विशेष : तमाम अलर्टो के बावजूद बार-बार क्यों सुरक्षा में चूक? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

विशेष : तमाम अलर्टो के बावजूद बार-बार क्यों सुरक्षा में चूक?

लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान सुरक्षा में चूक की घटना किसी भी हाल में क्षम्य नहीं हो सकती। खासतौर से तब जब पग-पग पर सुरक्षा जवान तैनात हो और मामला देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद का हो। थ्रीलेयर की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताकर जिस तरह दो युवक विजिटर गैलरी से नीचे कूदकर सदन में आ गए और गैस उत्सर्जित करने वाली सामग्री फेंकी, इसकी गंभीरता किसी बड़ी घटना की ओर इसारा करती है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है आखिर ये लोग कौन थे, इनका इरादा क्या था, कैसे सदन की सुरक्षा में सेंध लग गई, खुफिया एजेंसियों और पुलिस के पास इनपुट होने के बावजूद ये घटना कैसे हुई है? खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने दी थी संसद पर हमले की धमकी, फिर लोकसभा में कैसे हो गई इतनी बड़ी सुरक्षा चूक? ऐसे तमाम सवाल समाने जिनके जवाब सरकार को देनी होगी। अन्य घटनाओं की तरह इस मामले में भी लापापोती व टालमटोल की गयी तो किसी बड़ी वारदात या यूं कहे हैं. किसी बड़ी घटना से इंकार किया जा सकता

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13 दिसंबर, 2001. पुरानी संसद हुए आतंकी हमले की खौफनाक याद आज भी हर किसी के जेहन में जिंदा है. इस दिन 5 आतंकियों ने संसद में हमला किया था, जिसमें दिल्ली पुलिस के 5 जवानों सहित 9 लोगों की मौत हो गई थी. इस आतंकी वारदात के 22 साल बाद एक बार फिर संसद की सुरक्षा में एक बड़ी चूक सामने आई है. बुधवार को  लोकसभा में कार्रवाही के दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से नीचे कूद गए. इस दौरान संसद भवन में अफरा-तफरी मच गई. लोकसभा स्पीकर ने इस मामले के जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि खुफिय एजेंसियों और पुलिस के पास इनपुट होने के बावजूद ये घटना कैसे हुई है?


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आईबी ने दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियों को पहले इनपुट दे दिया था, ताकि इस तरह की घटना होने से रोका जा सके. इसके मद्देनजर संसद और आसपास की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई थी, लेकिन दो लोगों ने सुरक्षा चक्र तोड़ दिया. संसद में घुस गए. कुछ देर दर्शक दीर्घा में बैठने के बाद दोनों नीचे कूद गए. एक बेंच से दूसरे बेंच पर भागने लगे. इस दौरान एक शख्स ने अपने जूते से निकालकर पीले रंग की गैस स्प्रे कर दी. ऐसी ही घटना संसद के बाहर भी हुई. संसद में मौजूद सांसदों ने दोनों युवकों को पकड़ लिया. उन्होंने जमकर पीटने के बाद सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया. लोकसभा की कार्यवाही भी स्थगित कर दी गई. अब इन तमाम घटनाओं का दुखद उपसंहार देखने को मिल रहा है. इस गंभीर सुरक्षा चूक पर गंभीरता से विश्लेषण करने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. शायद तमाम सियासी दलों के राजनेताओं के लिए ये गंभीर सुरक्षा चूक नहीं बल्कि एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने का एक और अवसर है. जिन देशों में राष्ट्रीय नेताओं की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाता है वहां अब तक कितनों से इस्तीफा ले लिया गया होता. भारत में सुरक्षा के बारे में इतनी कम जागरुकता है कि इस परेशान करने वाले प्रकरण पर गंभीर बहस करने के बजाय हम एक दूसरे पर हावी होने के खेल में मशगूल हो गए हैं.


