- 40 वर्षों से लगातार तीन लाख किलोमीटर पदयात्रा जारी
मधवापुर/मधुबनी, पिछले 40 वर्षों से देश भर में भ्रमण कर रही चार धाम के तरह इस्कान की संपूर्ण भारत पदयात्रा रथ में 'श्री गोर निताईं' के गौरवशाली श्रीविग्रह विराजमान मधुबनी जिले के मधवापुर प्रखंड के साहरघाट पहुंची। इस्कान के भक्तों द्वारा इस यात्रा के माध्यम से अध्यात्म का प्रचार किया गया। वहीं लोगों को भगवत गीता तथा हरि नाम के जाप की पुस्तकें भी वितरित की। जहां रथ से ब्रह्मचारी भक्त माइक साउंड के माध्यम से धर्म का प्रचार प्रसार और सत्य के रास्ते पर चलने के उपदेश देते देखा गया। इस बारे में जानकारी देते हुए आचार्य दास प्रबंधक व भद्र बलराम दास इस्कान संपूर्ण भारत पदयात्रा ने बताया कि इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य भटकती युवा पीढ़ी को जागरूक कर उन्हें धर्म का मार्ग दिखाना है। उनका मानना है कि ऐसा करने पर जहां लोग धर्म के प्रति जागरूक होंगे, जिससे आपसी भाईचारे को भी बढ़ावा मिलेगा और देश भी सुरक्षित रह पाएगा। इस यात्रा के दौरान उन्होंने लोगों को को गो सेवा करने के लिए भी प्रेरित किया। उनका कहना था कि पश्चिमी देशों के लोगों ने भी अब हरि नाम को सभी कार्य करने शुरू कर दिया है, तो ऐसा भारत में क्यों नहीं जहां भविष्य भक्ति का भक्ति की निर्मल सरिता से प्रभावित होती है। पावन भूमि पर अध्यात्म की अलख जगाने के लिए यह पदयात्रा की जा रही है, जो बीते वर्ष 1984 से निरंतर जारी है, जिसमें नियंत्रण हरे कृष्णा महामंत्र का जाप चलता रहता है। यह यात्रा गुजरात से चलकर द्वारका, बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी व रामेश्वर आदि अनेकों धार्मिक स्थानों का छह बार परिक्रमा कर लोगों को धर्म के प्रति जागरूक कर चुकी है। 2013 में पड़ोसी देश नेपाल के जनकपुर से होते हुए सीतामढ़ी के रास्ते निकल गए थे। इसीलिए इधर की यात्रा छूट गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि तीन लाख किलोमीटर पदयात्रा पूरी कर आज साहरघाट में पहुंचे हैं। अब ये पदयात्रा मधुबनी और दरभंगा होते हुए मोक्ष और ज्ञान के धरती गया जिला पहुंचेगी। यह पदयात्रा अभी तक छः बार पूरे देश का भ्रमण कर चुकी है। सातवीं बार भ्रमण पर द्वारिका धाम से यह पदयात्रा शुरू की गई थी, जो द्वारकाधाम से शुरू होकर वृंदावन से होती हुई यहां तक पहुंची। उन्होंने कहा पांच हजार साल पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने भागवत गीता को उपदेश दिया था। अर्जुन को वही ज्ञान का वितरण करने के लिए और भगवान के भक्ति का संदेश एवम् भगवान का नाम का प्रचार करने के लिए बीस भक्त ब्रह्मचारी इस पदयात्रा में शामिल है। इस पदयात्रा में रथ के साथ गुजरात के बड़े बड़े चार नंदी बैल है, जो धर्म के प्रतीक है। बैलों की भी अलग अलग नाम है, जिसे नाम से पुकारने पर समझ जाते है। इस यात्रा के मुख्य संचालक परम पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज के आशीर्वाद से पिछले 40 वर्षों से यह यात्रा चल रही है, जो गांव-गांव में धर्म के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है, ताकि उनका जीवन सुख में व्यतीत हो सके। इस पदयात्रा में मोहन गोपाल दास, ओजस्वी गौरांग, उत्तम नर हरी, सदानंद निमाय समेत अन्य ब्रह्मचारी भक्त शामिल है।
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