प्रयागराज : कैम्पस कथा का हुआ मंचन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

प्रयागराज : कैम्पस कथा का हुआ मंचन

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प्रयागराज। कैम्पस में नौजवानों के व्यक्तित्व को, उनकी आकांक्षाओं, उनके सपनों, उनके प्रेम और उनकी निराशाओं को आकार देता है. कैम्पसों के छात्रों की चेतना कैसे तैयारी होती है, जीवन से उनकी क्या उम्मीदें हैं? क्या यहाँ सभी लोग सफल होते हैं? असफल लोगों के साथ समाज का बर्ताव क्या होता है? असफलता के स्रोत व्यक्ति में हैं या व्यवस्था में? इन सभी सवालों को ‘कैम्पस कथा’ प्रस्तुति के ज़रिए यूनिवर्सिटी थियेटर के अभिनेताओं ने स्वराज विद्यापीठ में अपने बेहतरीन अभिनय में प्रस्तुत किया. प्रस्तुति में हिंदी कथाकार स्वयं प्रकाश की छोटी कहानी ’लड़कियाँ क्या बातें कर रही थीं’ है जिसमें कॉलेज जानी वाली लड़कियों की बातचीत के अनुमान के ज़रिए उनके जीवन के यथार्थ को प्रकट करने की कोशिश की गई है. कहानी एमए में पढ़ रही लड़कियों के बारे में है जो जीवन के निर्णायक मुहाने पर खड़ी हैं. दूसरी कहानी अखिलेश की ‘चिठ्ठी’ लंबी कहानी है जो ऐसे लड़कों के बारे में है जिनमें विद्रोह, मस्ती और उच्छृंखलता है. समय रेत की तरह उनके हाथों से फिसला जा रहा है. ये कहानी कैम्पस के ऐसे नौजवानों की याद दिलाता है जो कैम्पस के फलक पर चमचमाते हुए उभरते हैं लेकिन गुम हो जाते हैं. परिवार, प्रेम, नौकरी कुछ भी इनके हाथ में नहीं लगता. इस कहानी में इलाहाबाद का छात्र जीवन धड़कता है. 


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दोनों कहानियों को प्रस्तुति में इस तरह से जोड़ा गया जैसे दोनों एक दूसरे के पक्ष प्रतिपक्ष हों. लड़कियों की बातों को कहने के लिए सूत्रधार लड़का बनता है तो लड़कों की बात कहने के लिए लड़कियां. प्रत्येक दृश्य सजीव लग रहा था चाहे वह चाय की टपरी की गप्प हो या रूम खोजने की जद्दोजहद या जीवन से निराशा के बाद की महफिलों में आशा खोजने का प्रयास. प्रत्येक संवाद दर्शकों के जीवन के यथार्थ से जुड़ा था जिसे या तो वे भोग चुके थे या भोग रहे हैं.  संगीत ने संवाद अदायगी को गहराई दी. प्रस्तुति ने दर्शकों को हंसाया, उनके अपने जीवन में ले गया फिर आखिर में रुलाया भी. प्रस्तुति में मंच पर थे शिवम, श्रीह, शुभी, सौम्या, प्राची, दीपशिखा, सौम्या, माधवी, श्रद्धा, सैफ़, गौतम, प्रीत, आदित्य, शानु, हर्षित, जयप्रकाश, गौरव, चेतन, अर्पिता, कीर्ति, प्रज्ञा, दुर्गेश. मंच से बाहर की व्यवस्था संभाली हर्ष, अजीत, आदित्य, पूजा, शुभम आदि ने. प्रस्तुति प्रबंधन किया पीयूष ने और ध्वनि संचालन किया सक्षम ने. अभिनय प्रशिक्षण दिया था जहाँगीर ने, संगीत परिकल्पना अमर की थी और निर्देशन था अमितेश कुमार का. प्रस्तुति में प्रोफेसर आरसी त्रिपाठी, बसंत त्रिपाठी, अमित सिंह, उमेश चंद्र, लक्ष्मण गुप्ता  आदि अध्यापकों के साथ अजित बहादुर, शिव गुप्ता, नीरज आदि शहर के गणमान्य रंगकर्मी उपस्थित थे.

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