प्रयागराज। कैम्पस में नौजवानों के व्यक्तित्व को, उनकी आकांक्षाओं, उनके सपनों, उनके प्रेम और उनकी निराशाओं को आकार देता है. कैम्पसों के छात्रों की चेतना कैसे तैयारी होती है, जीवन से उनकी क्या उम्मीदें हैं? क्या यहाँ सभी लोग सफल होते हैं? असफल लोगों के साथ समाज का बर्ताव क्या होता है? असफलता के स्रोत व्यक्ति में हैं या व्यवस्था में? इन सभी सवालों को ‘कैम्पस कथा’ प्रस्तुति के ज़रिए यूनिवर्सिटी थियेटर के अभिनेताओं ने स्वराज विद्यापीठ में अपने बेहतरीन अभिनय में प्रस्तुत किया. प्रस्तुति में हिंदी कथाकार स्वयं प्रकाश की छोटी कहानी ’लड़कियाँ क्या बातें कर रही थीं’ है जिसमें कॉलेज जानी वाली लड़कियों की बातचीत के अनुमान के ज़रिए उनके जीवन के यथार्थ को प्रकट करने की कोशिश की गई है. कहानी एमए में पढ़ रही लड़कियों के बारे में है जो जीवन के निर्णायक मुहाने पर खड़ी हैं. दूसरी कहानी अखिलेश की ‘चिठ्ठी’ लंबी कहानी है जो ऐसे लड़कों के बारे में है जिनमें विद्रोह, मस्ती और उच्छृंखलता है. समय रेत की तरह उनके हाथों से फिसला जा रहा है. ये कहानी कैम्पस के ऐसे नौजवानों की याद दिलाता है जो कैम्पस के फलक पर चमचमाते हुए उभरते हैं लेकिन गुम हो जाते हैं. परिवार, प्रेम, नौकरी कुछ भी इनके हाथ में नहीं लगता. इस कहानी में इलाहाबाद का छात्र जीवन धड़कता है.
शनिवार, 23 दिसंबर 2023
प्रयागराज : कैम्पस कथा का हुआ मंचन
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