पहली फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार छठवीं बार केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट से मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को उम्मीदें तो हैं, सबसे दिलचस्प होगा ‘मोदी की गारंटी’ से जुड़ी योजनाओं का, जिसमें ‘मोदी की गारंटी’ पर होने वाले व्यय को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाएगा या फिर कर राजस्व, गैर-कर और विनिवेश प्राप्तियों के अनुमान को बढ़ाया जाएगा. सबसे अधिक संभावना यह है कि अंतरिम बजट आसन्न लोकसभा चुनावों की जरूरतों के अनुरूप होगा. मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों समेत मतदाताओं के बड़े वर्ग को आकर्षित करने के लिए ‘लोकलुभावन योजनाएं’ पेश की जा सकती हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर डिफेंस सेक्टर्स के लिए बड़ा ऐलान हो सकता है. इनकम टैक्स कलेक्शन बजट अनुमान से कहीं बेहतर रहेगा. मतलब साफ है टैक्स छूट से लेकर रोजगार का तोहफा मिल सकता है. जीएसटी लक्ष्य के अनुरूप है. सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क का प्रदर्शन जरूर खराब रहा है. लेकिन आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से अधिक डिविडेंड आने के कारण नॉन-टैक्स रेवेन्यू, बजट अनुमान से अधिक होगा. जबकि राजकोषीय मजबूती के लिए अभी इंतजार करना होगा। अतिरिक्त व्यय के लिए गैर-ऋण प्राप्तियां अच्छी स्थिति में रहने की संभावना हैफिरहाल, आम आदमी के लिए सबसे बड़ी चिंता रोजगार है. बेरोजगारी की चिंताओं का सामना कर रहा मध्यम वर्ग उन नीतियों और योजनाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहा है जो रोजगार के अधिक अवसर पैदा कर सकें. चुनाव के मद्देनजर, अंतरिम बजट में नौकरी के अवसर में बढ़ोतरी होने की उच्च उम्मीद है. साथ ही मध्यम वर्ग के लिए टैक्स छूट, किफायती आवास, महंगाई से राहत और होम लोन ब्याज दर में कमी जैसी चीजों के ऐलान की भी संभावना है. खास यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कई घोषणाएं कीं. इसमें अन्य बातों के अलावा 450 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर, गरीब महिलाओं को 1,250 रुपये का कैश ट्रांसफर, 21 साल की उम्र की तक गरीब लड़कियों को 2 लाख रुपये आदि की घोषणाएं शामिल हैं और इन्हें ‘मोदी की गारंटी’ का नाम दिया गया. दावा है कि सरकार इस गारंटी को पूरा करने के लिए अगर जरूरत हुई, तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर थोड़ी रियायत भी ले सकती है. बता दें, सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए मुफ्त और लोकलुभावन योजनाओं के जरिये मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है. सरकार ने 2019 में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लक्षित किया था. कुल मिलाकर ये लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं. ऐसी संभावना है कि सरकार इस बार भी इन मतदाताओं का खास ध्यान रखेगी. उस समय वित्त मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यम वर्ग को आकर्षित करने के लिए 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम को आयकर से छूट दी थी. साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपये नकद भी उपलब्ध कराने की घोषणा की. इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र से जुड़े 50 करोड़ श्रमिकों को रिटायरमेंट पेंशन में सरकारी योगदान का भी प्रस्ताव किया गया था.
