विशेष : हार्ट अटैक : बढ़ा मौतों का आंकड़ा, रहे अलर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

विशेष : हार्ट अटैक : बढ़ा मौतों का आंकड़ा, रहे अलर्ट

हार्ट अटैक ’साइलेंट किलर’ बनता जा रहा है. अक्सर ठंड बढ़ने के साथ ही हार्ट अटैक के मामले बढ़ने लगते हैं. सर्दियों में शरीर के तापमान में कमी, विटामिन डी के स्तर में कमी और रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा देती है। एक रिसर्च के मुताबिक गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक और स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। दरअसल ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ब्लड को पंप करते समय रक्त कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं. इससे हृदय के कामकाज में परेशानी होती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है. 2023 का साल हार्ट अटैक के नाम रहा. इस साल हार्ट अटैक से हुई मौतों का आकड़ा सबसे ज्यादा रहा. हार्ट अटैक ने इस साल किसी उम्र को नही बख्शा. हमने इस साल 16 साल के बच्चे से लेकर जवान और बुजुर्ग सभी को हार्ट अटैक की वजह से मरते देखा. कभी जिम में वर्क आउट करते हुए, कभी शादी-पार्टी के फंक्शन में डांस करते हुए इन तस्वीरों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अचानक हुई मौतों के आकड़े में 14 फीसदी की बढ़ते देखी गई जिनमें ज्यादातर मामले हार्ट अटैक के थे. 2022 में 56,653 लोगों की सडन डेथ हुई जिनमें 57 फीसदी मौते हार्ट अटैक की वजह से हुई. ये आकड़े कैंसर से हुई मौतों से कहीं ज्यादा रहे
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भागमभागम भरी खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से हार्ट अटैक का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. ठंड में हर साल हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि होती है. डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने लगता है. इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ता है. या यूं कहे ठंड में ब्लड वेसल्स सिकुड़ने के कारण शरीर में ब्लड फ्लो सही नहीं रह पता है. इस वजह से दिल पर अधिक दवाब पड़ता है और हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती है और सख्त बन जाती हैं. इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके अलावा सोते समय शरीर की एक्टिविटीज स्लो हो जाती हैं. बीपी और शुगर का लेवल भी कम होता है. लेकिन उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है. यह सिस्टम हर मौसम में काम करता है. लेकिन ठंड के दिनों में इसके लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे जिन्हें हार्ट की बीमारी है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. अगर समय रहते इलाज नहीं मिला तो हार्ट अटैक के 2-3 घंटों के अंदर ही मौत की संभावना बढ़ जाती है.


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तीन सालों में दिल का दौरा पड़ने से मौत का आंकड़ा काफी ज्यादा बढ़ा है. हार्ट स्पेशलिस्टों की माने तो कोविड 19 के बाद दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना तक बढ़ गया है.एनसीआरबी द्वारा जारी आकड़ों में साल 2022 में 32,140 लोगों की जान सिर्फ और सिर्फ हार्ट अटैक के कारण हुई. जो कि उससे पिछले साल की तुलना में14 फीसदी ज्यादा थी. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 12,591, केरल में 3,993 और गुजराल में 2,853 मौतें हार्ट अटैक की वजह से हुई. हार्ट अटैक में मरने वालों में जहां 28,005 पुरूष रहें वही महिलाओं की संख्या 22,000 के आस-पास रही. हालांकि एक्सपर्ट्स की माने तो उन्होंने हार्ट अटैक से हुई मौतों के लिए इंटेंस वर्कआउट और खराब लाइफस्टाइल को ही दोषी बताया. एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, जिन्हें पहले से दिल संबंधी बीमारियां होती हैं. सर्दियों में उनमें हार्ट अटैक का खतरा 31 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. केवल बनारस में ही हर दिन लगभग 580 से 1090 मरीज पहुंच रहे हैं, जिनका बीपी बढ़ा हुआ आ रहा है। वहीं हार्ट अटैक के मरीज भी अब अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इसमें 35 से 50 वर्ष तक के लोगों की संख्या अधिक है। इससे बचने के लिए नियमित चेकअप कराते रहें और ठंड से अपना बचाव करें। रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा। कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधेतौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है। कोरोना महामारी के बाद यह गंभीर समस्या बन गया है. इसके पहले तक हार्ट की बीमारियां उम्र बढ़ने के साथ आया करती थीं लेकिन अब कम उम्र यहां तक की बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं. सर्दी के दिनों में खासतौर पर सर्दी में हाथ पैर की नस सिकुड़ जाती है। उसमें खून पास करने के लिए ज्यादा प्रेशर हार्ट को लगता है। ऐसे में बीपी बढ़ जाता है। हर उम्र के लोगों को यह रोग हो रहा है। इसमें इन दिनों ज्यादातर मरीज अब 35 से 50 वर्ष के आसपास के ज्यादा आ रहे हैं। इस समय शरीर में एपिनेफ्रिन और कोर्टिसोल हार्मोन कालेवल बढ़ जाता है। इनके बढ़ने से शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ता है और ऑक्सीजन की मांग भी ज्यादा होती है, जिसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। बीपी बढ़ने और ऑक्सीजन की अधिक डिमांड के कारण हार्ट पर प्रेशर बढ़ता है और अटैक आ जाता है। नियमित बीपी की दवा खाते रहना खहिए।


