पटना : कृषि अनुसंधान परिसर के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

पटना : कृषि अनुसंधान परिसर के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण

Scientist-visit-farm-bihar
पटना : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा दिनांक 21 दिसम्बर 2023 को धान परती भूमि गाँव-गुलेरियाचक, टेकारी, गया में जीरो टिलेज से 150 एकड़ क्षेत्र में प्रत्यक्षण में लगे फसल मसूर, सरसों, चना एवं अरहर का प्रक्षेत्र भ्रमण किया। टीम में डॉ. राकेश कुमार, डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. कीर्ति सौरभ, श्री बुद्ध प्रिय मौर्या एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, मानपुर, गया से श्री देवेन्द्र मंडल, डॉ. तेज प्रताप शामिल थे | किसानों के खेतों में लगे चना, मसूर की समस्या से अवगत होने के बाद वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि रोग नियंत्रण हेतु दवा का छिड़काव करें तथा आने वाले समय में सरसों फसल में एफीड का प्रकोप होने पर इमीडाक्लोरोपिड दवा का छिड़काव कर फसलों को बचाया जा सकता है। चना एवं मसूर फसलों में 2% यूरिया घोल का छिड़काव करने पर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आने वाले खरीफ फसल के अंतर्गत धान की सीधी बुआई करने के लिए किसानों को जागरूक किया। डॉ. कृति सौरभ ने किसानों के खेतों से मृदा परीक्षण हेतु 0-15 एवं 15-30 सें.मी. गहराई में मृदा का नमूना एकत्र किया । उन्होंने किसानों को बताया कि किसी भी फसल की बुआई करने से पहले मृदा जाँच अवश्य कराएं, जिससे मृदा में जरूरत के अनुसार उर्वरक का प्रयोग किया जा सके। डॉ. वेद प्रकाश ने मौसम के अनुकूल खेती करने के लिए विस्तार से चर्चा की। वैज्ञानिक श्री देवेन्द्र मंडल ने बताया कि जीरो टिलेज खेती करने से लागत में कमी एवं श्रमिक तथा समय का बचत होता है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर खेती करने से अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में 31 किसानों ने भाग लिया तथा अपनी-अपनी फसलों की समस्याओं से वैज्ञानिकों को अवगत कराया तथा उसका समाधान पाया। किसानों में श्री आशीष कुमार सिंह, श्री सुरेन्द्र राम, श्री पुनीत बिन्द, श्री मनोज कुमार एवं श्री जितेन्द्र कुमार आदि में उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं: