सौ वर्षों का है इतिहास।
परसा में स्थित राम जानकी मंदिर का इतिहास सौ वर्षों से अधिक समय का है। गांव के मसोमात भूलन देवी अपने पति की याद में एक राम जानकी मंदिर का निर्माण कराया था। तब से गांव के लोग उसमे पूजा पाठ करते आ रहे है। ग्रामीणों की गहरी आस्था इससे जुड़ी हुई है। जिस कारण जर्जर हो चुके मंदिर को तोड़कर एक भव्य और आकर्षक मंदिर का निर्माण कराया गया है।
आज से आठ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान।
22 जनवरी को अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर में रामलला के विराजमान होने की खबर से प्रेरित होकर परसा में भी इसी दिन प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस आबत आज से आठ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया गया है। बिनोद कुमार राय के अध्यक्षता और सोनलजी और ग्रामीणों के सहयोग से सभी धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किए जायेंगे। 14 जनवरी से 22 जनवरी तक प्रतिदिन अपरान्ह दो बजे से तीन बजे तक रामायण पाठ और चार बजे से आठ बजे तक राम कथा का वाचन किया जाएगा। 18 जनवरी को कलश शोभा यात्रा निकाली जाएगी। 18 जनवरी से 21 जनवरी तक मंडप पूजन और अधिवास कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। 22 जनवरी को सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े नौ बजे तक भगवान राम और मां जानकी की प्रतिमा के साथ नगर भ्रमण किया जाना निर्धारित है। 22 जनवरी को ही शुभ मुहूर्त में 11.30 बजे से एक बजे के बीच पूरे वैदिक विधि विधान से पाहुन भगवान राम और माता सीता की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। अपरान्ह दो बजे से आठ बजे तक हवन आठ दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान की पूर्णाहुति करते हुए विशाल भंडारा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर परिसर समेत पूरे गांव को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है।
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