सूत्रों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में उछाल दिख रहा है. इससे कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बजट अनुमान से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डायरेक्ट टैक्सेज से 18.23 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा था. इस मद में 10 जनवरी, 2024 तक टैक्स कलेक्शन 14.70 लाख करोड़ रुपये हो चुका था, जो बजट अनुमान का 81 फीसदी है. अभी वित्त वर्ष पूरा होने में 2 महीने महीने से अधिक का समय बाकी है. वहीं जीएसटी के मोर्चे पर केंद्रीय जीएसटी राजस्व 8.1 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से लगभग 10,000 करोड़ रुपये अधिक होने की उम्मीद है. हालांकि, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क संग्रह में करीब 49,000 करोड़ रुपये की कमी की आशंका है. असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी और वेतन कटौती को लेकर काफी संकट है. केंद्र सरकार के पास असंगठित क्षेत्र के 30 करोड़ श्रमिकों का आंकड़ा है. वित्त मंत्री इन श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकती हैं। उन्हें सालाना कुछ नकद राशि देने की घोषणा की जा सकती है. बता दें कि बिहार सरकार ने हाल ही में 6,000 रुपये प्रति माह से कम आय वाले 94 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा की है. इसको देखते हुए अंतरिम बजट में इस तबके को प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय सहायता दिये जाने की संभावना है. सरकार ने राजकोषीय घाटा 17.9 लाख करोड़ रुपये यानी 5.9 फीसदी रहने का अनुमान रखा है. यह अनुमान सकल घरेलू उत्पाद के 301.8 लाख करोड़ रुपये के अनुमान पर आधारित था. 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी 296.6 लाख करोड़ रुपये रहने पर यह 6 फीसदी यानी 17.8 लाख करोड़ रुपये बनता है. यह बजट में तय लक्ष्य के लगभग बराबर है. सरकार ने राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है. यानी वर्तमान के 6 फीसदी की तुलना में इसमें 1.5 फीसदी की कमी लानी होगी. सरकार बाजार मूल्य पर 10.5 फीसदी आर्थिक बढ़ोतरी के साथ 2024-25 में जीडीपी का अनुमान 327.7 लाख करोड़ रुपये रख सकती है. ऐसे में राजकोषीय घाटे में 0.75 फीसदी कटौती करने का मतलब है कि व्यय में 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमी करनी होगी. यह मुश्किल लगता है. दूसरी तरफ सरकार की लोकलुभावन योजनाओं पर भी खर्च होने की संभावना है.
टैक्स में राहत की उम्मींद
वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए बजट में इनकम टैक्स स्लैब में चेंज दिखाई दे सकता है. हालांकि, बहुत बड़ा बदलाव नहीं होगा. लेकिन, एक खास सैलरी वर्ग वालों को कुछ छूट संभव है. हालांकि, वोट ऑन अकाउंट है तो टैक्सपेयर्स की विश पूरी होगी या नहीं ये वक्त बताएगा. फिलहाल चर्चा ये है कि बजट 2024 में 10 लाख रुपए तक की सैलरी वालों को बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. एक खास सैलरी वर्ग वालों को कुछ छूट संभव है. मौजूदा टैक्स सिस्टम में न्यू रिजीम में 15 लाख रुपए की आय वालों पर 20 फीसदी टैक्स लगता है. मतलब अगर 10 लाख तक देखें तो 10 और 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. वहीं, 15 लाख पर 20 फीसदी टैक्स है. ऐसी संभावना है कि 15 फीसदी के स्लैब को खत्म कर दिया जाए. 10 लाख तक सीधे 10 फीसदी और 10 से 15 लाख रुपए की इनकम पर सीधे 20 फीसदी टैक्स लगाया जाए. ऐसी स्थिति में 10 से 12 फीसदी स्लैब में आने वालों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा लेकिन, 10 लाख तक काफी बड़ी राहत मिल जाएगी. सूत्रों की मानें तो स्लैब को तोड़कर इसे ओल्ड रिजीम से भी आकर्षक बनाना है. हालांकि, इसमें बाकी छूट नहीं मिलेंगी. न्यू टैक्स रिजीम हो या फिर ओल्ड टैक्स रिजीम, दोनों ही स्ट्रक्चर