पटना : भाकपा-माले जांच टीम का नवीनगर का दौरा, उच्चस्तरीय जांच की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 18 जनवरी 2024

पटना : भाकपा-माले जांच टीम का नवीनगर का दौरा, उच्चस्तरीय जांच की मांग

  • मॉब लिंचिंग की प्रवृत्ति बेहद खतरनाक, भाजपा ने पूरे देश का बिगाड़ा है माहौल
  • मृतक आश्रितों को 20-20 लाख रुपए का मिले मुआवजा मिले.

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पटना 18 जनवरी, औरंगाबाद जिले के नवीनगर के तेतरिया मोड़ के पास घटित बर्बर मॉब लिंचिंग की घटना के सिलसिले में भाकपा-माले की एक राज्यस्तरीय जांच टीम ने विगत 17 जनवरी को वहां का दौरा किया. टीम में अरवल विधायक महानंद सिंह, पार्टी की राज्य कमिटी के सदस्य अनवर हुसैन, इंसाफ मंच के राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, औरंगाबाद जिला सचिव मुनारिक राम सहित पार्टी के स्थानीय नेता शामिल थे. जांच टीम ने स्थानीय लोगों से मुलाकात करके घटना के विभिन्न पहलुओं को जानने का प्रयास किया, लेकिन दहशत के माहौल के कारण यह बहुत हद तक संभव नहीं हो सका. पुलिस द्वारा अगल-बगल के गांवों में छापेमारी चल रही है और अभी तक कुल छह लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जांच टीम घटना की और गहराई से जांच की जरूरत महसूस करती है. स्थानीय लोग इस मॉब लिंचिंग के पीछे किसी सांप्रदायिक आधार व सोच को खारिज कर रहे हैं और इसे रामशरण चौहान की मौत के बाद स्वतःस्फूर्त आक्रोश का विस्फोट बता रहे हैं. लेकिन अभी पूरे देश का जो माहौल है, उसमें मुस्लिम होने के कारण गाड़ी में बैठे युवकों को टारगेट किए जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है. जिस प्रकार भीड़ हमलावर हुई, वह बेहद डरावना है. ऐसा लगता है कि कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गई है.


नवीनगर की भीड़ हिंसा देश में लगातार बढ़ती भीड़ हिंसा की ही एक कड़ी है. इस तरह की मनोवृति हर जगह बढ़ी है. यह प्रवृति अकारण नहीं बढ़ रही बल्कि भाजपा ने पूरे देश में जो माहौल बना रखा है, उन सबका नतीजा है. भाजपा पूरे देश का माहौल खराब कर रही है और उसके नफरत व विभाजन की राजनीति के कारण आम लोग हिंसक प्रवृति की ओर बढ़ रहे हैं. इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए. प्रशासन देर से सूचना मिलने का बहाना बनाकर अपने को बचाना चाह रहा है, लेकिन सूचना क्रांति के इस दौर में इस तरह के बहाने नहीं चल सकते. दूसरी बात यह कि कानून व्यवस्था का उन्होंने क्या हाल बना रखा है कि दिनदहाड़े मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो जा रही हैं. जाहिर सी बात है कि प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने चाहिए. घटना के बाद लोगों की गिरफ्तारी में पुलिस को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि बेकसूरों की गिरफ्तारी किसी भी हाल में न हो. यह सच है कि पाकिंग को लेकर हुए विवाद के वाद गोली चली, जिसमें रामशरण चौहान की मौत हो गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि गोली गाड़ी में बैठे पांच युवकों में से ही किसी ने चलाई. मॉब लिंचिंग के बाद बगल की नदी में फेक दिए गए एक मुस्लिम युवक के पास से पिस्तौल बरामदगी की भी बात हुई. लेकिन पूरी सच्चाई क्या है, यह जांच का विषय बनता है. इसलिए जांच दल घटना के तमाम पहलुओं की उच्चस्तरीय जांच की मांग बिहार सरकार से करती है. भीड़ हिंसा की मनोवृति पर रोक लगाने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाना चाहिए. भाकपा-माले जांच टीम सभी मृतक परिवारों के लिए 20-20 लाख रुपए मुआवजे की भी मांग करती है.

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