श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने बताया कि जैन विधायकों से जैन समाज को बहुत सारी उम्मीदें हैं। इनमें जैन संतों के सुरक्षित विहार, प्राचीन और नवीन जैन धरोहर की सुरक्षा, इतिहास व साहित्य में जैन धर्म व समाज के योगदान का समुचित समावेश को सुनिश्चित करना आदि प्रमुख हैं। जैन समाज में भी आर्थिक दृष्टि से कमजोर आबादी है। जरुरतमंद व्यक्तियों के लिए बनीं सरकारी योजनाएं उन तक भी बिना भेदभाव पहुंचें, यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है। विधायक समाज और सरकार के बीच सेतु का काम कर सकते हैं। विगत कुछ वर्षों में देश के किसी न किसी हिस्से से जैन तीर्थों पर अतिक्रमण और छेड़छाड़ की खबरें पढ़ने-सुनने में आ रही हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी के साथ ऐसा कतई नहीं होना चाहिये। ऐसी घटनाएँ शून्य होनी चाहिये। देश व प्रदेश में जहां कहीं यदि जैन संतों व जैन संस्कृति पर कुठाराघात होता है तो जैन विधायकों से आशा की जाती है कि वे सबको साथ लेकर तत्काल सकारात्मक रुख दिखाते हुए समाज का साथ दें। साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने उम्मीद जताई कि जैन विधायक अपने सार्वजनिक जीवन में अहिंसक मूल्यों को बढ़ावा देते हुए जनता और देश की सेवा का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। हमारी जानकारी के अनुसार तीनों राज्यों में जैन विधायकों की सूची नीचे दी जा रही है।
राजस्थान -
सर्वश्री प्रताप सिंह सिंघवी, शांतिलाल धारीवाल, लादूलाल पितलिया, ताराचंद जैन, गौतम दक, रोहित बोहरा, अतुल भंसाली, अशोक कोठारी, दीप्ति सिंघवी महेश्वरी,
मध्यप्रदेश -
सर्वश्री ओमप्रकाश सकलेचा, चेतन काश्यप, सुरेंद्र पटवा, अनिल कालुहेड़ा, दिनेश बोस, देवेंद्र जैन, शैलेन्द्र जैन, अनिल जैन, विपिन जैन, जयंत मलैया।
छत्तीसगढ़ -
सर्वश्री राजेश मुणोत
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