में 15 लाख रुपए से ऊपर की सैलरी वालों को 30 फीसदी टैक्स चुकाना होता है. आने वाले दिनों में भी स्थिति ऐसी ही रहेगी. इस इनकम वर्ग को कोई खास छूट देने का इरादा नहीं है. लोगों को उम्मीद है कि इस बजट में राष्ट्रीय पेंशन योजना में जमा अमाउंट विड्रॉल के समय टैक्स बनाने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती सीमा बढ़ाना भी शामिल करेगी. वहीं वेतन पाने वाले कर्मचारियों को होम लोन के रिपेमेंट के लिए एक अलग कटौती, सेक्शन 80 सी और 80 डी छूट में बढ़ोतरी की उम्मीद है. मौजूदा समय में धारा 80सीसी1 के मुताबिक, धारा 80सी, 80सीसी1 के तहत उपलब्ध कटौतियां एक साथ मिलाकर अधिकतम सालाना 1.50 लाख रुपये तक है. 2014 में 1.50 लाखरुपये की इस सीमा को 1 लाख रुपये से संशोधित किया गया था. ऐसे में उम्मीद है कि 2.50 लाख रुपये तक इसे किया जा सकता है। ओल्ड टैक्स रिजिम के तहत 2014 से टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं हुआ, जिस कारण टैक्स का बोझ लोगों पर बढ़ रहा है. ऐसे में पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव होने की उम्मीद है.
पुरानी टेक्स व्यवस्था के तहत मौजूदा टैक्स स्लैब
3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा
3-6 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा
6-9 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा
9-12 लाख रुपये के बीच आय पर 15 फीसदी ब्याज
12-15 लाख रुपये के बीच आय पर 20 फीसदी ब्याज
15 लाख रुपये और उससे अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा
आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत आवासीय घर के लिए होम लोन की मूल राशि के रिपेमेंट के लिए टैक्स योग्य आय से 1.5 लाख रुपये तक की कटौतीका दावा करने की अनुमति है. हालांकि यह कटौती आप किसी अन्य योजनाओं के तहत भी ले सकते हैं, जिसमें जीवन बीमा योजना, सरकारी योजना और अन्य. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि लोगों को राहत देने के लिए होम लोन रिपेमेंट के लिए अलग से टैक्स छूट पेश की जा सकती है. मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाया जाएगा, सम्मान निधि में 6 के बजाय 8 या 10 हजार रुपये का प्रावधान किया जा सकता है। महिला मुखिया वाले परिवारों के लिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत नई स्कीम का ऐलान हो सकता है। आयकरदाताओं के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया जा सकता है। इंश्योरेंस पर टैक्स रिबेट बढ़ाई जा सकती है। होम लोन के इंटरेस्ट पेमेट पर टैक्स छूट में इजाफा किया जा सकता है। स्टार्टअप्स की सहूलियत बढ़ाने के इंतजाम हो सकते हैं। गीजर, रूम हीटर, एयर फ्यूरीफायर पर बंपर ऑफर, 50 फीसदी तक की छूट मिल सकती है। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस ने मौजूदा वित्त वर्ष में ळक्च् ग्रोथ 7.3 फीसदी होने का अनुमान लगाया है, लेकिन उसी का यह भी कहना है कि कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 1.8 फीसदी ही रह सकती है। रोजगार का मामला भी अच्छा नहीं दिख रहा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक, 20 से 24 साल के एज ग्रुप में बेरोजगारी दर 44 फीसदी से अधिक रही। जुलाई से सितंबर तक के तीन महीनों यह 43 फीसदी से अधिक थी। 25 से 29 साल के एज ग्रुप में 14.33 फीसदी के साथ बेरोजगारी दर 14 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जो जुलाई-सितंबर तिमाही में साढ़े 13 फीसदी थी। लिहाजा अंतरिम बजट में नौजवानों और किसानों को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐलान किए जा सकते हैं। चुनावी मौका है तो महिलाएं और कम आमदनी वाले टैक्सपेयर भी सरकार की नजर में होंगे।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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