विशेष : तब ढहाने की थी, अब खुशी की होगी कारसेवा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

विशेष : तब ढहाने की थी, अब खुशी की होगी कारसेवा

न्योता मिले या ना मिले, पूर्वांचल के लाखों कारसेवक पैदल ही जाने के उतावले है। उनका कहना है न्योता नहीं मिला तो ना सही, लेकिन समारोह में जरुर पहुंचेगे, भले ही पैदल क्यों ना जाना पड़े। श्रीराम के चाहने वालों की श्रद्धा इतनी जबर्दस्त है कि भगवान राम की एक झलक पाने के लिए वे हर संकट सहने को बेताब हे। 22 जनवरी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। इस अवसर का गवाह बनने के लिए हर आम से लेकर खास तक अयोध्या पहुंचने की प्लानिंग में जुटा है। बता दें, 1526 से 1528 के बीच बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने विशाल राम मंदिर को तोडकर उसके मलबे को बाबरी मस्जिद बनवाई थी। तभी से वहां हिंदू- मुस्लिमों के बीच छिटपुट संघर्ष चल रहे थे। इस इमारत पर क़ब्ज़े के लिए। इस लंबे संघर्ष को अब एक सुखद मुक़ाम मिलने जा रहा है। इसीलिए देशभर में फ़िलहाल मंदिर का माहौल है

Ram-mandir-ayodhya
देशभर में अयोध्या राम मंदिर लोकार्पण की तिथि 22 जनवरी को लेकर खासा उत्साह है। पक्ष हो या विपक्ष, साधु-संत हो या राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग, या धर्म रक्षक हो या धार्मिक संस्थाएं हर किसी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों होने वाले उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए न्योता भेजा रहा है। लेकिन ऐसे लाखों रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े कारसेवक है, जिनके नाम किसी सूची में भले ना हो पर प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर उनमें खुशियां अपरंपार है। नाम न छपने की शर्त पर एक- दो नहीं, सैकडों कारसेवकों, जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 की कारसेवा में सम्मिलित होकर बाबरी मस्जिद ढांचा को गिराने में महती भूमिका निभायी थी, वे आज भव्य मंदिर निर्माण के उद्घाटन को लेकर गदगद है। वे उस घटनाक्रम को साझा करते हुए कहते है, तमाम बंदिशों के बाद तब भी कारसेवक के रुप में अयोध्या पहुंचे थे, इस बार भी न्योता नहीं मिला तो ना सही, लेकिन समारोह में जरुर पहुंचेगे, भले ही पैदल क्यों ना जाना पड़े। सूत्रों की मानें तो मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया, मउ, चंदौली व सोनभद्र से तकरीबन एक लाख से अधिक पूर्व के कारसेवक अयोध्या जाने को लेकर उतावले है। हालांकि, यह आने वाला समय ही तय करेगा कि अयोध्या में वे पहुंच पायेंगे या नहीं, राम मंदिर के लोकार्पण को लेकर उनकी खुशियां देखते ही बन रही है। बता दें, भारतीय इतिहास में 6 दिसंबर का दिन अहम है। 1992 में इसी दिन बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया गया था। उस दिन के बाद से ’कारसेवक’ शब्द जबरदस्त चर्चा में रहा। कहा गया कि हजारों कारसेवकों ने राममंदिर आंदोलन के तहत इस घटनाक्रम को अंजाम दिया था। अब जब अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हो चुका है। साढ़े चार सौ साल के संघर्ष के बाद यह घड़ी आई है, तो ऐसे अनजान या यूं कहे गुमनाम कारसेवकों में भी उत्साह हिलोरे मार रही है। उधर, मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए 20 से 22 जनवरी तक आम लोगों के लिए न सिर्फ भगवान राम का दर्शन बंद रहेगा, बल्कि आवाजाही भी ठप रहेगा, सिर्फ वहीं लोग पहुंच सकते है, जिन्हें निमंत्रण मिला है।


