सीहोर : आस्था और उत्साह के साथ किया गया श्रीराम-माता जानकी विवाह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

सीहोर : आस्था और उत्साह के साथ किया गया श्रीराम-माता जानकी विवाह

  • बारात का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया

Vivah-panchmi-sehore
सीहोर। रविवार को शहर के कस्बा स्थित श्रीराम मंदिर राठौर समाज धर्मशाला में विवाह पंचमी के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और सीता का विवाह उत्सव मनाया गया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और माता सीता का पूरे विधि विधान के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्री राम विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। जहां पूरे कस्बा क्षेत्र में श्री राम भगवान की बारात निकाली गई और इस बारात में सैकड़ों की संख्या में भजन कीर्तन ढोलक की थाप पर नाचते गाते हुए पूरे क्षेत्र में बारात निकाली गई। इस मौके पर रविवार को कस्बा क्षेत्र पूरी तरह उत्साहपूर्ण वातावरण था सुबह महिला मंडल के द्वारा हल्दी-मेहंदी सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसके पश्चात मंदिर में मंडप में भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाह पूर्ण किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए आयोजन समिति के आलेख राज राठौर ने बताया कि हंसदास मठ सिद्धपुर सीहोर के महंत हरिदाम दास महाराज की प्रेरणा से भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें शनिवार को भगवान गणेश की पूजा अर्चना और अभिषेक आदि करने के पश्चात रविवार की शाम को धूमधाम से बारात निकाली गई और उसके पश्चात स्नेहभोज का आयोजन किया गया। बारात का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।


Vivah-panchmi-sehore
हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता की शादी हुई थी, वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल विवाह पंचमी पर मनाया गया था। धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी पर भगवान श्रीराम और मां जानकी की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मिथिला के राजा जनक अपनी बेटी सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं। स्वयंवर की सूचना मिलने पर भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ भी शामिल हो जाते हैं। सभा में मौजूद एक-एक करके कई योद्धा शिव धनुष को तोडऩे की कोशिश करते हैं, लेकिन वह असफल रहते हैं। तब भगवान राम शिव धनुष को तोड़ते हैं और माता सीता उन्हें वरमाला पहनकर अपना वर चुनती हैं। इसके बाद यह शुभ समाचार मिथिला से अयोध्या जाता है, जिसके बाद राजा दशरथ, भरत और शत्रुघ्न के साथ बारात लेकर आते हैं। मार्ग शीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम और माता सीता का विवाह होता है।

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