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फिरहाल, सुरक्षा चूक के मुद्दे पर भारतीय राजनीति के निरंतर गिरते स्तर को साफ तौर पर देखा जा सकता है. इस घटना के बाद जिस तरह से एक दूसरे पर उंगली उठाने का सिलसिला चल पड़ा है वो वाकई में चिंता का विषय है, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी शामिल है. निस्संदेह राजनीति और सुरक्षा दो अलग-अलग मुद्दे हैं और इन्हें अलग-अलग रखा जाना चाहिए, लेकिन देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में जो कुछ हुआ वह वास्तव में गंभीर चिंता का विषय है.सबसे पहले, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का साफ तौर पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा असर पड़ता है. वाकई, ऐसे परिदृश्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी जहां भारतीय गणराज्य के चार सौ से अध्कि सांसद जमा हो। हमें नहीं भूलना चाहिए, कुछ दिनों पहले खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने संसद हमले की धमकी थी। सप्ताहभर पहले खुफियां तंत्र को अलर्ट एडवाइजरी भी जारी की गयी थी। फिर लोकसभा में कैसे हो गई इतनी बड़ी सुरक्षा चूक? ये सवाल तो है ही इससे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या आतंकी कार्रवाइयों को रोकने के मामले में हमारी सुरक्षा एजेंसिया अब भी लापरवाह है? घुसपैठ का पता लगाने वाले सिस्टम लगाने फ्ेल्योर है। अफसोस इस बात का है कि तमाम सख्तियों के बावजू दसुरक्षा एजेंसिया क्यों नाकाम हो जाती है। यह अत्यंत चिंताजनक बात है।


खासतौर से तब जब मामला देश की सबसे बड़ी पंचायत की सुरक्षा को हो? तीसरा बड़ा सवाल तो यह है कि बार-बार यह कि बार-बार यह नौबत आती ही क्यों? क्या खुफिया और निगरानी एजेंसियां ने अपना दायित्व ठीक से नहीं निभाया? ये सारे सवाल अब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों एवं नीतिकारों के सामने आ खड़े हुए हैं। बहरहाल, यह तो साफ है कि जब तक सुरक्षा में लगे जवानों को पूरी छूट नहीं मिलेगी, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। यह अलग बात है कि पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली केन लेकर संसद भवन के अंदर और बाहर प्रदर्शन करने वाले लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार किए गए आरोपयिं में तीन पुरुष और एक महिला शामलि है. चारों लोग अलग-अलग शहर से हैं तो फिर यह दोनों कैसे एक-दूसरे को जानते थे। यह सबसे बड़ा सवाल है. अगर चारों एक दूसरे को जानते थे तो इनका मकसद क्या था? कितने समय पहले इन्होंने संसद में एंट्री की प्लानिंग की? क्या यह किसी संगठन के साथ जुड़े हुए हैं? बता दें, संसद की सुरक्षा चूक मामले में कुल 6 लोग थे शामिल, गुरुग्राम में रुके थे, जांच एजेंसियां इनके तलाश में जुटी है। जबकि पकड़े गए चारों आरोपियों की पहचान नीलम, अमोल शिंदे सागर शर्मा और मनोरंजन डी के रूप में की गई है. इसमें से नीलम हरयिणा के हिसार की रहने वाली है और इसकी उम्र 42 साल है. वहीं अमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला है और यह 25 वर्ष का है. वहीं सागर शर्मा और मनोरंजन डी कर्नाटक के रहने वाले है। पुलिस के मुताबिक संसद में स्मोक अटैक करने वाले चारों आरोपी एक दूसरे को पहले से जानते थे.


अचूक चौकसी, फिर आरोपी घूसे कैसे? 

बता दें, नए संसद भवन के उद्घाटन के समय अचूक सुरक्षा व्यवस्था का दावा किया गया था। आसमान से जमीन तक 24 घंटे ’बाज’ की नजर से नए संसद भवन की सुरक्षा होने की बात कही गई। संसद भवन में एंटी ड्रोन और एंटी मिसाइल सिस्टम लगाए गए थे। संसद परिसर के भीतर ड्रोन के माध्यम से किसी वाहन या व्यक्ति को टारगेट नहीं किया जा सकता, ऐसा सिस्टम भी तैयार किया गया है। नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी), एनएसजी, आईबी, आईटीबीपी और पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस व दिल्ली पुलिस के जवानों की संख्या में इजाफा किया गया है। नया संसद भवन, पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक



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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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