एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास की गारंटी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिन्दू कार्ड व बुलडोजरराज के वादे का प्रतिफल है प्रचंड बहुमत। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या योगी के ‘प्रताप’ से खिले कमल वाले राज्यों खासकर राजस्थान व छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसा मुख्यमंत्री बनेगा? दरअसल, इन तीनों राज्यो में मुख्यमंत्री ने ताबड़तोड़ 57 रैलीयां किया। खास यह है कि जिस विधानसभा में योगी के पांव पड़े, वो तरे जीते ही, अगल-बगल वाले उम्मींदवार भी कमल खिलाने में सफल रहे। मतलब साफ है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद इन राज्यों में किसी का प्रभाव रहा तो वे योगी आदित्यनाथ ही रहे, जिनकी इस विराट विजय में बड़ा योगदान है.राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में बीजेपी को जितनी बड़ी जीत मिली है, उसकी उम्मीद ग्राउंड पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भी नहीं थी. हमारे जैसे एक-दो लोगों को छोड़ दे ंतो सारे एक्जिट पोल वालों को भी परिणाम कहीं कांटे की टक्कर तो कहीं कांग्रेस की जीत का दावा करते दिखे। लेकिन परिणाम आया तो सारे अनुमान तास के पत्ते की तरह विखरते नजर आएं। खास यह है कि इन राज्यों में चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में से तीन राज्यों में मिली भाजपा की जीत का श्रेय पीएम मोदी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही जाता है। हालांकि योगी ने मोदी के विकास व कल्याणकारी माडल को जीत का श्रेय दिया है। लेकिन इस प्रचंड जीत में योगी के योगदान खासकर उनके बुलडोजर मॉडल का बड़ा श्रेय है। चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा था पर पार्टी की रणनीति यूपी मॉडल वाली रही। राजस्थान के चुनावी घोषणापत्र में चाहे एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने की बात हो या गुंडराज के सफाएं की, प्रमुखता से उठायी गयी थी। और जब परिणाम माकूल है तो सांसद योगी बालकनाथ को विधानसभा चुनाव लड़ाकर मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ ली है। हाल यह है कि पूरा राजस्थान इस मसमय योगीमय में तब्दील हो गया है। बता दें, बाबा बालकनाथ भी गोरखनाथ संप्रदाय के ही योगी हैं. योगी आदित्यनाथ इनके चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे भी थे. योगी ने अपने भाषण में खुलकर. कहा था कि कन्हैया हत्याकांड अगर यूपी में हुआ होता तो आरोपियों के साथ कैसा सुलूक होता. बाद में पीएम मोदी ने भी अपनी सभा में कन्हैया हत्याकांड के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया. चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए भी सर तन से जुदा जैसे नारों की चर्चा हुई. खास यह है कि राज्य में सीएम योगी न सिर्फ बीजेपी के स्टारप्रचारकों की लिस्ट में प्रमुख थे, बल्कि ताबड़तोड़ रैलियों में फिलिस्तीन और इजरायल की चर्चा करते हुए राजस्थान में योगी मॉडल वाली सरकार बनाने का वादा कर माहौल को भाजपा के पक्ष में कर दिया।
मुख्यमंत्री की रेस में योगी बालकनाथ
देखा जाएं तो इन दोनों राज्यों में बीजेपी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर सभाएं करायी। राजस्थान बीजेपी का घोषणापत्र में तो योगी मॉडल सरकार बनाने का वादा भी किया गया। कहा गया कि राज्य में सरकार बनने पर कानून व्यवस्था में सुधार के लिए यूपी की बुलडोजर सरकार जैसा मुख्यमंत्री बनायेंगे। यह अलग बात है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री की रेस में वसुंधरा राजे भी है. राजे पहले भी दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. राजघराने से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा राजे को सरकार चलाने का अच्छा खासा अनुभव है. वो राजस्थान में उनकी अच्छी खासी पैठ है. वो राजस्थान की लोकप्रिय नेताओं में से एक है. लेकिन राजस्थान में इस बार एक नाम सबसे ज्यादा चर्चित है, वो हैं महंत बाबा बालकनाथ. उनकी तुलना उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ से की जा रही है और उन्हें ’राजस्थान का योगी’ कहा जा रहा है. बीजेपी सांसद महंत बालकनाथ मस्तनाथ मठ के आठवें महंत हैं. बालकनाथ ओबीसी वर्ग से आते हैं. चर्चा है कि इस बार यूपी की तरह ही बीजेपी राजस्थान के इस योगी को भी मुख्यमंत्री की कमान सौंप सकती है. इसके अलावा जयपुर के राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी का नाम इस रेस में तीसरे नंबर पर है. वे इस साल विद्याधर नगर से चुनावी मैदान में उतरी हैं और मौजूदा समय में सांसद हैं. दीया को राजस्थान में वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. इन तीन नेताओं के अलावा भी कई ऐसे नाम हैं, जिनकी काफी चर्चा है. इसमें केंद्र सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम भी शामिल है. वो जोधपुर लोकसभा सीट से सांसद है. उनकी राजस्थान में अच्छी पकड़ मानी जाती है. उनके अलावा राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, सांसद राज्यवर्धन राठौड़ जैसे बड़े नेता के नामों पर भी चर्चा की जा रही है.राजस्थान मे योगी मॉडल की हुंकार
