सीहोर : खाटू श्याम बाबा चरित्र कथा का आयोजन, भंडारे में उमड़ा आस्था का सैलाब - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 8 जनवरी 2024

सीहोर : खाटू श्याम बाबा चरित्र कथा का आयोजन, भंडारे में उमड़ा आस्था का सैलाब

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सीहोर। जिला संस्कार मंच के तत्वाधान में हनुमान मंदिर में श्याम प्रेमियों द्वारा खाटू श्याम भजन के साथ हनुमान सुंदरकांड का आयोजन किया गया। सुबह से देर शाम आयोजित हुई भजन संध्या में सैकड़ों की संख्या में बाबा श्याम के उपासकों ने भाग लेकर बाबा श्याम और हनुमान की महिमा का गुणगान किया। कार्यक्रम में इत्र वर्षा, भव्य दरबार, अलौकिक श्रृंगार बाहर से आई टीम द्वारा किया गया। इस मौके पर मंच के जिला उपाध्यक्ष सुमित भानु उपाध्यक्ष और लायंस क्लब सीहोर शौर्य क्लब की अध्यक्ष श्रीमती खुशी उपाध्याय द्वारा प्रसिद्ध भजन गायक मालव माटी के संत कथा व्यास पंडित सुरेन्द्रानंद महाराज का सम्मान किया। इस मौके पर कथा व्यास संत और उनकी टीम ने हनुमान मंदिर में हनुमान के पाठ की संगीतमय प्रस्तुति दी। इसके अलावा भगवान खाटू श्याम बाबा चरित्र कथा का आयोजन किया। इसके पश्चात भंडारे की प्रसादी का वितरण किया।  कथा व्यास पंडित सुरेशानंद महाराज ने कहा कि बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था। महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया। श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया। बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया। इसी प्रकार उन्होंने हनुमान पाठ की संगीतमय प्रस्तुति दी। इस मौके पर बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों ने दोपहर बारह बजे से जारी भंडारे में भोजन प्रसादी के अलावा भजनों का आनंद लिया।

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