद्ध मैदान के बीच में ले गए। वहां पहुंचकर अर्जुन ने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे यौद्धाओं को देखा। इन सभी को देखकर अर्जुन ने युद्ध करने का विचार ही छोड़ दिया और अपने धनुष-बाण नीचे रख दिए। अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि मेरे कुटुंब के सभी लोग मेरे सामने खड़े हैं, मैं उनसे युद्ध नहीं कर सकता। श्रीकृष्ण समझ गए कि अर्जुन भ्रम में फंस गए हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। भगवान ने समझाया कि जब लक्ष्य बड़ा हो तो सभी बातें चल सकती हैं, लेकिन भ्रम नहीं चल सकता है। तुम्हें अपने सारे भ्रम छोडक़र सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए।

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