रामलला अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान हो चुके है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विधि-विधान से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान को संपन्न किया. राम मंदिर के इस भव्य उद्घाटन को देशभर में त्योहार की तरह मनाया जा रहा है तो सात समुंदर पार भी रामनाम की धूम है। भारत में घर-घर पूजा-अर्चना के साथ दीवाली मनायी गयी। यूएई, रूस, ब्रिटेन जैसे देशों में भी उत्सव का माहौल है. खास यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में मुख्य यजमान बनकर न सिर्फ अपना 32 साल पुराना किया हुआ वादा पूरा किया है, बल्कि अयोध्या से भारत भव्य बनाएंगे, का सौगंध भी खाई है। दरअसल, 14 जनवरी 1992 को पीएम नरेंद्र मोदी राम जन्म भूमि पहुंचे थे। उस समय राम लला टेंट में विराजमान थे। उसी दिन उन्होंने प्रण किया कि वो अयोध्या दोबारा तब तक नहीं आएंगे, जब तक भव्य राम मंदिर का निर्माण नहीं करवा लेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही क्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा नए हिंदुस्तान का आगाज है? दुसरा सबसे बड़ा सवाल है दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में ’श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान’ 2024 की राह आसान करेगा? क्या 2024 में सबसे बड़ी राम लहर बनेगी? क्या भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल है? हालांकि इसका जवाब 2024 के चुनाव परिणाम बतायेंगे, लेकिन बीजेपी दशकों से मंदिर बनाने की वकालत करती रही है और इसका उद्घाटन हिंदू बहुल भारत में मोदी की जीत के पक्ष में जाएगा, से इनकार नहींकिया जा सकताअयोध्या में भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर का उद्घाटन भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा. राष्ट्रवाद के बीच आस्था का छौंका लगेगा। प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी की एकछत्र लोकप्रियता और उन्होंने भारत को जिस मुकाम पर पहुंचाया है, उसके कायल भारत ही नहीं विदेशी भी हैं. देश का आर्थिक विकास दर सात फीसदी से ज्यादा है और इसका स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड कायम कर रहा है.’ माना जा रहा है अयोध्या, अब बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ देश की आर्थिक राजधानी भी बनेगी। यह मंदिर 30 लाख आबादी वाले अयोध्या की कायापलट कर उसे एक पर्यटक स्थल बनाने में अहम भूमिका बनाएगा। मंदिर दर्शन के लिए हर दिन करीब 2 लाख भक्त जा सकेंगे. बढ़ती जमीन की कीमतें इसकी गवाही दे रही है। जिसतरह पीएम मोदी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान खत्म होने के तुरंत बाद लोगों को संबोधित करते हुए दिव्य भारत के संकल्प के साथ राम मंदिर परिसर में मौजूद जटायू की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित की और राम मंदिर का निर्माण करने वाले मजदूरों के ऊपर पुष्पवर्षा कर उन्हें धन्यवाद किया, उससे हर कोई उनका मुरीद बनता दिखा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा,“राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं, राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं, राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का चिंतन हैं, राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं, राम प्रभाव हैं, राम प्रवाह हैं, राम नेति भी हैं, राम नीति भी हैं, राम नित्यता भी हैं, राम निरंतरता भी हैं, राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव शताब्दियों तक नहीं होता उसका प्रभाव हज़ारों वर्षों तक होता है।“ उनके इस आह्वान का ही प्रतिफल है कि भारत के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों के बीच भी दीवाली जैसा जश्न देखने को मिला। श्रीराम मंदिर त्रेता युग यानी रामराज्य का आभास करायेगा। भारत का एक-एक ग्राम आज अयोध्या बन गया। मोदी ने राम की महिमा में कहा, “हर युग में लोगों ने राम को जीया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों में, अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है। यह राम रस जीवन प्रवाह की तरह निरंतर बहता रहता है।“
मंदिर निर्माण शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षण को आलौकिक और पवित्रतम बताते हुए कहा कि रामलला के इस मंदिर का निर्माण, भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है. हम देख रहे हैं, ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है. राम मंदिर पर विवाद खड़ा करने वाले विरोधियों को जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि वे आज उन लोगों से आह्वान करेंगे कि महसूस कीजिए और अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम विवाद नहीं समाधान है, राम आग नहीं, राम ऊर्जा हैं. राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं. राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं. उन्होंने कहा कि वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी. ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता नहीं जान पाए. उनका पक्का विश्वास और अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश के, विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी. ये क्षण आलौकिक है, ये पल पवित्रतम है. उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनके कार्य और समर्पण की वजह से आज हम ये शुभ दिन देख रहे हैं. राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की पराकाष्ठा करके दिखाई है. उन अनगिनत रामभक्तों के, उन अनगिनत कारसेवकों के और उन अनगिनत संत-महात्माओं के हम सब ऋणी हैं.राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर
प्रधानमंत्री ने प्रभु श्रीराम से माफी मांगते हुए यह भी कहा कि मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं. हमारे पुरुषार्थ, त्याग और तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए. आज वो कमी पूरी हुई है. मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. न्यायपालिका के प्रति आभार जताते हुए और भारतीय संविधान की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं. संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली. मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का, जिसने न्याय की लाज रख ली. न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना. ये मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है. ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है. प्रधानमंत्री मोदी ने आने वाले समय को भारत का समय बताते हुए लोगों से अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखने का आह्वान करते हुए कहा, “आज अयोध्या भूमि हम सभी से, प्रत्येक रामभक्त से, प्रत्येक भारतीय से कुछ सवाल कर रही है.
भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा
श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया... अब आगे क्या? सदियों का इंतजार तो खत्म हो गया... अब आगे क्या ? आज के इस अवसर पर जो दैव, जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुई हैं, हमें देख रही हैं, उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे? नहीं, कदापि नहीं. ये सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को एक कालजयी पथ के शिल्पकार के रूप में चुना गया है. हज़ार वर्ष बाद की पीढ़ी, राष्ट्र निर्माण के हमारे आज के कार्यों को याद करेगी. इसलिए मैं कहता हूं- यही समय है, सही समय है. हमें आज से, इस पवित्र समय से, अगले एक हजार साल के भारत की नींव रखनी है. ये मंदिर सिखाता है कि अगर लक्ष्य, सत्य प्रमाणित हो, अगर लक्ष्य, सामूहिकता और संगठित शक्ति से जन्मा हो, तब उस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है आखिरी में पीएम ने यह भी कहा कि ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है. आज अयोध्या में केवल श्रीराम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है. ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है. ये साक्षात मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है. उन्होंने कहा कि आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे. ये कितनी बड़ी राम कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं. पीएम के संबोधन के वैसे तो कई मायने हैं लेकिन उन्होंने संदेश दे दिया कि हिंदू धर्म ही वो भावना है जो इस देश का प्रतिनिधित्व है, इस देश का सार है और यही भावना इस देश को आगे ले जाएगी.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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