अलवर के तिजारा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जहां जहां भाजपा की डबल इंजन की सरकार है वहां सुरक्षा और विकास दोनों है। एक तरफ गहलोत सरकार गोतस्करों को महिमा मंडन करती है तो दुसरी तरफ संतों के आश्रम पर बुलडोजर चलावाते है। अगर कांग्रेस दोबारा आती है तो एक बार फिर तालिबानी सरकार को आपको सहना पड़ेगा. राजस्थान में राम राज्य की परिकल्पना को साकार किया जाएं. बहन बेटियों को सुरक्षा मिलनी चाहिए. एक ऐसा राजस्थान बने जहां बेटियां अपने आप को सुरक्षित समझें. इसमें प्रयास होना चाहिए. बुलडोजर दुष्टों का उपचार है तो विकास का काम भी इससे ही होता है. बता दें, जातियों में बटे राजस्थान में पहली बार जातिवादी राजनीति के खिलाफ संतो ने हुंकार भर दी है. संतों ने राजस्थान में भी यूपी की तरह योगी मॉडल लागू किए जाने की वकालत की. जन स्वाभिमान मंच के संयोजक समताराम महाराज ने कहा कि जैसे उत्तर प्रदेश में एक संत योगी आदित्यनाथ ने गुंडाराज खत्म किया वैसे ही एक और संत आ गया है जो राजस्थान की राजनीति से जातिवाद और जातिवादी राजनीति को चुनौती देता है. राजस्थान विधानसभा चुनाव में जातिवादी राजनीति के खिलाफ देश के 20 बड़े संतो और 36 बिरादरी के सामाजिक संगठनों ने जात-पात से ऊपर उठकर नए राजस्थान का सृजन करने का आह्वान किया. अजमेर के कायड़ विश्राम स्थली मैदान में जन स्वाभिमान मंच के बैनर तले राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में जाति की राजनीति करने वालों को सबक सिखाने के लिए राज्यभार से अलग जिलों से करीब सवा लाख लोग इकट्ठा हुए. बड़ी बात ये है कि इस आयोजन में न किसी राजनेता को बुलाया गया और न ही किसी राजनैतिक पार्टी का सहयोग लिया गया. जन स्वाभिमान मंच के संयोजक राज ऋषि समता राम महाराज ने मंच से बोलते हुए कहा की जिस तरह से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यराज ने गुंडाराज का खात्मा किया है, वैसे ही अब राजस्थान में भी एक और संत आ गया है, जो जातिवाद और जातिवादी नेताओं को चुनौती देता है.
उदयपुर मर्डर के बाद उठी थी योगी मॉडल की मांग
राजस्थान के उदयपुर में नुपुर शर्मा का समर्थन करने वाले युवक की हत्या के बाद बीजेपी ने राजस्थान में योगी के बुल्डोजर मॉडल की मांग की थी। उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने कहा था ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो. इसके लिएयोगी सरकार की तरह इन आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर चला कार्यवाही की जानी चाहिए.
कौन हैं बाबा बालकनाथ
राजस्थान चुनावों के बीच बाबा बालकनाथ का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. सीएम की रेस में उनके नाम की भी चर्चा की जा रही है. महंत बालकनाथ को ’राजस्थान का योगी’ कहा जाता है. महंत बालकनाथ योगी अलवर लोकसभा से सांसद हैं और उनका नाम भी बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं में शामिल किया जाता है. इस बार वे तिजारा विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे। अलवर के आसपास के क्षेत्रों में उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. वे भाजपा के हिंदुत्ववादी चेहरे पर एकदम फिट बैठते दिखाई देते हैं. चुनाव से पहले ही उन्हें राजस्थान में उपाध्यक्ष पद दिया गया. ऐसे में ज्यादातर लोगों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ है. बाबा बालकनाथ की तुलना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ की जा रही है. उन्हें राजस्थान का योगी भी कहा जा रहा है. इसका कारण है कि बालकनाथ और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों नाथ संप्रदाय से आते हैं. अगर आप उनके लुक को देखें तो वो भी योगी आदित्यनाथ से मिलता-जुलता सा है क्योंकि बालकनाथ भी योगी आदित्यनाथ की तरह ही भगवा कपड़ों में नजर आते हैं. ऐसे में तमाम तमाम लोग राजस्थान में वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर महंत बालकनाथ योगी के नाम की चर्चा कर रहे हैं. 16 अप्रैल 1984 को राजस्थान के अलवर जिले के कोहराना गांव में एक किसान परिवार में जन्में महंत बालकनाथ योगी का पूरा परिवार लंबे समय से जनकल्याण व साधुओं की सेवा में जुटा रहा है. 6 साल की उम्र में ही उन्हें परिवार ने अध्यात्म का अध्ययन करने के लिए महंत खेतानाथ के पास भेज दिया था. गुरु से शिक्षा दीक्षा लेने के बाद महंत चांद नाथ के पास उन्हें भेजा गया. यहां पर उनकी बालक प्रवृत्तियों को देखकर महंत चांद नाथ ने उन्हें बालकनाथ कहना शुरू कर दिया. 29 जुलाई 2016 को महंत चांद नाथ ने अपना उत्तराधिकारी चुना. इस तरह वो मठ के आठवें महंत बने.
