- हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान को एक सूत्र में बांधने का काम करता है : एस के मालवीय
- हिंदी का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है- अंशुमान प्रसाद दास
कार्यशाला के प्रथम सत्र में लेखक और कवि डॉ. विमलेंदु कुमार सिहं ने हिन्दी के संवर्धन में स्थानिय भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ० विमलेन्दु कुमार सिंह ने कहा कि हिन्दी के संवर्द्धन में स्थानीय भाषा का अत्याधिक महत्व है। चूंकि बिहार में पांच स्थानीय भाषाएं बोली जाती हैं, जिसमें मैथिलि को छोड़कर शेष चार भाषा भोजपुरी, अंगिका, बजिका एवं मगही सभी की लिपि हिन्दी देवनागरी ही है। उक्त स्थानीय भाषाओं का हिन्दी को सबल बनाने में बहुत ही सहायक है। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में कुमार सुन्दरम में हिन्दी की व्यापकता और संवैधानिक स्वीकार्यता होने के कारण राजभाषा का महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री सुन्दरम में कहा कि राजभाषा एक सम्पर्क भाषा के रूप में कार्य करती है। यह कारण है कि हिन्दी को संवैधानिक स्वीकार्यता मिली। युग युगों से हर सदी का सिलसिला है आदमी। एक जाता एक आता कम न होता आदमी। हिन्दी भारत की राजभाषा है. संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार, हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है. संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत, संघ की राजभाषा हिन्दी है। अनुच्छेद 351 के तहत, हिन्दी भाषा का प्रसार, वृद्धि और विकास करना संघ का कर्तव्य है. हिन्दी भाषा को भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाना है। साथ ही बताया कि हिंदी की व्यापकता के लिए हिंदी की बोलियों जैसे भोजपुरी अंगिका अवधी के विकाश पर बल देना होगा।
कार्यशाला के तृतीय सत्र में बबन कुमार, हिन्दी अधिकारी, लेखा एवं परीक्षा कार्यालय, पूर्व मध्य रेल, हाजीपुर ने राजभाषा नीति, राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियम / आदेशों पर विस्तार से अपना विचार रखे। जिला युवा अधिकारियों के प्रश्नों के उत्तर का निष्पादन किया गया। उन्होंने संचिका, आदेश, टिप्पण आलेखन आदि विषयों पर चर्चा की गई। हिन्दी पखवाड़ा के अंतर्गत हिन्दी निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिसमें तीन प्रतिभागियों का चयन किया गया, जिसमें प्रथम पुरस्कार सुश्री रश्मि सिंह, जियुअ, नेयुकें मजुफ्फरपुर, द्वितीय पुरस्कार श्री जनक राज मीणा, जियुअ, नेयुकें कटिहार एवं तृतीय पुरस्कार श्री सागर माहेश्वरी, जियुअ, नेयुकें बक्सर को प्रदान किया गया। पुरस्कार के लिए क्रमशः रू० 800/-, रू0 500/- तथा रू0 300/- की राशि दी गई तथा उनको प्रमाणपत्र भी दिया गया। अंत में सत्येन्द्र प्रसाद कर्ण, ए. पी. एस., राज्य कार्यालय, पटना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम के दौरान चन्देश्वर पाण्डेय, समित कुमार राजू ने कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग किया। मौके पर पीआईबी-सीबीसी के उपनिदेशक संजय कुमार मौजूद थे । बिहार के सभी जिलों के कुल 36 जिला युवा अधिकारी तथा लेखा एवं कार्यक्रम सहायक ने भाग लिया।
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