- बिहार के शिक्षा व्यवस्था की प्रशांत किशोर ने खोली पोल, कहा-अभी सरकार को ये डर ही नहीं है कि अगर बेहतर पढ़ाई नहीं होगी, तो लोग नहीं देंगे हमें वोट
स्कूलों में बंट रही सिर्फ खिचड़ी
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था इसलिए नहीं खराब है कि यहां शिक्षक पढ़ा नहीं रहे हैं। लोगों को लगता है कि यहां के शिक्षकों की गुणवत्ता सही नहीं है और इसलिए पढ़ाई नहीं हो रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यहां के स्कूलों में सिर्फ खिचड़ी बंट रही है इसलिए भी पढ़ाई नहीं हो रही है। अगर खिचड़ी बंटने से पढ़ाई नहीं हो रही है, तो बिहार के कॉलेजों में तो खिचड़ी बंट नहीं रही है तो वहां पर पढ़ाई क्यों नहीं हो रही है? शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को अगर आपको समझना है तो आपको समझना होगा कि समाज और सत्ता में बैठे लोगों की प्राथमिकता में शिक्षा नहीं है। लोग भी अपने बच्चों को स्कूलों में खिचड़ी खाने के लिए ही भेज रहे हैं। लोग अपने बच्चे का कॉलेज में नामांकन पढ़ाई के लिए नहीं करते हैं सिर्फ डिग्री के लिए करते हैं।
जब बच्चे पढ़ेंगे नहीं, तो वो कलेक्टर तो बन नहीं सकते, उनको बनना होगा मजदूर
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक लाइन में स्कूलों से खिचड़ी बांटने की व्यवस्था है और कालेजों में डिग्री बंट रही है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर जब बच्चे पढ़ेंगे नहीं, तो वो डॉक्टर, इंजीनियर या कलेक्टर तो बन नहीं सकते, उनको मजदूर ही बनना होगा। इसीलिए बिहार में आपको दिखता है कि ज्यादातर लोग तो पढ़े नहीं हैं। जिनके पास भी डिग्री है, उन्होंने भी शिक्षा नहीं हासिल की है डिग्री हासिल की है। बिहार में समतामूलक शिक्षा नीति बनाने के नाम पर जो व्यवस्था बनाई गई है उसमें हर गांव में स्कूल के नाम पर भवन बना दिए गए हैं। जहां स्कूल की बिल्डिंग है, वहां पढ़ाने वाले टीचर नहीं हैं। जहां पढ़ाने वाले टीचर हैं, वहां बिल्डिंग ही नहीं है और जहां पर सबकुछ है वहां पढ़ाई नहीं हो रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें