वहीं दूसरी तरफ जब बच्चे अपने स्वभाव, मनोभाव के आधार पर अपनी पढ़ाई और करियर चुनते है, तब वह उन्हें खेल की तरह लगता है। पढ़ाई आनंद के साथ पूरी करते हैं और करियर को कर्तव्य की तरह संवारते हैं और एक शानदार, दमदार और सार्थक भविष्य का निर्माण करते हैं। पश्चिम के एक राजनीतिक चिंतक थे प्लेटो। उन्होंने अपने न्याय के सिद्धांत में बताया है कि इंसान को अपने गुण के आधार पर अपना प्रोफेशन चुनना चाहिए। यही आपका अपने प्रति और अपने राष्ट्र के प्रति आपका न्याय है। भारतीय परिपेक्ष्य में दुखद पहलू यह है कि हम जो हैं, जो कर सकते हैं, उसको छोड़कर हम बाकी सब काम करते हैं। यह किसी भी राष्ट्र के नागरिक होने के नाते न्याय विरुद्ध है। हमारे अभिभावकों को अपनी कुंठाओ को अपने बच्चो पर थोपने से बचना चाहिए। ऐसा कर के आप एक राष्ट्रीय प्रतिभा को गलत ट्रैक पर धकेल रहे हैं, जो न तो उस प्रतिभा के लिए सही है और न ही आपके लिए।
व्यथित मन से आपका
आशुतोष कुमार सिंह
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