- मधुबनी नगर निगम और इससे संबंधित पक्ष जल्द से जल्द इस भूल को ठीक करें : अभय अमन सिंह
दोनो पक्षों की सहमति से पार्क का नाम "महारानी रमेश्वरी लता शिशु उद्यान" रखना हुआ था तय :
हमेशा राजपरिवार के लोगों ने जनता के अच्छे के बारे में सोचा है, उनका भला चाहा है, उनके सुख और उन्नति की कामना की है। वर्तमान में मधुबनी नगर निगम क्षेत्र में काली मंदिर के पास शनिवार को एक करोड़ के लागत से एक पार्क का जीर्णोद्धार के बाद लोकार्पण किया गया। 1985 में तत्कालीन नगर परिषद क्षेत्र में पार्क नही रहने के कारण राज परिवार से अनुमति लेकर इस जगह पर पार्क का निर्माण किया गया। जिसका नाम दोनो पक्षों की सहमति से "महारानी रमेश्वरी लता शिशु उद्यान" रखना तय हुआ था। पार्क शहर के गंगा सागर तालाब के पश्चिम की तरफ काली मंदिर के निकट बनना तय हुआ। उसके बाद पार्क बना, खुला, चला और बंद भी हो गया। उन सब चीजों पर मैं विशेष टिप्पणी नही करूंगा। लोकार्पण के अवसर पर मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा की ये एक गिफ्ट नही धरोहर है। इसका मेंटेनेंस और सौंदर्यीकरण कैसे करना है, वो नगर निगम और नगर आयुक्त को देखना है। वन विभाग को पार्क बनाने के लिए धन्यवाद दिया, मैं भी उन्हें धन्यवाद देता हूं। वन विभाग के द्वारा इस पार्क का एक करोड़ के लागत से खूबसूरत तरीके से पुनर्निर्माण कराया, जिसमे बच्चो को खेलने कूदने व झूलने के लिए झूला की व्यवस्था की गई है। वहीं नौजवानों, बुजुर्गों के मेडिटेशन करने, बैठने और एक्सरसाइज करने के लिए कई प्रकार के इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए मैं तहे दिल से सबका शुक्रिया अदा करता हूं।पार्क से महारानी का नाम हटा, राजपरिवार में नाराजगी
लेकिन जीर्णोधार के बाद शनिवार 2 दिसंबर 2023 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के द्वारा बनाए गए पार्क का शनिवार को बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ, नगर निगम के मेयर, क्षेत्रीय वन अधिकारी दरभंगा प्रमंडल ने संयुक्त रूप से रिबन काट कर उद्घाटन किया। लेकिन जब इसका लोकार्पण हुआ तो, इस "महारानी रमेश्वरी लता शिशु उद्यान" का नाम बदलकर वर्तमान में "चिल्ड्रेन पार्क" रख दिया गया है। हमें और पूरे दरभंगा राज के जितने भी वंशज हैं, उनको इससे एतराज है। इसका हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। पार्क का जीर्णोधार होकर पुनः जनता के लिए खुलना खुशी की बात है, लेकिन पार्क के नाम में से महारानी का नाम हटा देना बहुत ही दुःखद है। शहर में पार्क का होना एक खुशी की बात है, लेकिन लोकार्पण के अवसर पर दिए गए भाषण में किसी ने भी महारानी रामेश्वरी लता जिनके नाम पर पार्क था उनका नाम तक नही लिया ये दुःखद है। पार्क के नाम में से दानकर्त्ता के नाम को हटा देना और दानकर्त्ता राजपरिवार के किसी भी सदस्य को कार्यकर्म में न बुलाना भी काफी दुःखदायी है। वहीं अन्य अतिथियों और अधिकारियों ने कहा कि शहर में पार्कों का जाल बिछेगा। लेकिन क्या आप पार्क का जाल बिछाना चाहते हैं या सभी जगह से दानकर्त्ता का नाम हटाना चाहते हैं, ये मंशा स्पष्ट करें।
नाम बदलने को लेकर पहले भी राजपरिवार को जाना पड़ा है कोर्ट :
इससे पहले 1918 में राजपरिवार द्वारा दान दिए गए गिरिधारी पब्लिक लाइब्रेरी, मधुबनी और गिरिधारी नगर भवन, मधुबनी को लेकर ऐसे ही एक और मामले में राज परिवार के व्यक्ति का नाम शिलापट्ट में रहने के बाबजूद हटाने को लेकर दानकर्त्ता के वंशज को हाई कोर्ट में जाना पड़ा है। लोग दरभंगा राज से जमीन और अन्य चीजे लेना चाहते हैं और ज्यादातर समय उन्हें वो मिलता भी है। लेकिन उसके बाद राज परिवार का नाम लेने से उन्हें परहेज होने लगता है। मैं उम्मीद करता हूं की इस बार शायद इस भूल का जल्द सुधार कर दिया जाएगा। इस मौके पर मो. तमन्ने शेख, राघव विकाश सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
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