जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं : श्री नितेश्वरानंद शास्त्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं : श्री नितेश्वरानंद शास्त्री

  • श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठे दिन में कृष्ण - रुक्मणी विवाह में जमकर झूमे श्रद्धालु 

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नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय)। मादीपुर गांव की पक्की चौपाल में आयोजित श्रीमद भागवत गीता ज्ञान सप्ताह में जनकपुर नेपाल से आए कथा व्यास श्री नितेश्वरानंद शास्त्री जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा का छठवें दिन रसपान कराया। श्री नितेश्वरानन्द शास्त्री जी महाराज ने  व्यासपीठ से कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेका नेक बाल लीलाएं की, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती हैं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं।  इस मौके पर गीता सप्ताह के आयोजक छोटेलाल गोयल,हरिओम यादव,दविंद्र यादव,महेंद्र सिंह (मिल्क केक वाले) के साथ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन मादीपुर गांव के अध्यक्ष रोहित यादव,महासचिव पत्रकार अशोक कुमार निर्भय,आर डब्ल्यू ए सदस्य सुनील यादव,मादीपुर सोसाइटी के प्रधान अनिल यादव,रमेश यादव,रामप्रकाश यादव,पंडित राजीव शर्मा,विपिन मल्होत्रा,धीरज मित्तल,विपिन मित्तल,विनोद ठाकुर,महेश प्रजापति,रोहित प्रजापति, मनोज गोयल समेत बड़ी संख्या में मातृ शक्ति और सैंकड़ों श्रद्धालुगणों ने भगवान की भक्ति में लीन होकर भक्ति की अमृतवर्षा में डुबकी लगाई। 


श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास श्री नितेश्वरानंद शास्त्री जी महाराज   ने गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग, महारास लीला, रासलीला में भगवान शंकर का आना एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। इस अवसर पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण कराया गया। कथा व्यास श्री नितेश्वरानंद शास्त्री जी महाराज  ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ।भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथा व्यास श्री नितेश्वरानंद शास्त्री जी महाराज  कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे।

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