जब योगी ने ’बुलडोजर न्याय’ मॉडल बेचा
योगी आदित्यनाथ 22 नवंबर को जोधपुर में हुए दंगों को जिक्र करते हुए कहा दो साल पहले जोधपुर में सड़कों पर तलवारें लहरा रही थीं और दंगाई उत्पात मचा रहे थे. अगर ये दंगाई यूपी में होते तो इन्हें बुलडोजर से सबक सिखाया गया होता. तब सरकार चुप थी. राजस्थान सरकार महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान नहीं दे पाई और गरीबों के कल्याण के लिए काम नहीं कर सकी या विकास योजना नहीं दे पाई. यह आस्था का सम्मान नहीं कर सकता और रामनवमी जुलूस पर प्रतिबंध लगा दिया। यहाँ जोधपुर में, एक साल पहले बदमाशों ने एक संत की हत्या कर दी थी। सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की. ऐसी ही घटनाएं भरतपुर, अलवर समेत हर जिले में देखने को मिलीं. यह कर्फ्यू और दंगे की सरकार है. यहां माफिया और अराजकता पनप रही है.’’ “कांग्रेस सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करती है। यह केवल एक समुदाय के हितों की बात करता है।’ अगर कांग्रेस ऐसा करेगी तो गरीब, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, किसान और युवा कहां जायेंगे?
कमल खिलाने में योगी का कमाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन राज्यो में 57 रैली कर कमल खिलायी है। उनके प्रभाव का कमाल है कि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कमल खिला। मतलब साफ है तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विराट विजय में बड़ा योगदान रहा है. प्रस्तुत है जहां उन्होंने सभा की, वहां जीते उम्मींदवारो की सूची :
मध्य प्रदेश
शुजालपुर-इंद्र सिंह परमार- जीत
कालापीपल- घनश्याम चंद्रवंशी- जीत
खातेगांव-आशीष गोविंद शर्मा- जीत
सोनकच्छ- राजेश सोनकर- जीत
बागली- मुरली भवरा- जीत
नरसिंहपुर-प्रहलाद सिंह पटेल- जीत
गाडरवाला-राव उदय प्रताप सिंह- जीत
तेंदुखेड़ा-विश्वनाथ सिंह पटेल- जीत
गोटेगांव-महेंद्र नागेश- जीत
पन्ना- बृजेंद्र प्रताप सिंह- जीत
उदयपुरा- नरेंद्र शिवाजी पटेल- जीत
भोजपुरा- सुरेंद्र पटवा- जीत
सांची-डॉ. प्रभुराम चौधरी- जीत
राजनगर- अरविंद पटेरिया- जीत
चंदला- दिलीप अहिरवार- जीत
भिंड- नरेंद्र सिंह कुशवाहा- जीत
ग्वालियर साउथ-नारायण सिंह कुशवाहा- जीत
ग्वालियर-प्रद्युम्न सिंह तोमर- जीत
पवई-प्रहलाद लोधी- जीत
मुंगावली- बृजेंद्र सिंह यादव- जीत
चंदेरी-जगन्नाथ सिंह रघुवंशी- जीत
बैरसिया-विष्णु खत्री- जीत
राजस्थान
केकड़ी-शत्रुघ्न गौतम- जीत
पुष्कर-सुरेश सिंह रावत-जीत
सांगोद- हीरालाल नागर- जीत
आहोर- छगन सिंह राजपुरोहित- जीत
सिवाना- हमीर सिंह भायलदृ जीत
कठुमर-रमेश खिंची- जीत
लालासोट-रामबिलास मीना- जीत
वल्लभ नगर-उदयलाल डांगी- जीत
शाहपुरा- लालाराम बैरवा- जीत
सहाड़ा- लादूलाल पितलिया- जीत
मांडल- उदयलाल भड़ाना- जीत
जोधपुर शहर-अतुल भंसाली- जीत
सूरसागर-देवेंद्र जोशी- जीत
तिजारा-बालकनाथ- जीत
झोटवाड़ा-कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़- जीत
छत्तीसगढ़
योगी का जादू, पंडरिया से भावना बोहरा, कवर्धा- से विजय शर्मा व राजनांदगांव से डॉ. रमन सिंह, साजा से ईश्वर साहू ने जीत दर्ज की। जबकि तेलंगाना में भाजपा ने एक सीट जीती थी, इस बार यह आंकड़ा नौ हो गया।योगी आदित्यनाथ के प्रचार कर जहां से कमल खिलाने का आह्वान किया था, उस सीरपुर से डॉ. पलवई हरीश बाबू और घोषा महाल से टी. राजा सिंह ने जीत हासिल की है.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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