मध्यम वर्ग के 80 फीसदी मामले

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आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं। हार्ट अटैक जिसे मेडिकल भाषा में मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन कहा जाता है, यह एक एमरजेंसी कंडीशन है जो गंभीर स्थिति में इंसान की जान ले सकती है. पर्याप्त खून का ना मिल पाने के कारण आपका दिल काम करना बंद कर देता है जिस वजह से हार्ट अटैक आता है. यह आमतौर पर धमनियों (ब्लड वेसल्स) में रुकावट के कारण होता है जो आपके दिल तक ब्लड सप्लाई (खून की आपूर्ति) करती हैं. दौरा दिल को बहुत नुकसान पहुंचाता है और अगर इस स्थिति में तुरंत दिल तक खून की सप्लाई ना हो तो इंसान की मौत भी हो सकती है.


बचने के उपाय

  • लाइफस्टाइल में बदलाव करें.
  • हेल्दी डाइट ही अपनाएं. खाने में एक्स्ट्रा फैट, ऑयल, मांस से बचें, हरी सब्जियां, फल, नट्स, मछली शामिल करें.
  • सिगरेट-शराब का ज्यादा सेवन करने से बचें.
  • ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नॉर्मल रखने की कोशिश करें.
  • नियमित तौर से एक्सरसाइज करें. शरीर का वजन बढ़ने न दें.
  • मेडिटेशन, ब्रीदिंग टेक्नीक और योग का अभ्यास करें.
  • डॉक्टर से समय-समय पर जांच जरूर करवाएं.


क्या खाने से बचें

  • दिल के लिए हानिकारक फूड्स का सेवन न करें.
  • ज्यादा नमक वाली चीजों को न खाएं.
  • रिफाइंड शुगर और कार्ब्स से बचें.
  • प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें.
  • सैचुरेटेड फैट वाले फूड्स का सेवन न करें.
  • पूरे कपड़े पहनकर ही निकलें ।
  • ठंडा खाने से बचें
  • नियमित चेकअप कराते रहें
  • बचाव के लिए नियमित चेकअप कराते रहें
  • ठंड के दिनों में न तो बिस्तर जल्दी छोड़ें और न ही जल्दी सैर पर जाएं
  • पहले से हार्ट के मरीज हैं तो सर्दी से खुद को बचाकर रखें


सावधानी

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पहले दिल के दौरे के बाद, अधिकांश लोग उत्पादक जीवन जीने लगते हैं। लेकिन एक चौथाई से अधिक रोगियों को छुट्टी के 90 दिनों के भीतर अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया जाता है, यह एक महत्वपूर्ण समय है जब दूसरी बार दिल के दौरे सहित नई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ठंड के मौसम में नियमित व्यायाम हैं जरूरी है। ठंड के मौसम में शरीर में विटामिन डी की कमी भी नहीं होनी चाहिए. बॉडी की जरूरत के अनुसार पर्याप्त पानी पीना चाहिए. इसकी मात्रा ज्यादा भी नहीं होनी चाहिए. दिल के मरीजों को ठंड के मौसम में मॉर्निंग वॉक पर नहीं जाना चाहिए. इस मौसम में ज्यादा खाना न खाएं. संतुलित और पौष्टिक आहार लें. सर्दियों में हार्ट अटैक रोकने के लिए सुबह पानी कम पिएं और वॉक करने से बचें; नमक कम लें. साल 2023 में दिल की बीमारियों के बढ़ने को लेकर सरकार ने सभी को सावधान किया। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लापरवाही न बरतने की अपील की. उन्होंने कहा कि कोरोना के गंभीर रोग के शिकार हो चुके लोगों को ज्यादा काम करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है. हार्ट स्पेशलिस्ट का कहना है कि कार्डियक हेल्थ की समस्या गंभीर है. इसलिए साल 2024 में दिल की सेहत का खास ख्याल रखना और सावधानी बरतनी चाहिए। चूंकि हार्ट की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, इसलिए लापरवाही से पूरी तरह बचना चाहिए। इसके लिए लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने पर फोकस करना चाहिए, हेल्दी और पौष्टिक प्लांट बेस्ड चीजें ही खानी चाहिए. बीपी-स्ट्रेस कंट्रोल रखना चाहिए. साल में कम से कम दो बार डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए.


