पटना : तेजस्वी के दावे पर सवाल, कौन बड़ा उद्योगपति आया? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

पटना : तेजस्वी के दावे पर सवाल, कौन बड़ा उद्योगपति आया?

तेजस्वी यादव का दावा 'Global Investors Summit से 50 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट' प्रशांत किशोर ने खोली पोल, बोले- तेजस्वी यादव के जीवन में पहली बार शायद कोई इस तरह का सम्मेलन हुआ, तेजस्वी को बताना चाहिए कि समिट में आया था कौन बड़ा उद्योगपति?

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पटना: हाल ही में हुए global investors summit को लेकर जेडीयू और आरजेडी के नेता खूब वाहवाही लूटने में लगे हैं। इस समिट को लेकर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दावा किया कि समिट से बिहार में 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। तेजस्वी के दावों की पोल खोल खोलते हुए जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि पहले तो ये बताइए कि तेजस्वी यादव नंबर 50 करोड़ कहे हैं, या 50 हजार करोड़ कहे हैं। तेजस्वी यादव के जीवन में पहली बार शायद कोई इस तरह का सम्मेलन हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि देश के ज्यादातर राज्यों में इस तरह के सम्मेलन होते हैं। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक में जब इस तरह का सम्मेलन होता है तो पचार हजार करोड़ नहीं, ​ये एमओयू नहीं इसको इंटेंट कहते हैं। ये कोई इन्वेस्टमेंट नहीं होता है। इसमें लोग घोषित करते हैं 30 लाख करोड़, 40 लाख करोड़ और 50 लाख करोड़ और उसके बदले इन्वेस्टमेंट 2 हजार करोड़ का होता है। इसमें देश का कौन सा बड़ा उद्योगपति आया था, जरा ये कोई बता दे। बिहार में कहां पर, कौन सी फैक्ट्री चालू करने की बात हुई या प्रपोजल घोषित हुआ है, ये बता दीजिए। 


MOU जिस कागज पर ये लिखा होता है उसकी कीमत होती है ज्यादा

तेजस्वी यादव के बौद्धिक स्तर पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव को जितनी समझ है उतना ही तो बोलेंगे। बिजनेस समिट के एमओयू की कोई वैल्यू नहीं है और ये नॉन बाइंडिंग एग्रीमेंट है। आप इस समिट में जाइएगा और बिजनेसमैन बनकर कहिएगा कि हम 20 हजार करोड़ रुपये का बिहार में इन्वेस्टमेंट करेंगे। सरकार उसको लिख लेगी कि ये बिहार में  20 हजार करोड़ रुपये का बिहार में इन्वेस्टमेंट करेंगे, तो ये कोई बाइंडिंग एग्रीमेंट नहीं है और इससे पैसा नहीं आया है। मीटिंग में आप आए और आपने कह दिया कि हां! हम पैसा यहां इन्वेस्ट करेंगे। अगर जितने पैसे का एमओयू होता है और उतना पैसा इन्वेस्ट होने लगे तो गुजरात में 90 लाख करोड़ रुपये का एमओयू पिछले 10 सालों में हुआ है। इसकी कोई वैल्यू नहीं है, एक पैसे की भी नहीं है। जिस कागज पर ये लिखा होता है उस कागज की कीमत उससे बहुत ज्यादा है।

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