मिली जो एक संस्था से,
एक दिशा मिली जीवन में,
देख पाई फिर से मैं,
अपने सपने नई उम्मीद के,
था कविता लिखने का शौंक मुझे,
पर न जाने रह गई क्यों पन्नों में,
छिपकर वो लिखने के शौक मेरे,
मिली है फिर एक नई उम्मीद मुझे,
अपने सपनों को पूरा करने का,
अपने नाम से गांव का नाम रौशन करने का,
जिसे करके दिखाना है मुझे, कुछ बताना है मुझे,
लड़की भी हो सकती है अपने पैरों पर खड़ी,
अपने मां बाप का सहारा वह भी बन सकती,
कुछ बनकर समाज को देना है सब जवाब,
चरखा से मिला है आगे बढ़ने का रास्ता,
अब रुकना नहीं है किसी के डर से,
बनानी है हर लड़की को खुद में एक पहचान,
हासिल करनी है हर मंज़िल और मुकाम।।
तानिया
चोरसौ, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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