- एनडीए संग सरकार बनाने पर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को लेकर की भविष्यवाणी, बोले- इस गठबंधन की सबसे बड़ी कीमत भाजपा और उनके दल वालों को विधानसभा चुनाव में चुकानी पड़ेगी
बेगूसराय : नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार तोड़कर एनडीए के साथ नई सरकार बनाई है। इसका आगामी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में क्या असर पड़ेगा इस मुद्दे पर बेगूसराय में जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपना पक्ष रखा है। प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि इस गठबंधन की सबसे बड़ी कीमत भाजपा और उनके दल वालों को विधानसभा के चुनाव में चुकानी पड़ेगी। क्योंकि जो भाजपा का समर्थक है, नेता है, वोटर है, कैडर है... आज उसके पास कोई भी जवाब नहीं है आखिर आपने जिस नीतीश कुमार को 2020 में थोपा, उस वक्त भी भाजपा के 75 और जेडीयू के 42 एमएलए थे, भाजपा की ओर से आपने क्यों नहीं मुख्यमंत्री बनाया और बिहार को सुधारने का जिम्मा लिया। वहीं, लोकसभा चुनाव के नजरिए मैंने पहले भी कैमरे पर कहा है कि नीतीश बाबू अगर महागठबंधन में लड़ते तो उन्हें 5 सीटें भी नहीं आती। जब मैं ये बात कह रहा था तो उस वक्त उनके दल के लोग चिल्लाते थे कि प्रशांत किशोर को क्या आता है। मैं बिहार का कोई नेता तो हूं नहीं, अगर मैं कह रहा हूं कि उन्हें 5 सीटें भी नहीं आएंगी तो उन्हें नहीं आएंगी। इसी डर से नीतीश कुमार भाजपा में भागे हैं, उनको मालूम था कि महागठबंधन के साथ में खाता तो खुलने वाला नहीं है। नई व्यवस्था में जरूर एनडीए के नाम पर, मोदी और भाजपा के नाम पर उन्हें कुछ सीटें मिल जाएंगी।
जिस तरह कांग्रेस ने बिहार को चंद सांसदों के लालच में लालू को बेचा वही हाल आज भाजपा का है, उनकी बस इतनी चिंता कि 30 से 35 सांसद जीतकर आते रहे
प्रशांत किशोर ने भाजपा पर कंज कसते हुए कहा कि एक बार फिर नीतीश कुमार भागे तो आपने कहा कि नीतीश कुमार धोखेबाज हैं, और आज फिर उसी नीतीश कुमार को बिहार पर थोप रहे हैं। तो जिस तरह से कांग्रेस और कांग्रेस के नेतृत्व ने चंद सांसदों के लालच में बिहार को लालू को बेचा, इस बात की चिंता नहीं की कि बिहार के लोगों का क्या होगा। यूपीए के 10, 15, 20 सांसद जीतकर आते रहे और लालू जी पूरे बिहार को लूट कर बर्बाद करते रहे, तो उसकी सोनिया गांधी और कांग्रेस के लीडरशिप को कोई चिंता नहीं थी। वही हाल आज भाजपा के लीडरशिप का है। उनकी चिंता बस इतनी है कि अगले लोकसभा चुनाव में हमारे 30 से 35 सांसद जीतकर आ जाए। अगर, नीतीश कुमार ने पूरे बिहार को बर्बाद कर दिया है, बिहार को चलाने की उनकी मानसिक हालत नहीं है इसकी कोई चिंता उन्हें नहीं है। विधानसभा में इसका ज्यादा असर तो नहीं दिखेगा, लेकिन लोकसभा में भाजपा को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
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