- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े मेडिटेशन सेंटर स्वर्वेद महामंदिर का किया लोकार्पण
भारत को कमजोर करने के लिए प्रतीकों को निशाना बनाया गया
पीएम ने कहा कि जब मैंने स्वर्वेद महामंदिर का दौरा किया तो मैं मंत्रमुग्ध हो गया३ वेदों, उपनिषदों, रामायण, गीता और महाभारत की दिव्य शिक्षाओं को स्वर्वेद महामंदिर की दीवारों पर चित्रों के माध्यम से चित्रित किया गया है..” भारत की आध्यात्मिक संरचनाओं के आसपास ही हमारी शिल्प और कला ने अकल्पनीय ऊंचाइयों को छुआ. यहां से ज्ञान और अनुसंधान के नए मार्ग खुले. उद्यमों और उद्योगों से जुड़ी असीम संभावनाओं का जन्म हुआ. आस्था के साथ-साथ योग जैसे विज्ञान फले-फुले, और यहीं से पूरे विश्व के लिए मानवीय मूल्यों की अविरल धाराएं भी बही. गुलामी के कालखंड में जिन अत्याचारियों ने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया, उन्होंने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को ही निशाना बनाया. आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ऐसा राष्ट्र है, जो सदियों तक विश्व के लिए आर्थिक समृद्धि व भौतिक विकास का उदाहरण रहा है। हमने प्रगति के प्रतिमान गढ़े हैं और समृद्धि के सोपान तय किए हैं। हमने काशी जैसे जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों का आशीर्वाद लिया। कोणार्क जैसे मंदिर बनाए। सारनाथ व गया में प्रेरणादायी स्तूपों का निर्माण किया। तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। पीएम ने कहा कि आज तीर्थों का विकास भी हो रहा है और भारत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड भी बना रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है। महाकाल का महालोक अमरता का प्रमाण दे रहा है। केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बुद्ध सर्किट का विकास कर भारत दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर फिर आमंत्रित कर रहा है। अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है।बनारस की झलक दिखा देती है देश में विकास की रफ्तार
पीएम ने कहा कि देश में विकास की रफ्तार क्या है, इसकी झलक अकेला बनारस ही दिखा देता है। काशी विश्वनाथ परिसर धाम के निर्माण को पिछले सप्ताह दो वर्ष पूरे हुए। इसके बाद से बनारस में रोजगार, व्यापार व कारोबार नई तेजी पकड़ चुका है। पहले एयरपोर्ट पर पहुंचते ही चिंता होती थी कि शहर तक कैसे पहुंचेंगे। टूटी सड़कें और हर ओर अव्यवस्था यही बनारस की पहचान थी, लेकिन अब बनारस का मतलब है विकास, आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं। अब बनारस का मतलब है स्वच्छता और बदलाव। बनारस आज विकास के अद्वितीय पथ पर अग्रसर है। वाराणसी में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 9 साल में अद्वितीय कार्य हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, आचार्य स्वतंत्र देव जी महराज, संत प्रवर विज्ञान देव जी महराज आदि मौजूद रहे।
पीएम ने लोगों से किए नौ आग्रह
’पहला आग्रहः’ पानी की बूंद- बूंद बचाइए, जल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक कीजिए।
’दूसरा आग्रहः’ गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल लेनदेन के प्रति जागरूक कीजिए व ऑनलाइन पेमेंट सिखाइए।
’तीसरा आग्रहः’ अपने गांव-मोहल्ले-शहर को स्वच्छता में नंबर एक बनाने के लिए कार्य कीजिए।
’चौथा आग्रहः’ स्थानीय उत्पादों को प्रमोट कीजिए। मेड इन इंडिया प्रोडक्ट का प्रयोग कीजिए।
’पांचवां आग्रहः’ जितना हो सके, पहले अपने देश को देखिए। अपने देश में घूमिए। जब तक पूरा देश नहीं देख लेते, विदेशों में जाने का मन नहीं बनाना चाहिए। धन्नासेठों से भी कहता हूं कि विदेशों में जाकर शादी क्यों करते हैं। भारत में शादी करो।
’छठवां आग्रहः’ प्राकृतिक खेती के प्रति अधिक से अधिक किसानों को जागरूक करते रहिए।
’सातवां आग्रहः’ मिलेट्स (श्रीअन्न) को रोजमर्रा के खाने में शामिल कीजिए।
’आठवां आग्रहः’ फिटनेस (योग, खेल) को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाइए।
’नौवां आग्रहः’ कम से कम एक गरीब परिवार का संबल बनिए। भारत में गरीबी दूर करने के लिए यह जरूरी है।
दिव्य संदेश चित्रों के जरिये उकेरे
पीएम मोदी ने कहा कि स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य संदेश भी इसमें चित्रों के जरिये उकेरे गए हैं। इसलिए ये मंदिर एक तरह से अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
साधना का अद्भूत संगम है स्वर्वेद महामंदिर : सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। उन्होने स्वर्वेद महामंदिर की चर्चा करते हुए कहा कि जब एक संत की साधना मुहूर्त रूप लेता है, तो इस प्रकार का एक धाम बनकर तैयार होता है। सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था, जिन्होंने उत्तराखंड के गढ़ आश्रम के शून्य शिखर पर साधनारत होकर आध्यात्मिक जगत की अनुभूतियों के माध्यम से भारत की आध्यात्मिक ज्ञान के परंपरा को वेद, उपनिषदों के उसे परंपरा को बहुत ही सरल व सहज भाषा में अपने अनुयायियों व भक्तों के लिए सर्व वेद के माध्यम से प्रस्तुत किया, आज उसका मूर्त रूप सबको देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आज नए भारत की अनुभूति कर रहे हैं। यह नया भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है। आज देश का हर नागरिक अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा है। उन्होंने कहा कि काशी में काशी विश्वनाथ धाम में विगत 1 वर्ष के अंदर 13 करोड़ से अधिक देश-विदेश से श्रद्धालुओं एवं अनुयायियों का आना, पूरा देश की ओर भारत की विरासत पर योग की परंपरा हो या जिस कुंभ में 1954 में सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने अपनी भौतिक लीला का विसर्जन करते हुए आध्यात्मिक जगत में शून्य की शिखर पर स्वयं प्रवेश किया था। कुंभ की उसे महान परंपरा को चाहे वह दुनिया के मूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता देना हो या फिर उत्तराखंड में केदारपुरी के पुनर्निर्माण का कार्य हो या महाकाल की महलोक के निर्माण का कार्य हो, 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में श्री श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण का कार्य हो, हर भारतवासी का मन अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति करता दिखाई देता है।
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