श्री मंडल ने बताया कि देश के भीतर एक सुंदर और खूबसूरत राज्य आठ महीने से नफरत की आग में धूं-धूं कर जल रहा है। राज्य की भाजपा सरकार राज्य के लोगों की सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। चुनावी समीकरण फिट करने के लिए रात भर में मुख्यमंत्री बदलने वाले मोदी जी इतनी नाकामियों के बाद भी मणिपुर के मुख्यमंत्री को न हटाकर, मणिपुर के लोगों को उनकी हालत पर छोड़ देते हैं। आज यहां के लोग घर बार छोड़कर पलायन करने को विवश हैं। जो पलायन नहीं कर रहा है, वह बेमौत उपद्रवियों के हाथों मारा जा रहा है। आज भाजपा शासित प्रदेशों में महिलाओं के प्रति अपराध, दलित और आदिवासियों के ऊपर हो रहे अपराध चरम पर पहुंच गए हैं। इन राज्यों में सत्ता समर्थित गुंडागर्दी और अपराध का नया तंत्र पैदा हो गया है, जो समाज के वंचित वर्गों पर अत्याचार कर रहा है। मगर क्या मजाल कि प्रधानमंत्री वंचितों के साथ हो रहे अत्याचारों पर एक शब्द भी बोलें और वैसे भी जो प्रधानमंत्री देश का मान बढ़ाने वाली बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर चुप रहते हैं, वो वंचितों पर क्या ही बोलेंगे।
आज देश में बेरोजगारी भयानक रुप धारण कर चुकी है। पढ़े लिखे और प्रतिभावान युवा नौकरी के लिए दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। देश के लाखों काबिल युवाओं के भीतर तनाव और अवसाद पैदा हो रहा है। ये निराश और हताश हैं। आज ये युवा सरकार से सवाल कर रहे हैं : मोदी की सालाना 2 करोड़ नौकरियां कहां गई? बीते दिनों IMF ने चेतावनी देते हुए कहा, भारत का कुल क़र्ज़, भारत की जीडीपी से ज्यादा होने वाला है। सरकार जनता से तरह-तरह के टैक्स भी वसूल रही है और विदेश से मनमाना कर्ज भी ले रही है। मगर इन पैसों से क्या किया जा रहा है, मोदी जी जनता को हिसाब नहीं बता रहे हैं। ये देश के साथ विश्वासघात है।
आज देश में महंगाई लोगों के सामने सबसे बड़ा संकट है। आम आदमी के परिवार का बजट पूरे तरह से नाकाम हो चुका है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण छोटे–मझौले उद्योगों पर ताला लग रहा है। ऐसे में आम आदमी के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि अपने परिवार को क्या खिलाएं और खुद क्या खाएं? देश के जिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए, नागरिकों के साथ खड़ा होना चाहिए। उन सभी मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी चुप हैं, दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। 140 करोड़ लोगों के इस लोकतंत्र में प्रधानमंत्री का देश के मुद्दों और जनता की समस्यायों से यूं कन्नी काटना देश का दुर्भाग्य नहीं तो और फिर क्या है।
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