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काल्पनिक नाम सुमेरु ने बताया कि श्रीराम के चाहने वालों की श्रद्धा इतनी जबर्दस्त है कि भगवान राम की एक झलक पाने के लिए वे उतावले हैं। 22 जनवरी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। इस अवसर का गवाह बनने के लिए हर आम से लेकर खास तक अयोध्या पहुंचने की प्लानिंग में जुटा है। उनका कहना है कि जिसे कोई साधन न मिला, न सही, कुछ उत्साही भक्त तो पैदल ही अयोध्या की ओर निकलने की तैयारी में हैं। कहते हैं 1526 से 1528 के बीच बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने विशाल राम मंदिर को तोडकर उसके मलबे को बाबरी मस्जिद बनवाई थी। तभी से वहां हिंदू- मुस्लिमों के बीच छिटपुट संघर्ष चल रहे थे। इस इमारत पर क़ब्ज़े के लिए। इस लंबे संघर्ष को अब एक सुखद मुक़ाम मिलने जा रहा है। इसीलिए देशभर में फ़िलहाल मंदिर का माहौल है। मुझे याद है जब 1992 में कार सेवा शुरू हुई थी, उस वक्त देशभर में घर-घर से राम शिलाएं अयोध्या के लिए निकली थीं। वैसा ही सहयोग अब फिर दिखने लगा है। लेकिन उस वक्त के माहौल और आज के वातावरण में अंतर है। उस वक्त आंदोलन की शुरूआत थी, अनिश्चितता थी, माहौल में गर्मी थी, विद्वेष का भाव था, लोगों में भक्ति के साथ साथ गुस्सा था लेकिन आज आंदोलन की परिणति की वेला है, एक नई शुरूआत की घड़ी है। अब कोई अनिश्चितता नहीं है, कोई विद्वेष नहीं है। अब सिर्फ भक्ति है, शान्ति है, सद्भाव है, ये बड़ा फर्क है। उस वक्त भी लोग भक्ति रस में डूबे थे। आज भी भक्ति में भाव विभोर हैं। उस वक्त भी गांव-गांव से, घर-घर से रामशिलाएं आ रही थी। आज भी घर-घर से राममंदिर के लिए सहयोग और समर्पण का भाव है, उपहार आ रहे हैं। दक्षिण में राम मंदिर के दरवाजे बन रहे हैं, गुजरात के शिल्पकार है, उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक के मूर्तिकार और मजदूर हैं। पूरे देश के लोगों का दान है। ये प्रभु राम की सार्वभौमिकता का प्रमाण है। अयोध्या में बन रहा राम मंदिर देश की एकता का प्रतीक है। इसलिए प्राण प्रतिष्ठा के इस समारोह को उसी भावना से लेना चाहिए।


सार्वजनिक अवकाश की मांग

22 जनवरी को श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्साह मनाए जाने और प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक पल को लाइव देखने की अपील करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री ने 22 जनवरी को ऐतिहासिक दिन बताते हुए देश भर में सार्वजनिक अवकाश की मांग की। उनका कहना है कि यदि देश में सार्वजनिक अवकाश नहीं होगा तो बहुत सारे लोग इससे वंचित रह जाएंगे। ऐसे में भारत सरकार से मांग की गई है कि लोगों की जनभावना को देखते हुए 22 जनवरी को देश में सार्वजनिक अवकाश करने की घोषणा करें।


जारी रहेगा निर्माण कार्य

अयोध्या शहर की तमाम सड़कें आने वाले दिनों में उमड़ने वाली भक्तों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए चौड़ी की जा रही हैं। तेजी से बदल रहे इस शहर में आप जिधर भी निकल जाएंगे, उधर ही आपको विकास कार्य होते नजर आएंगे। ऐसा लगता है कि मानों आने वाले कुछ अरसे में इस शहर की सूरत बदल जाएगी। वहीं रामजन्मभूमि स्थित रामलला के अस्थायी मंदिर के निकट ही भगवान राम का बेहद विशाल मंदिर आकार ले रहा है। बड़ी बड़ी मशीनों की सहायता से तेजी से चल रहा कार्य 22 जनवरी तक पूर्ण हो जायेगा। हालांकि इस बेहद विशाल मंदिर के बाकी चरणों का विकास कार्य 22 जनवरी को होने वाले भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद भी चलता रहेगा। उधर अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन के लिए आतुर भक्तों के लिए विशेष रेलगाड़ियां भी चलाने की तैयारियां की जा रही हैं।