संकेत

  • सीने में बेचैनी, असहज दबाव, निचोड़ने, परिपूर्णता या दर्द जैसा महसूस होना
  • एक या दोनों बांहों, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द या बेचैनी  सांस लेने में कठिनाई
  • ठंडा पसीना आना, मतली या चक्कर आना
  • पैरो में सूजन


दरअसल, पैरों में होने वाली सूजन दिल के सही तरह से काम न करने की वजह से होती है, जिस कारण पैरों में खून जमने लगता है और उनमें सूजन आने लगती है। अगर आपके पैर अक्सर सुन्न पड़ जाते हैं तो ये हार्ट अटैक का एक संकेत हो सकता है। अगर आपके पैरों की स्किन नीली पड़ने लगती है तो ये हार्ट अटैक का एक कारण हो सकता है। दरअसल, कई बार शरीर में सही रक्त संचार न होने की वजह से व्यक्ति को हार्ट अटैक आ सकता है और पैरों की स्किन के नीली होने की एक वजह ब्लड सर्कुलेशन का ठीक तरह से काम न करना भी हो सकता है। ऐसे में अगर आपके पैरों की स्किन नीली पड़ने लगे तो बिना वक्त गवाए आपको डॉक्टर के पास पहुंच जाना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको पैरों में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है तो आपको इसे बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये भी आपको हार्ट अटैक की ओर ले जा सकता है।


अटैक के बाद क्या करें

अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है तो सबसे पहले तुरंत उस व्यक्ति की नब्ज़ (पल्स) की जांच करें. अगर नब्ज बिल्कुल नहीं महसूस हो रही है तो समझ लें कि व्यक्ति को हार्ट अटैक पड़ा है. क्योंकि हार्ट अटैक में दिल की धड़कन रुक जाती है, इसलिए नब्ज नहीं मिल पाती. ऐसे दो से तीन मिनट के अंदर उसके हार्ट को रिवाइव करना जरूरी होता है, नहीं तो ऑक्सीजन के कमी के चलते उसका ब्रेन डैमेज हो सकता है. ऐसे में हार्ट अटैक आने पर तुरंत सीने पर जोर-जोर से मुक्का मारें. तब तक मारे जब तक वह होश में नहीं आ जाता है. इससे उसका दिल फिर से काम करना शुरू कर देगा और उसे तुरंत एमरजेंसी मेडिकल सेवाओं से संपर्क करें और बेहोश व्यक्ति को सीपीआर दें. जल्दबाजी में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाएं, क्योंकि हार्ट अटैक पर समय रहते इलाज नहीं किया गया तो व्यक्ति की मौत हो सकती है.


हार्ट को हेल्दी कैसे रखें

गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं। तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है। जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।


इंटेंस वर्कआउट न करें

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इंटेंस वर्कआउट और एक्सेसिव एक्सरसाइज भी हार्ट अटैक की वजह बनती है. ज्यादा तेजी से ज्यादा हैवी वर्कआउट करने से हृदय पर दबाव पड़ता है और दबाव न झेल पाने की स्थिति में हार्ट अटैक आता है इसलिए वर्कआउट किसी एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही करें और मोडरेट तरीके से ही एक्सरसाइज करें.


जंक फूड न खाएं

हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल को बदलने की काफी जरूरत है. जंक फूड का बढ़ता सेवन हमें मोटापा, हाई बीपी और डायबिटीज का शिकार बना रहा है जिससे आगे चलकर हमें मल्टी आर्गनफेलियर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए अपने खाने-पीने पर विशेष ध्यान रखें और रोजाना हल्की एक्सरसाइज करें.


वॉक जरूरी

सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किमी जाना है तो पैदल जाएं। रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर मस्तिष्क और हृदय पर होता है।


धूम्रपान-अल्कोहल

धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।


अफवाहों से बचें

सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर आए मैसेज में कई तरह के दावे किए जाते हैं जो आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। हार्ट को लेकर भी कई अफवाह वायरल होती हैं। जैसे- दिन की शुरुआत 4 गिलास पानी से करते हैं तो हृदय रोगों का खतरा नहीं होता। ऐसे मैसेजेस से बचें और कोई भी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर पर ही भरोसा करें, वरना ये हालत को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकते हैं।


मोटापा और हाई बीपी

मोटापा और हाई बीपी हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाता है. कॉलेस्ट्राल की समस्या हार्टअटैक को जन्म देती है इसलिए मोटापे, हाईबीपी और कॉलेस्ट्राल को नियत्रिंत रखकर हम हार्ट अटैक के खतरे को कम कर सकते है जिसके लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बेहद ही ज्यादा जरूरी है.डब्ल्यूएचओं के मुताबिक भारत में पिछले तीन सालों में दिल का दौरा पड़ने से मौत का आंकड़ा खतरा कई गुना तक बढ़ गया है. आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में हार्ट अटैक के मामलों में 2023 में 15.99 फीसदी का इजाफा हुआ है. 2022 में दिल का दौरा पड़ने से 32,457 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 2021 में हार्ट अटैक के आने से 28,413 लोगों की मौत हो गई थी. 2020 में 28,579 लोगों की मौत हुई। जान गंवाने वालों की उम्र 30 से 50 के बीच देखी जा रही है.


 




Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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