- अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा भी दी जाती है : हरीश अग्रवाल
सीहोर। मानव अधिकार की रक्षा हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। हमारी परम्पराओं में हमेशा व्यक्ति के जीवन निमित समता, समानता उसकी गरिमा के प्रति सम्मान, इसको स्वीकृति मिली हुई है। सर्वे भवन्तु सुखेन की भावना हमारे संस्कारों में रही है। मानवाधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है, जो व्यक्ति के जीवन में स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा भी दी जाती है। उक्त विचार शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र में आयोजित दो दिवसीय मानव अधिकार दिवस का आयोजन में समाजसेवी हरीश अग्रवाल ने कहे। इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमें अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए। योजनाओं के प्रति सजग रहते है तो उसका लाभ मिलता है। सोमवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान पिपलेश्वर महादेव समिति की ओर से ऋषिराज शर्मा, मनोज जैन और केन्द्र की ओर से बीपी शर्मा, विकास अग्रवाल आदि ने यहां पर संगोष्ठी और प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागी केन्द्र के हितग्राही मनीष सोनी, लंकेश मालवीय, सर्वेश निगम और रविन्द्र मालवीय को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इस मौके पर समिति के वरिष्ठ पदाकारी श्री शर्मा ने कहा कि मानवाधिकार आयोग का कार्य राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों के साथ-साथ मजदूरी, एचआईबी, एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना है। इस बात पर जोर दिया कि हमें कर्तव्यों का बोध होना चाहिए अधिकारों की मांग से पहले सिर्फ जानकारी दी बल्कि उनकी मानव अधिकारों से संबंधित बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर दे करके उनकी शंकाओं का समाधान किया। स्वतंत्रता, समानता और न्याय का अधिकार सभी के लिए समान है। आइये, इस मानवाधिकार दिवस पर हम सब संकल्प लें कि मानव अधिकार के हितों की रक्षा में सहयोग कर राष्ट्र एवं समाज के नवनिर्माण में भागीदार बनेंगे
भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को मानवाधिकार प्रदान की
वहीं केन्द्र के श्री अग्रवाल ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्घ के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकार की घोषणा की। भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को मानवाधिकार प्रदान की। भारतीय संविधान में जो लोक कल्याणकारी राज्य की कल्पना की है। उसे साकार करने में मानवाधिकार का योगदान है। देश में सच्ची शांति और आजादी तभी हासिल की जा सकती है, जब हम प्रत्येक नागरिक की प्रकृति प्रदत्त मानवीय गरिमा का सम्मान करें तथा ऐसी सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्था कायम करें जो सबके लिये समान और न्यायपूर्ण हो।मानव अधिकार सभी मनुष्यों के सार्वभौमिक अधिकार हैं चाहे उनकी जाति रंग लिंग भाषा धर्म राजनीतिक या अन्य राष्ट्रीय या सामाजिक मूल संपत्ति जन्म या अन्य स्थिति कुछ भी हो मनुष्य होने के नाते मानव अधिकार सजग रूप से प्राप्त है समस्त मानव प्राणियों को एक दूसरे के मानव अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।
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