नई दिल्ली (अशोक कुमार निर्भय)। आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी की पुलिस चाहे तो रस्सी का सांप बना दे। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दिल्ली के उत्तम नगर इलाके से जहां की थाना पुलिस ने एक व्यक्ति को जबरन आरोपी बनाकर अलग-अलग धाराओं में पुराने एक मामले में जो की धारा 324 के तहत था उसमे अंकुर नाम के व्यक्ति को आरोपी बना दिया। एफआईआर संख्या - 754/22 जो दिनांक 12/12/2022 की थी जिस से अंकुर का कोई लेना देना ही नहीं था। पुलिस की एफआईआर में नाम भी नही था। दिल्ली पुलिस ने 15 दिन बाद अंदरुनी केस डायरी बनाकर फर्जी तरीके से उसमें नाम डाल दिया l इसका कारण केवल इतना ही था कि उसने 29/12/2022 को स्थानीय पुलिस की बात नहीं मानी थी। दरअसल पीड़ित अंकुर को पुलिस कॉस्टेबल ने शिव विहार पुलिस पिकेट पर बुलाया और पैसे की डिमांड की और पिकेट में कानून के विरुद्ध जबरन बिठा लिया l इसकी जानकारी जब परिजनों को लगी तो उन्होंने इसकी सूचना 112 पर पीसीआर काल करके दे दी। जिसकी वजह से पुलिस से उसकी ठन गई थी। उसी दिन उसे जबरन थाने ले जाकर कस्टडी मे रक्खा गया। उसके परिजनों से आधार कार्ड मंगवाया और साइन करवा कर परिजनों से कहा गया कि थोड़ी देर में अंकुर को छोड़ दिया जाएगा। लेकिन उसे छोड़ नहीं गया। अगले दिन एससीएमएम कोर्ट में पेश किया गया जहां उसे जमानत मिली गयी। कुछ दिन बाद अंकुर के पास में कोर्ट से समन आया तब जाकर पता लगा कि उसे फर्जी रूप से पुलिस द्वारा आईपीसी धारा 324 के एक मामले में भी फसाया गया है। क्योंकि पहले जिस मामले में अंकुर का नाम ही नहीं था उस मामले में अंकुर का नाम जबरदस्ती चार्ज शीट दाखिल करने पर डाला गया। इस पूरे मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आशुतोष पांडे ने द्वारका कोर्ट में अंकुर की तरफ से जबरदस्त बहस की और तब जाकर कोर्ट संतुष्ट हुआ और आरोपी अंकुर का नाम उक्त चार्ज शीट से दिनांक 22/12/2023 मेट्रोपोलिटन जज अनिमेष कुमार ने डिस्चार्ज किया। वहीं, माननीय कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई। अब ऐसे में कहीं ना कहीं पुलिस की ऐसी कार्रवाई लगातार सवालों के घेरे में रहती है। जिससे आम लोगों में हमेशा पुलिस का डर व्याप्त रहता है। जिसके कारण वह पुलिस से दूरी बनाए रखना ही बेहतर समझते हैं।
बुधवार, 10 जनवरी 2024
दिल्ली पुलिस ने पुराने मामले में जबरन बनाया आरोपी कोर्ट ने किया बरी
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