- बाबा विश्वनाथ धाम व गंगा घाटों से लेकर घरों के मुंडेरों पर जलाया गया एक दीया राम के नाम
वाराणसी (सुरेश गांधी) ऐतिहासिक क्षण, जब 500 वर्षों की तपस्या पूरी हो चुकी है. अयोध्या में प्रभु श्रीराम भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं. प्रभु श्रीराम के नव्य, भव्य और दिव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव को भगवान शिव की नगरी काशी में रामोत्सव के रुप में मनाया गया। पूरी काशी “राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी“ सहित राम भजनों की धुन में झूमती नजर आयी। बाबा विश्वनाथ धाम व गंगा घाटों से लेकर घरों के मुंडेरों पर एक दीया राम के नाम जलाया गया। घरों पर रामनाम का पताका तो किसी के सिर पर रामनाम की टोपी और हाथ में पताका लिए मन में रामनाम का जप करते नजर आए। मन और तन राम रंग में रंगा था। हर ओर रामनाम का उत्सवी रंग बिखरा। घर से देवालय तक उमंग और उल्लास का आलम था। सड़कों और गलियों में रामभक्तों का हुजूम उमड़ा था तो चहुंओर रामनाम का पताका लहराया और गगनभेदी रामनाम का शंखनाद होता रहा। रामलला के स्वागत में सभी ने अपने प्रभु श्रीराम की अगवानी में सुबह से देर रात गलियों, बाजारों, घाटों और देवालयों से शोभायात्राएं और रैलियों में रामभक्तों का हुजूम उमड़ा था। रामदरबार की झांकियों का दर्शन कर रामभक्त निहाल हुए। जगह जगह स्वयंसेवी संस्थाओं, युवाओं एवं रामभक्तों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। कड़ाके की ठंड के बीच भोर से ही लोगों ने गंगा में पवित्र डुबकी लगाई। साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन कर समाज कल्याण की कामना की। पूरा काशी उत्सव मना रहा है। हर तरफ राम नाम ही गूंजता रहा।
दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से होने वाले गंगा आरती अयोध्या में विराजमान रामलला को समर्पित की गयी। 9 अर्चकों से होने वाली आरती से पहले 11 हजार रामदीप भी जलाए गए। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि आरती को ऐतिहासिक बनाया गया। नमामि गंगे के सदस्यों के साथ महर्षि योगी विद्याश्रम सिद्धेश्वरी के वेदपाठी बटुकों ने सुंदरकांड से भव्य मंदिर में विराजे रघुनंदन का अभिनंदन किया। सुंदरकांड का पाठ कर देश की सुख-शांति और समृद्धि के साथ देश की तरक्की के लिए कामना की गई। विद्युल झालरों व फूलों से रेलवे स्टेशन, रोडवेज से लगायत प्रत्येक सरकारी भवन, निजी घर, दुकानें, प्रतिष्ठान, मंदिर, देवालय सभी सज गए हैं। बसों से लेकर चौराहों तक और मंदिरों से लेकर घरों के आंगन तक ‘मंगलचार’ गूंज रहे हैं। अपने आराध्य के आराध्य के लिए काशी ‘तन रति करि मै, मन रति करिहूं’ की उद्घोषणा करती दिख रही है। अयोध्या के बाद काशी की शोभा निरखने मानो ‘सुर तैंतीस कौतिग आये, मुनिवर सहस अट्यासी।’ काशी में अनेक धार्मिक अनुष्ठानों, आयोजनों, शोभायात्राओं के साथ सायं काल दीपोत्सव सजाने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इसके लिए अनेक क्षेत्रों में काशी पूरी रात जागती रही। गंगा के घाटों की साफ-सफाई के बाद तटवर्ती भव्य भवनों को विद्युत झालरों से सजा दिया गया है।
राममय हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम’, जलाएं गए 25000 दीए
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम सहित सभी मंदिरों में फूलों-मालाओं से सजावट की गयी। इस अवसर पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में ’वेद पारायण से लेकर दीपोत्सव तक का आयोजन किया गया। 21 ब्राह्मण और 51 बटुक द्वारा वेद पाठ किया गया। राम दरबार में संगीतमय सुंदरकांड का पाठ भी किया गया। शंख ध्वनि और डमरू की गड़गड़ाहट से पूरा धाम गूंज रहा था। मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु गुरु, नीलकंठ तिवारी, महापौर अशोक तिवारी, आरएसएस के काशी प्रांत रमेशजी, मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा, मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा मंदिर न्यास के ट्रस्टी प्रो ब्रज भूषण ओझा, मंदिर के डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण, बीजेपी के महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत भगवान राम की आरती उतारी। परिसर में प्रसाद स्वरूप 3 लाख लड्डुओं का वितरण किया गया। संध्या काल में राष्ट्रीय संगीत अकादमी की ओर से नृत्य संगीत का आयोजन किया गया। जिसमें कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का समापन पूरे धाम परिसर में दीप उत्सव से हुआ, जिसमें मंदिर के कर्मचारियों द्वारा लगभग 25000 दीपक जलाकर पूरे धाम को जगमगा दिया गया। नगर के भवन भी विद्युत झालरों से जगमगा रहे हैं। निजी भवनों की साफ-सफाई कर लोगों ने रंग-बिरंगी झालरें टांग दी हैं। लोग-बाग बरबस ही कह रहे हैं कि प्रभु श्रीराम के आगमन ने छोटे व्यापारियों की जनवरी माह में ही दिवाली करा दी है. मिट्टी के दीपक, आकर्षक लाइटिंग की झालरें, झंडियां आदि की खूब बिक्री हुई है. बाजार में दो दिन से ग्राहकों की खूब भीड़ दिखी.यह अद्भुत दृश्य देख श्रद्धालु खुद को अभिभूत अनुभव कर रहे थे।
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