वाराणसी : लघु फिल्म महोत्सव : हंसी-मजाक और सांस्कृतिक धरोहर का धमाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 2 दिसंबर 2023

वाराणसी : लघु फिल्म महोत्सव : हंसी-मजाक और सांस्कृतिक धरोहर का धमाल

  • युवा दर्शकों में लघु फिल्मों का दिखा क्रेज, दूसरे दिन भी सुबह से शाम तक छाई रहीं लघु फिल्में

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वाराणसी (सुरेश गांधी) : 6वें सांस्कृति पर्यटन के अन्तर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के दूसरा दिन शनिवार एक यादगार दिन बन गया। कमीशनरी सभागार में चल रहे लघु फिल्मों की श्रृंखला में स्क्रिन पर कभी भारतीय संस्कृति का तड़का, तो कभी रहन-सहन के साथ फैशन जलवा दिखा। मतलब साफ है लघु फिल्म महोत्सव में चल रहे स्क्रिन पर हंसी-मजाक और सांस्कृतिक धरोहर का भी धमाल होता है. खास यह है कि इंडियन इन्फोटेन्मेट कॉरपोरेशन के बैनर तले आयोजित इस महोत्सव में फिल्मों को देखने के लिए युवाओं की पूरी की पूरी जमात जुटी है। इस दौरान पर्यटन और संस्कृति से सम्बंधित फिल्मों की स्क्रीनिंग भी हुई. दर्शकों की जूरी को फेस्टीवल टीम ने ही सलेक्ट किया है। कॉलेज के विद्यार्थी गण जिस उत्साह से लगन से फिल्मों को देख रहे हैं, उससे तो लगता है कि वाकई कोई ऐसी फिल्म होगी जिसके विनिंग मार्क्स सेलीब्रिटी जूरी और स्टूडेंट्स ऑडियंस जूरी के मार्क्स से मैच करेंगे और ऐसे में उस एक ऑडियंस जूरी को और साथ ही उस संस्थान को फेस्टीवल ट्रॉफी से पुरुस्कृत किया जाएगा, वैसे सभी ऑडियंस जूरी को सर्टीफिकेट तो मिलेगा ही। लगभग सौ के करीब ये ऑडियंस जूरी का काऊंट है। दीर्घा युवा फिल्म प्रेमियों से भरा रहा। सुबह से ही पूरे दिन भर संस्कृति और पर्यटन सम्बंधि फिल्मों की स्क्रीनिंग का तांता लगा रहा।  न किसी सेलीब्रिटी का आगमन न सम्भाषण था, बस लघु फिल्में देखी गईं और फिल्मों की चर्चाएं रहीं। बनारसी युवाओं का फिल्मों के प्रति लगाव देखते ही बनता है, सच ये फिल्में भी मज़े मज़े में न जाने कितनी कहानियां कह जाती हैं। शोज़ के ब्रेक टाईम में चाय की चुस्की के साथ चर्चा करते हुए फेस्टीवल चेअरमैन देवेन्द्र खंडेलवाल जो सैकड़ों डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माता निर्देशक हैं, और अपने समय के प्रसिद्ध अभिनेता भी रहे हैं, वे बताते हैं फेस्टीवल के पिछले एडीशन्स में मात्र सात अवॉर्डस दिए जाते थे जो इस प्रकार हैं - लेकिन इस बार दो खास अवॉर्डस और जोड़े गये हैं दृ पहला है दर्शकों की सबसे पसंदीदा फिल्म और दूसरा है बेस्ट फिल्म इन यूपी चैलेंज कम्पीटीशन।


38 फिल्में दिखाई गयी 

दसरे दिन 93-94 फिल्मों की श्रंखला की लगभग 38 फिल्में दिखाई गईं। और प्रदर्शित इन फिल्मों में नेपाल से आई बाइसिकल हीरो जो एक जांबाज़ साईकिल चालक की कहानी कहती है जिसने 11 साल में सायकल पर दो लाख इक्कीस हज़ार कि.मी. का सफर तय किया और पूरी दुनिया में घूमा और न जाने कितने ही खतरों से खेलना पड़ा। इस फिल्म को खूब सराहना मिली। ब्राज़ील की - आईसलैंड, ऐन इंटरप्लैनेटरी जर्नी, सवा तीन मिनट की अवधि में ये फिल्म सुन्दर दृश्यों के साथ दर्शकों को आईसलैंड के रोमांचक पर्यटन स्थलों की सैर करा देती है। वहीं फ्रांस की एनीमेशन फिल्म दृ कारापथ ने भेड़चाल संस्कृति की अच्छी छवी बनाई कि कैसे एक केकड़े की खाल बदलती है तो अपने समुदाय में लीडर  बन जाता है। ईरान की सौदादे फिल्म, लड़के की चाहत में औरत को जो बच्चा पैदा करने के चक्कर में फंसना पड़ता है वह कितना कष्टकारी हो जाता है।


रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता की खूब हुई सराहना

एक फिल्मकार सुरजीत जिनकी फिल्म रोमांस सागा ऑफ राम एंड सीता, जिसने फिस्टीवल में खूब चर्चा बटोरी है, वे भी बाकी फिल्में देख रहे हैं तो पहले दिन ही उन्होंने स्पेन की एक फिल्म वाराणसी रोड देखी और तुरन्त स्पेन के उस फिल्म के निर्देशक को सोशल साईट लिंक्ड इन पर खोजा और फिल्म की बधाई दी कि फिल्म ने उन्हें अन्दर तक झिंझोड़ दिया। कितनी सफाई से वे भारत में फैली गंदगी की बुराई भी करते हैं और साथ ही साथ भारत की संस्कृति और पर्यटन स्थलों की तारीफ़ भी करते चलते हैं। उनकी इसी बात में अपनी बात जोड़ते हुए फेस्टीवल डिरेक्टर श्रीवास नायडू ने एक चर्चा छेड़ी कि वैसे तो बात एक दिन पुरानी हो गई लेकिन इस बात की महत्ता पुरनी नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि जो मास्टर क्लास सेशन फिल्म निर्देशक प्रकाश झा ने वाराणसी के एस्पीरेंट फिल्म मेकर्स के साथ की वह अपने आप में एक बड़ा ही खुशनुमा अनुभव रहा। प्रकाश झा जी ने बड़े ही मिलनसार तरीके से युवाओं से बात की अपने अनुभव साझा किए। बात डॉक्यूमेंट्री फिल्मों से छिड़ी किसी ने कहा कि ये तो बोरिंग होती हैं। तब उन्होंने बताया कि डॉक्यूमेंट्री कितनी इंटेरेस्टिंग और एन्टरटेनिंग हो सकती है, बस उन्हें देखने समझने बनाने के तरीकों पर निर्भर करता है। अपनी पहली नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म दामूल के विषय में बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपनी ये फिल्म अपनी घर पर दिखाई और पूछा तो घर की काम करने वाली नौकरानी ने सीधा कहा कि अगली बार फिल्म बनाना भैया। तब उन्होंने सोचा कि जब फिल्म जिनके विषय पर बनाई उन्हें ही पसंद न आई तो कुछ तो बदलना होगा और तब जब उन्होंने मृत्युदंड बनाई तो स्क्रिप्ट में न जाने कितने हेर फेर किए और उसे आम लोगों को भी पसंद करवा ही दिया। खैर चर्चा तो खूब हुई पर वह बात फिर कभी फिल्हाल ये जानिए कि कल क्या होगा। कल छठे सांस्कृतिक पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव का समापन होगा।


आज होगा सम्मान

समापन और पुरुस्कार वितरण समारोह की शान बढ़ाने के लिए अभिनेत्री सुश्री देबाश्री रॉय जो फेस्टीवल सेलीब्रिटी ज्यूरी की चीफ भी थीं उनके साथ सेलीब्रिटी जूरी में शामिल रहे, अभिनेता श्री सुधीर पांडे, लेखक निर्देशक श्री रूमी जाफरी, एक्ट्रेस मोडेल सुश्री मधुरिमा तुली, निर्माता निरेदशक श्री विनोद गनात्रा, श्री अशोक कुमार बर्मन आई.ए.एस. (रि), और गेस्ट ऑफ ऑनर में प्रसिद्ध अभिनेत्री सोम्या टण्डन। सुबह की पहली फिल्म रहेगी एक्स्प्लोरिंग द ग्रेट इंडियन लीगेसीस, भारत की ये फिल्म भारत के ळ20 आदर्श वाक्य ’एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ पर एक वैज्ञानिक संगीतमय वृत्तचित्र है, भारत के पारंपरिक ज्ञान - आयुर्वेद की अज्ञात, पृथक और अज्ञात प्रथाओं के माध्यम से यह एक यात्रा सी है।

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