प्राचीनता और आधुनिकता के साथ तालमेल मिलाकर चलती काशी के घाटों की श्रृंखला में एक और पक्का घाट जुड़ गया है। वरुणा से असि नदी के संगम के बीच 84 घाट किनारे बसे काशी के इतिहास में यह वाराणसी के पहले मॉडल घाट के रूप में अपनी आध्यात्मिक पहचान बनायी है। खास यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस घाट को गेबियन और रेटेशन वाल से तैयार किया गया है। इससे बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा। यह देखने में पुराने घाटों की तरह है। भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन शैली की पहचान के तौर पर पहचान रखने वाले सूर्य नमस्कार को समर्पित इस घाट को अब बस इंतज़ार है पीएम मोदी के हाथ लोकार्पित होने का। दावा है कि इससे काशी में आस्था के साथ ही पर्यटन और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। नमो घाट का आदिकेशव घाट तक लगभग 1.5 किमी तक विस्तार हुआ है। यह पहला घाट है जो जल, थल और नभ से जुड़ा है। यहां पर्यटक सुबह-ए-बनारस की आरती, वाटर एडवेंचर, योगा, और संध्या की गंगा आरती भी होगी। इस घाट पर गेल इंडिया की तरफ से एक फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी लगाया गया है। इस घाट से क्रूज़ के ज़रिए वाराणसी और आसपास के शहरों में भी लोग जा सकेंगे। घाट पर हेलीकाप्टर भी उतरेगा। इसके लिए यहां तीन हेलीपैड बनाए गए हैं। इसके अलावा फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन, ओपन एयर थियेटर, विसर्जन कुंड, फ्लोटिंग जेटी पर बाथिंग कुंड तथा चेंजिंग रूम का भी निर्माण हुआ है। योगा स्थल, वाटर स्पोर्ट्स, चिल्ड्रन प्ले एरिया, कैफ़ेटेरिया के अलावा अन्य सुविधाएं होंगी। यह घाट वाराणसी का पहला ऐसा घाट है, जो दिव्यांगजनों के पूर्णतः अनुकूल बनाया गया है। नमो घाट का पुनर्निर्माण दो फेज में किया गया है। इसका निर्माण 81000 स्क्वायर मीटर 91.06 करोड़ से किया गया है। इस परियोजना में सीएसआर के माध्यम से इंडियन ऑयल फाउंडेशन ने भी वित्तपोषण किया है।सूर्य का अभिवादन करता हुआ स्कल्पचर नमो घाट काशी का नई पहचान बन गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह नमो घाट बनकर तैयार है। दावा है कि इससे आस्था, पर्यटन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आप वहां आंतरिक शांति और आत्मज्ञान पा सकते हैं। खास यह है कि इस घाट पर तीन हेलीपैड बनाए गए है, जहां काशी-अयोध्या के बीच हेलिकॉप्टर सर्विस शुरू होगी। इसके अलावा वंदे भारत भी चलाने की तैयारी है। देखा जाएं तो जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद बने हैं, काशी लगातार निखरती जा रही है। बनारस के घाट संवरते जा रहे हैं. 8 किमी लंबे गंगा के तट पर अलग-अलग क्षेत्र, समुदाय, संस्कृति से परिचित कराते घाटों के बाद अब आध्यात्मिक पहचान के तौर पर एक नया घाट ’नमो घाट’ बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है. नमो घाट प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जल्द ही वो इसका उद्घाटन करने वाराणसी आ सकते हैं. सब कुछ ठीक रहा, तो 22 जनवरी यानी अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले ही हेलिकॉप्टर सेवा शुरू हो जाएगी। तब दोनों शहरों के बीच 220 किमी की दूरी 40-50 मिनट में तय हो सकेगी
जंगल में मंगल
आम तौर पर असि नदी के संगम स्थली के पास असि घाट से लेकर राजघाट पुल के दूसरी तरफ जहां वरुणा नदी का गंगा से संगम होता है, उस तरफ करीब आधे किमी की दूरी तक खिड़कियां घाट होता था, जो दिन में भी उजाड़ और बियाबान ही रहता था। लोग दिन में भी खिड़कियां घाट जाने से डरते थे। पीएम मोदी ने पौराणिकता और आधुनिकता कि सोच के तहत स्मार्ट सिटी ने इस परियोजना को तैयार किया। पीएम मोदी ने 2019 में दो बड़े प्रोजेक्ट वाराणसी में शुरू किए थे। दोनो ही योजनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई थी। पहली योजना थी काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण। 2019 में ही एक ऐसे घाट के निर्माण की नींव उन्होंने रखी, जो देश विदेश के पर्यटकों को शहर के जाम में फंसने से बचा सके। घाट पर एक मल्टीपर्पज प्लेटफॉर्म भी है, जहां एक से ज्यादा हेलिकॉप्टर सीधा लैंड कर सकते हैं। घाट पर उतरने के बाद पर्यटक सीधा जलमार्ग से बिना ट्रैफिक में फंसे बाबा विश्वनाथ के धाम में दर्शन करने जा सकेंगे। इतना ही नही ये एक मात्र ऐसा घाट है जो पूरी तरह से दिव्यांगों के लिए समर्पित है। इस घाट पर सड़क से व्हीलचेयर से दिव्यांगजन सीधा माँ गंगा के पास तक पहुंच सकते है और आचमन कर सकते हैं।लोगों के आकर्षण का केन्द्र
नमो घाट सूर्य नमस्कार को समर्पित घाट हैं। घाट में भारतीय संस्कृति की “नमस्ते“ मुद्रा की 3 मूर्तियां हैं, जो घाट का प्रमुख आकर्षण है। 3 हाथ की मूर्तियों में से एक पुरुष का हाथ, एक स्त्री का हाथ और एक बच्चे का हाथ है। खास यह है कि काशी के अर्द्धचंद्राकार घाटों की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला नमो घाट दुनियाभर के सैलानियों के लिए काशी में एक नया ठौर बनेगा। अजीत सिंह बग्गा ने बताया कि पीएम मोदी के हाथों लोकार्पित व शिलान्यास वाली परियोजनाओं से काशी के लोगों का जीवन आसान बनने के साथ आधुनिक सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा। काशी का पुनर्निर्मित ’खिड़किया घाट’ जिसे अब नमो घाट के नाम से जाना जाता है, जल्द ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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