- सामूहिक बलात्कार के बाद दोनों नाबालिग महादलित बच्चियों को जान से मारने का हुआ प्रयास, एक की मौत
- उज्जवला योजना पूरी तरह फेल, महादलित परिवारों को जलावन के लिए करनी पड़ती है मशक्कत
गांव वालों ने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले गांव की ही एक अधेड़ दलित महिला के साथ बलात्कार की वीभत्स घटना को अंजाम दिया गया था. उनके प्राइवेट पार्ट में पत्थर व छड़ घुसेड़ दिए गए थे. उनके अपराधी आज तक नहीं पकड़े गए. इस मामले में भी प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने आई. हो सकता है कि इसके कारण अपराधियों-बलात्कारियों का मनोबल और बढ़ गया हो. जिस बच्ची की मौत हो चुकी है, उसकी मां विकलांग है और परिवार में यही दोनों लोग हैं. दूसरी बच्ची अपने नाना के यहां आई हुई है. दोनों परिवार बेहद गरीब हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का बहुप्रचारित उज्जवला योजना मजाक बनकर रह गया है. महादलित परिवारों को जलावन के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं. अगले दिन 9 जनवरी की सुबह एक प्रॉपर्टी डीलर जब जमीन की नापी करने गया था तो उसने दोनों बच्चियों को पूरी तरह नग्न अवस्था में देखा. एक की मौत हो चुकी थी जबकि दूसरी उसी के पास बैठी हुई थी. मृतक बच्ची के सिर से लेकर गुप्तांग से काफी ख्ून निकल रहा था. दूसरी बच्ची इतनी सहम गई थी कि वह अपने नाना को भी पास नहीं आने दे रही थी. इसके बाद ही पुलिस आई. स्थानीय लोग भी जुट गए थे और तब इलाज हेतु उक्त बच्ची को एम्स भेजा गया. भाकपा-माले व ऐपवा की टीम ने दोनां नाबालिग बच्चियों के परिजनों से मुलाकात की. उनके परिजनों की किसी से अदावत भी नहीं है. इसलिए मामला सामूहिक बलात्कार का ही बनता है. मीना तिवारी ने कहा कि राजधानी की नाक के ठीक नीचे इस तरह की जघन्य घटना हतप्रभ कर देने वाली है. महागठबंधन सरकार को ऐसे अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस मसले से मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जाएगा. जांच टीम ने मांग की है कि परिजनों को मुआवजा दिया जाए और अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए.
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