सीहोर : भगवान जिस को पकड़ लेते हे फिर उसे छोड़ते नहीं है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 जनवरी 2024

सीहोर : भगवान जिस को पकड़ लेते हे फिर उसे छोड़ते नहीं है

  • प्रभू ने पूतना जैसी पापन का भी उद्धार कर दिया था, प्रभू ने जो दिया उसमें संतुष्ठ रहना चाहिए जो नहीं दिया उसके पीछे भागना नहीं चाहिए

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सीहोर। जो प्रभू ने दिया उसमें संतुष्ठ रहना चाहिए जो नहीं दिया उसके पीछे भागना नहीं चाहिए,होता वही है जो भगवान ने निश्चित किया है आपके जो भाग्य में है वह मिलकर हीं रहेगा फिर व्यर्थ चिंता करने से क्या लाभ उक्त उद्गार मंगलवार को हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा श्रवण कराते हुए श्रद्धालुओं के मध्य भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने व्यक्त किए। भगवान के नाम की महिमा बताते हुए भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने बताया कि नारदजी के कहने में आकर एक देवताओं साधू संतों की सभा में श्रीरामचंद्र जी के मंत्री सुमंत जी ने श्रीराम के गुरू ऋषि विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया। जिस कारण ऋषि विश्वामित्र नाराज हो गए और उन्होने सुमंत जी के अनादर की शिकायत श्रीरामचंद्र जी से की जिस के उपरांत श्रीराम ने सुमंत जी का वध करने की सौगंध ग्रहण कर ली इधर सुमंत जी को यह जानकारी लगते हीं वह हनुमान जी की माता अंजली के घर पहुंच गए और उन्होने अपने प्राण राजजी से बचाने की अर्चना की तब भगवान हनुमान ने उनको बचाने के लिए रामजी की हीं प्रतिज्ञा कर ली। अंत में सुमंत जी ने हनुमान के निर्देशानुसार पर्वत पर पहुंचकर राम नाम का सुमिरन किया। श्रीराम ने बाणों से उनपर वार किया लेकिन राम नाम के जाप के कारण उनके प्राण बच गए।


पूतना का भी सदगति प्रदान कर उद्धार

भगवान श्री कुष्ण की बाल लीलाऐं प्रसंग सुनाते हुए पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि भगवान जिस को पकड़ लेते हे फिर उसे छोड़ते नहीं है प्रभू ने पूतना जैसी पापन का भी उद्धार कर दिया था जबकी पूतना भगवान को मारने के लिए स्तनों में जहर लगाकर भगवान को दुग्ध पिलाने के बहाने मारने के लिए गोकुल पहुंची थी लेकिन भगवान ने पूर्वकाल में राजाबली की बेटी पूतना का भी सदगति प्रदान कर उद्धार कर दिया था।

 

प्रभू को समर्पित करते हुए करें पुरूषार्थ

उन्होने कहा कि भगवान ने हमें सबकुछ दिया है भगवान ने हमें दो आंखें हाथ पेर कान मुंह दिया है जिस के पास आंख नही है जिस के पास पेर नहीं उस अभागे से पूछो उनका जीवन कैसे बीत रहा है। अगर प्रभू ने करोड़ पति बनाया होता लेकिन आंखें छीन ली होती तो फिर क्या होता इस लिए प्रभू ने जो दिया उसके लिए भगवान को धन्यावाद दिजीए। जो भगवान ने दिया उस में संतुष्ठ रहे जो नहीं दिया उस के पीछे नहीं भागे लेकिन भागवन की कृपा से उनको समर्पित करते हुए पुरूषार्थ करें।


हिन्दू संस्कृति में गाय का बड़ा महत्व

भागवत भूषण पं रविशंकर तिवारी ने कहा कि हिन्दू संस्कृति में गाय का बड़ा महत्व है माता यशोदा गाय की पूंछ से ही अपने लाला की नजर उतारा करती थी। यशोदा ने लाला के दर्शन करने बाबा का रूप रखकर गोकुल पहुंचे भगवान शिव के हाथों में देने से भी इंकार कर दिया था तब भगवान नारायण ने शिवजी ने कहा था की हमारा नियंत्रण यशोदा माता के हाथ में जैसा वह करें वैसा हीं करना होगा। तब भगवान शंकर ने प्रभू के दूर से हीं दर्शन किए थे। 

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