मंदिरों से सजी है अयोध्या नगरी

अयोध्या में राम मंदिर के निकट स्थित गलियों में छोटे-बड़े न जाने कितने मंदिर हैं। सैंकड़ों वर्ष पुराने इन मंदिरों की अद्वितीय शिल्प शैली दर्शनीय है। अगर आपके पास समय की कमी है, तो भी आप रामजन्मभूमि मंदिर के अलावा हनुमान गढ़ी, कनक भवन व दशरथ महल स्थित बेहद सुंदर मंदिरों के दर्शन आसानी से कर सकते हैं। यहां पर लोगों की मान्यता है कि राम जी के दर्शन करने से पहले हनुमानगढ़ी में हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए। यही वजह है कि सुबह से लेकर शाम तक हनुमान गढ़ी पर काफी भीड़ रहती है। कहा जाता है कि राम जी के समाधि लेने के बाद हनुमान जी हनुमान गढ़ी से ही अयोध्या का शासन चलाते थे।


कई जगह है पिकनिक स्पाट

मंदिरों के अलावा पास ही स्थित राम कथा म्यूजियम भी दर्शनीय है। फिलहाल इसे नया लुक दिया जा रहा है। यहां पर आपको भगवान राम व रामायण से जुड़ी तमाम प्राचीन धरोहर देखने का मौका मिलेगा। वहीं अगर आपने राम जन्मभूमि क्षेत्र के चारों ओर स्थित सघन बाजारों में खरीदारी का आनंद नहीं लिया, तो आपका अयोध्या आने का आनंद अधूरा रह जाएगा। आप सरयू नदी के किनारे राम की पैड़ी का भी रुख कर सकते हैं। यहां बोटिंग करना भी मजेदार एक्सपीरियंस है। शाम को आरती के समय राम की पैड़ी पर भारी भीड़ उमड़ती है। यहां पर काशी की तर्ज पर पूर्ण विधि विधान से होने वाली भव्य आरती का दृश्य आपका मन मोह लेगा।


रामकथा पर फिल्म

राम की पैड़ी पर आरती के बाद आप सरयू के घाट पर स्थित काफी बड़े आकार की स्क्रीन पर रामकथा पर आधारित करीब आधा घंटे की फिल्म का आनंद ले सकते हैं। इस दौरान आसपास की इमारतों पर होने वाली भव्य लाइटिंग भी बेहद आकर्षक लगती है।


’राम मंदिर’ मॉडल की डिमांड, होंगे 50 हजार करोड़ के कारोबार 

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा व लोकार्पण से पहले भारत ही नहीं दुनिया भर के राम भक्तों में खासा उत्साह है. इस शुभ घड़ी को लोग यादगार बनाना चाहते है। कोई इसे दीवाली के रुप में मनाने में जुटा है, तो कोई गीता व रामायण पाठ कराने की तैयारी में है. इसके लिए लोग अयोध्या के राम मंदिर की रेप्लिका (प्रतिकृति) की जबरदस्त खरीदारी में जुटे है। दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों राम मंदिर मॉडल की खूब डिमांड हो रही है. हर रोज लाखों-करोड़ों के कारोबार हो रहे है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक जनवरी महीने में प्राण प्रतिष्ठ से पहले देशभर में लगभग 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होगा. इस खास दिन के लिए कारोबारियों ने भी कमर कस ली है और व्यापारिक स्तर पर भी तैयारियां तेज हो गई हैं. कुछ लोग हर साल 22 जनवरी को ’राम राज्य दिवस’ के रूप में घोषित करने की भी मांग की है. तो कुछ ने कार्यक्रम को दीवाली से बड़ा करने की अपील की है। ऐसे में श्री राम ध्वजा, श्री राम के चित्र और मालाएं, भगवान श्री राम वाले लॉकेट, चाबी के छल्ले, राम दरबार की फोटोस, राम मंदिर मॉडल की तस्वीरें समेत अन्य संबंधित सामानों की खरीदारी में जुटे है। इसमें राम मंदिर के मॉडल की खासी डिमांड देखने को मिल रही है.कैट के मुताबिक, राम मंदिर को लेकर उत्साह के बीच भगवान श्री राम से डुड़े सामानों की डिमांड के चलते रोजगार के अवसरों में भी इजाफा हो रहा है. एक तरफ राममंदिर के मॉडल को बनाने में बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, तो राज्यों में स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और हाथ से नक्कासी करने वालों को भी अवसर मिल रहे हैं, तो मिट्टी के दिये, रंगोली बनाने के लिए रंग, फूलों की सजावट और सजावटी लाइटों जैसे अन्य सेक्टर्स में भी व्यापार बढ़ने का संभावना है.






Suresh-gandhi


सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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