सीहोर : दरिद्र नहीं गरीब नहीं सादगी से भरे संतोषी ब्राहम्ण थे संत सुदामा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 जनवरी 2024

सीहोर : दरिद्र नहीं गरीब नहीं सादगी से भरे संतोषी ब्राहम्ण थे संत सुदामा

  • हनुमान फाटक मंदिर कस्बा परिसर में हो रही श्रीमद भागवत कथा का मंगलमय हुआ समापन

Bhagwat-katha-sehore
सीहोर। संत सुदामा दरिद्र गरीब नहीं थे वह भगवान के परम भक्त सादगी से भरे संतोषी बा्रहम्ण थे। श्रीमद भागवत कथा सुनने के बाद राजा परिक्षित को मौत नहीं मौक्ष प्राप्त हुआ था उक्त उद्गार गुरूवार को  हनुमान फाटक मंदिर कस्बा परिसर में हो रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान सुदामा चरित्र प्रसंग श्रद्धालुओं को सुनाते हुए भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने व्यक्त किए। भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि सुदामा जी चना चोर भी नहीं थे उन्होने भगवान श्री कृष्ण जी को श्रापित चनें ग्रहण करने से बचाया था। श्रापित चने ग्रहण करने से सुदामा जी को संसारिक कष्ट भोगना पड़ा था। स्वयं द्धारकाधीश ने इस रहस्य को सुदामा जी के द्वारका पहुंचने पर माता लक्ष्मी के समक्ष उजागर किया था। सुदामा जी की धर्मपत्नि सुशीला ने संसारिक कष्टो के निवारण के लिए संत सुदामा जी को द्धारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने द्वाराका भेजा था लेकिन सुदामा जी का रास्ता नदी ने रूक लिया थे लेकिन भगवान के भरोसे जो होते है उनकी नया भगवान पार लगा देते है संत सुदामा को बता हीं नही ंचला और वह नदी के दूसरे तट पर पहुच गए। भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने कहा की कुछ कथा वाचक सुदामा जी को गरीब दरिद्र बताते है और यह भी कहते है की द्वारका के द्वारपालों ने संत सुदामा जी को महल से ठोकर मारकर भगा दिया था जबकी एैसा नही है संत सुदामा का सत्कार द्धारकाधीश के द्वारपालों के द्वारा सब से पहले किया गया। भगवान उसे हीं देते है जो याचना करता है बिना मांगे भगवान भक्त को भी कुछ दे नहीं सकते है। यही कारण है की भगवान ने संत सुदामा के धर्मपत्नि सुशीला के मांगने पर पहली मुठठी में सुदामा जी को स्वर्ग और दूसरी मुठठी अक्षत में इंद्रासन दे दिया था लेकिन जैसे हीं भगवान ने तीसरी अक्षत मुठठी ग्रहण करनी चाही लक्ष्मी माता ने भगवान का हाथ रोक लिया। भगवान सुदामा जी को वैकुंठधाम भी दे देते।


भगवान त्रिकालदर्शी है भक्त को बताकर जताकर नहीं छुपाकर देते है जब सुदामा जी द्धारकाधीश से मिलकर लौटने लगे तो कुछ नहीं दिया भगवान ने सुदामा जी के गले में स्वागत के लिए डाला पितांबर भी वापस ले लिया था लेकिन सुदामा जी के घर पहुुंच ने से पहले भगवान ने कृपा बरसा दी थी। भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि राजा परिक्षित को कथा के सातवे दिन तक्षक नाग ने काट लिया। राजा परिक्षित ने श्रीमद भागवत कथा सुनकर मौत नहीं मौक्ष प्राप्त किया । शहर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों के जनप्रतिनिधियों समाजसेवियों विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं महिला मंडलों एवं गणमाननीय नागरिकों ने व्यास गादी से हजारों श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत ज्ञान की गंगा का संगीतमय रसापान कराने वाले कथा प्रसंगों के मध्यम से हिन्दू सनातन धर्मियों के समक्ष एकता समरसता अखंडता का जय घोष करने वाले श्रीमद भागवत एवं श्रीराम कथा वाचक भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी का पगड़ी बाधंकर पुष्प मालाऐं पहनाकर स्वागत सम्मान सत्कार किया। पंडाल में भगवान श्री कृष्ण के भजनों पर श्रद्धालुजन पंडाल में नाचते दिखाई दिए। श्रीमद भागवत कथा में उमड़े सैकड़ों श्रद्धालुओं और यजमनों ने भागवत ग्रन्थ की विधिवत पूजा अर्चना की। कथा के मध्य में भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी के गुरू खामखेड़ा जतरा से पहुंचे श्रद्धालुओं ने उनका आशिर्वाद लिया। हनुमान फाटक मंदिर कस्बा परिसर में हो रही श्रीमद भागवत कथा का मंगलमय समापन हुआ।

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