दरभंगा : नीतीश कुमार खुद को भले ही सुशासन बाबू कह रहे हों, जनता नहीं कहती: प्रशांत किशोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

दरभंगा : नीतीश कुमार खुद को भले ही सुशासन बाबू कह रहे हों, जनता नहीं कहती: प्रशांत किशोर

नीतीश कुमार की I.N.D.I.A गुट में भूमिका पर प्रशांत किशोर का जोरदार हमला, कहा- नीतीश का बिहार में ही वर्चस्व नहीं है तो पूरे देश में क्या हो जाएगा, रैली बनारस में ही क्यों? केरल में भी करनी चाहिए तभी पता चलेगा 42 विधायक वाले नेता की ताकत

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पटना: नीतीश कुमार INDIA गुट की दिल्ली में होने बैठक में भले ही शामिल हो रहे हों, लेकिन इस गठबंधन में उनकी भूमिका को लेकर संस्पेंस बना हुआ है। बैठक से पहले बिहार में महागठबंधन के सहयोगी नीतीश कुमार को कभी आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए INDIA गुट का प्रधानमंत्री उम्मीदवार तो कभी कन्वेनर बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। इसी क्रम में नीतीश कुमार की INDIA गुट और राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका को लेकर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार का जब बिहार में कोई वर्चस्व नहीं है, तो राष्ट्रीय स्तर पर कैसे हो जाएगा। मेरे कहने पर मत भरोसा करिए, 243 विधायकों वाली बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार की पार्टी के सिर्फ 42 विधायक हैं। ये संख्या क्या बताती है कि बिहार में उनके वर्चस्व की क्या हकीकत है? पूरे बिहार में 12 से 13 प्रतिशत ही उनको वोट मिले हैं। ये आंकड़े क्या बता रहे हैं कि 100 में अगर 12 वोट आपको मिले हैं, तो क्या बिहार में आपका बहुत वर्चस्व है। जिसका बिहार में ही वर्चस्व नहीं है उसका पूरे देश में कैसे हो जाएगा, ये तो कॉमन सेंस की बात है। जहां तक नीतीश कुमार के वाराणसी में रैली करने की बात है, तो आपको किसने रोका है, आप केरल में जाकर रैली कर लीजिए। रैली करने पर तो रोक नहीं है। 


दरभंगा : नीतीश कुमार खुद को भले ही सुशासन बाबू कह रहे हों, जनता नहीं कहती: प्रशांत किशोर

दरभंगा के अलीनगर प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में सोमवार को प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के सुशासन बाबू वाली इमेज पर तंज कसते हुए कहा कि हमको तो कोई नहीं मिला, जो नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कह रहा है। पहले किसी जमाने में 2005 से 2012 का एक दौर था, जब लोगों को, बिहार की जनता को ये लगा था कि बिहार में कुछ सुधार हो रहा है। लोगों को इसलिए वो महसूस हुआ था, क्योंकि बिहार की जनता ने 15 सालों तक लालू यादव का जंगलराज देखा था। एक कहावत है न कि जब बहुत अंधेरा होता है, तो उसमें एक छोटा सा दीपक भी जलेगा तो उसका प्रकाश थोड़ा ज्यादा दिखता है। कुछ प्रयास नीतीश कुमार ने शुरुआती दिनों में किया भी था, लेकिन 2014 के बाद के जो नीतीश कुमार हैं उनको कोई भी सुशासन बाबू नहीं कहता है। वो खुद ही अपने आपको कहते हैं जनता उनको सुशासन बाबू नहीं कह रही है। किसी भी गांव, देहात में मुझे कोई नहीं मिला जो नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कह रहा हो या जो राज्य वो चला रहे हैं उसमें सुशासन है। लोग तो ये कहते हैं कि लालू यादव के राज में अपराधियों का जंगलराज था और नीतीश कुमार के राज में अधिकारियों का जंगलराज है।

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