सीहोर : प्रभू श्रीराम ने घोर संसारिक कष्ट भोगकर भी श्रेष्टी में हस्तक्षेप नहीं किया : पं रविशंकर तिवारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 जनवरी 2024

सीहोर : प्रभू श्रीराम ने घोर संसारिक कष्ट भोगकर भी श्रेष्टी में हस्तक्षेप नहीं किया : पं रविशंकर तिवारी

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सीहोर। प्रभू श्रीराम ने घोर संसारिक कष्ट भोगकर भी श्रेष्टी में हस्तक्षेप नहीं किया। श्रीराम ने सबसे पहले मनुष्यों पशु पक्षियों प्राणी मात्र को समरसता एकता और धर्म परायाणता का संदेश दिया। राज कुल में जन्में परंतू राजा जैसा व्यवहार नहीं किया। परिवार कुटुंवियों भाईयों भाभियों में प्रेम कैसा हो यह संस्कार दिया। भगवान चौदह वर्ष जंगल में रहे किंतू किसी का अहित नहीं किया। भगवान श्रीराम हीं भारत है श्रीराम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है उक्त उद्गार सोमवार को व्यासपीठ से भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने श्रद्धालुओंं के मध्य व्यक्त किए। भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने भगवान श्रीराम के जन्म और सूर्यवंश के उदय एवं भगवान राजाराम के पूर्वजों की जानकारी देते हुए श्रद्धालुओं को बताया कि हजारों सालों की तपस्या के उपरांत राजा दशरथ के यह भगवान श्रीराम ने नर रूप में जन्म लिया था। राजा भागीरथ ने भगवान शिव और ब्राम्हा की घोर तपस्या कर पृथ्वी पर माता गंगा को जलरूप में प्रवाहित कर दिया था। राजा हरीशचंद्र ने रघुकुलरीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन नहीं जाए, को घोर कष्ट सहकर भी पूरा किया था। राजा बली ने भगवान वामन के समक्ष अपना सिर उनके तीसरे पग के लिए प्रस्तुत कर दिया था। आज पांच सौ पचास सालों के बाद भगवान श्रीराम की जन्म भूमि अयोघ्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है मंदिर में 22 जनवरी को भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है इस दिन को हमें दीपावली की तरह मनाना है।


भक्त को सबकुछ देते है भगवान

पं रविशंकर तिवारी विभिन्न धार्मिक कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भक्त को प्रभू से वर मांगना आना चाहिए और वर मांगने में सावधानी भी रखनी चाहिए क्योंकी प्रभू अपने भक्त को सबकुछ देते है बस मांगने की प्रभू के नाम सुमरन की कला आना चाहिए। जिस प्रकार मीरा, ध्रुप प्रहलाद जैसे भक्तों ने भगवान से उनसे उनकी भक्ति मांग ली और अमर हो गए। उन्होने कहा कि भगवान में और उनकी श्रेष्ठी में दौष नहीं ढूंढना चाहिए भगवान ने जो दिया है उस में खुश रहना चाहिए।


दान देनेे वालों को नहीं चाहिए रोकना टोकना

भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा के दौरान भगवान वामन अवतार कथा एवं चमनऋषि,दुर्वासाऋषि सहित अन्य महात्माओं संतों  ऋषियों के द्वारा भगवान को प्राप्त करने के लिए की गई तपस्याओं से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। उन्होने कहा कि मंदिर जाना चाहिए और धर्म के कार्यो में बढचड़ कर हिस्सा लेना चाहिए। धार्मिक कार्य के लिए दान देनेे वालों को रोकना टोकना नहीं चाहिए एैसे व्यक्ति धर्मकंटक माने जाते है। व्यक्ति स्वयं के सुख से सुखी नहीं दूसरों के सुख से दुखी होता है इस लिए भगवान ने जो भी आप को दिया यह भगवान की आप पर कृपा है।  


प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में हो रही है कथा

हनुमान जी महाराज की कृपा से श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी के श्रीमुख से श्रीमद भागवत कथा ज्ञान गंगा बह रही है। पं तिवारी के द्वारा प्रस्तुत भजनों पर पंडाल में बुजुर्ग श्रद्धालुजन नृत्य करते भगवान का नाम जप करते हुए दिखाई दिए। श्रीमद भागवत कथा सुनने ंके लिए सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे है।

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