- सीलबंद सर्वे रिपोर्ट को लेकर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसला सुनाया
वाराणसी (सुरेश गांधी) काशी विश्वनाथ धाम के पास मौजूद ज्ञानवापी मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआइ्र की रिपोर्ट की हार्ड कॉपर सार्वजनिक होगी। जिला अदालत ने फैसला दिया है कि दोनों पक्षों को एएसआई की सर्वे रिपोर्ट दी जाएगी. आदेश के मुताबिक ज्ञानवापी के सभी पक्षकारों को प्रार्थना पत्र देने पर हार्ड कॉपी उपलब्ध होगी. ज्ञानवापी परिसर की सीलबंद सर्वे रिपोर्ट को लेकर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। मां शृंगार गौरी केस की वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की तरफ से सर्वे रिपोर्ट की प्रति दिए जाने का अनुरोध अदालत से किया गया था। वादिनी महिलाओं का कहना था कि यह जनहित का मुद्दा है। इसे गोपनीय बनाकर हौव्वा बनाया जा रहा है। हिंदू पक्ष की ही एक अन्य वादिनी राखी सिंह का कहना था कि अदालत में दाखिल रिपोर्ट के अध्ययन का अधिकार वादी पक्ष को है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “आज अदालत ने दोनों पक्षों को सुना और आम सहमति बनी कि एएसआई की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को प्रदान की जाएगी. ईमेल के माध्यम से रिपोर्ट प्रदान करने पर आपत्ति जता रही थी इसलिए दोनों पक्ष रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्राप्त करने पर सहमत हुए.“ इससे पहले पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है. रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल हुई. एएसआई को फास्ट ट्रैक कोर्ट में रिपोर्ट कल यानी 25 जनवरी 2024 को पेश करनी थी. रिपोर्ट एक दिन पहले ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल कर दी गई. अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि यदि सर्वे रिपोर्ट वादिनी महिलाओं को दी जाती है तो उन्हें भी उपलब्ध कराई जाए। उधर, एएसआई का कहना है कि जब तक प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के मुकदमे में ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट की प्रति वह दाखिल न कर दे, तब तक उसे सार्वजनिक न किया जाए।
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