- डॉक्टर परविंदर सिंह ने थाईलैंड की ओर से आवास विकास परिषद से मांगी 5 एकड़ भूमि जिसमें बनेगा थाई सांस्कृतिक केंद्र
गौरतलब है कि थाईलैंड में भी एक अलग तरह की रामायण प्रचलित है। इस रामायण को रामाकीन कहा जाता है जो थाईलैंड के राष्ट्रीय काव्य में से एक है। रामाकीन थाई शब्द है जिसका हिंदी अनुवाद होगा भगवान राम की गाथा। शायद आपको ना पता हो, लेकिन थाईलैंड में भी कई मंदिर हैं जहां हिंदू देवी - देवताओं का एक अलग अवतार देखने को मिलता है। भगवान राम और सीता की कहानी का मंचन आपने भारत में कई बार देखा होगा लेकिन थाईलैंड में इसका यह अनोखा रूप आपको काफी प्रेरित कर सकता है। रामायण का वाल्मीकि द्वारा लिखा हुआ संस्कृत का वर्जन ही सबसे पुराना माना जाता है लेकिन थाईलैंड, बाली, मलेशिया जैसे देशों में इसका अनुवाद और अपना अलग संस्करण देखने को मिलता है। धर्म और राजतंत्र थाई संस्कृति के दो स्तंभ हैं और यहां की दैनिक जिंदगी का हिस्सा भी। बौद्ध धर्म यहां का मुख्य धर्म है। इस्लाम धर्म एवं ईसाई धर्म के अनुयायी भी थाईलैंड मे अच्छी खासी संख्या में पाए जाते हैं। गेरुए वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु और सोने संगमरमर व पत्थर से बने बुद्ध यहां आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यहां मंदिर में जाने से पहले अपने कपड़ों का विशेष ध्यान रखें। इन जगहों पर छोटे कपड़े पहन कर आना मना है।
थाईलैंड का शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय और इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां बहुत की नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखौटों का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन समय यह हिंदू सभ्यता से परिपूर्ण देश था। आज भी यहां हिंदू संस्कृति की झलक देखने को मिल ही जाती है। रामायण यहां बहुत लोकप्रिय है। कालांतर में भारतीय बौद्ध राजाओं ने यहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया और यह देश बौद्ध देश के रूप में प्रख्यात हुआ। उल्लेखनीय है कि डॉ परविंदर सिंह पेज3 न्यूज के फाउंडर व सीईओ भी हैं। धर्मावलंबी डॉ परविंदर सिंह का पेज3 न्यूज के रूप में स्थापित समाचार पत्र बहुभाषी है। इसका इंडिया से भी प्रकाशन हो रहा है और यह बहुत तेजी के साथ अन्य विदेशी अखबारों के मुकाबले लोकप्रिय हो रहा है।
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