22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सनातन के गौरवपूर्ण युग का आगाज है। ये हमारे लिए गर्व और गौरव से भी परे है. ये हमारी आस्था का उत्सव है. 200 करोड़ वर्षों की भारतीय सांस्कृतिक प्रवाह के इतिहास में ये पहला बड़ा दिन होगा, जब हम सबके राम अपने नए गर्भगृह में विराजमान होंगे। अयोध्या में राम मंदिर अटूट आस्था का विषय है. एक ऐसी आस्था, जिसे श्रद्धालु सदियों तक कायम रखते रहे, तब भी जब मंदिर नहीं बना था. ऐसे में बिना किसी भेदभाव आपसी सहमति से काशी विश्वनाथ और मथुरा जन्मभूमि का विवाद खत्म किया जाना चाहिए। अब मुसलमानों को काशी विश्वनाथ और मथुरा जन्मभूमि के विवाद को स्वेच्छापूर्वक खत्म करने के बारे में सोचना चाहिए. यह बाते योग गुरु बाबा रामदेव ने कहीं। बाबा रामदेव राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं. उससे पहले सीनियर रिपोर्टर सुरेश गांधी की खास बातचीत के प्रस्तुत है कुछ अंश :-
रामराज का मतलब कोई राजनीतिक षड्यंत्र नहीं होता है। इसका मतलब सबके जीवन में सुख समृद्धि है। मंदिर निर्माण के साथ-साथ चरित्र का निर्माण हो रहा है। राष्ट्र निर्माण में उस सनातन धर्म का निर्माण हो रहा है। एक अरब 96 करोड़, 8 लाख 124 वर्ष या यूं कहे 200 करोड़ वर्ष के इतिहास में ये पहला सबसे बड़ा दिन होगा होगा। इस दिन सनातन के गौरवपूर्ण युग का नया आगाज होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ’राम भक्त’ और ’राष्ट्र भक्त’ बताते हुए रामदेव ने कहा कि राजनीतिक दलों में मतभेद हो सकते हैं और वे कई अन्य कारणों से एक-दूसरे का विरोध कर सकते हैं, लेकिन राम के मुद्दे पर किसी में भी “भगवान का विरोध करने का साहस“ नहीं है। बाबा रामदेव ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में पुर्नस्थापित श्रीराम मंदिर में रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में वे अकेले नहीं कई धर्मगुरुओं के साथ सम्मिलित होंगे। 500 वर्षों के सतत संघर्ष और असंख्य महात्माओं के बलिदानों के उपरांत यह गौरवशाली दिन विश्व इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा। 25 पीढ़ियों के बलिदान, त्याग और समर्पण के प्रतिफल स्वरूप प्राप्त इस भव्य आयोजन की साक्षी वर्तमान की पीढ़ी बनेगी, जिन्होंने इसके वर्तमान के संघर्ष और विजय को प्रत्यक्ष देखा। उन्होंने कहा कि में अभिभूत हूं, और बेहद गौरांवित महसूस कर रहा हूं कि में भगवान के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का साक्षी बनूंगा। उन्होंने इसे भारत के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस एवं देव दीपावली जैसा बताते हुए कहा कि इस शुभ दिन को हिन्दू समाज द्वारा विशेष उत्सव के रूप में मनाने व प्रत्येक सनातनी के घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, आश्रम, मन्दिर तथा सार्वजनिक स्थलों पर दीपदान करने का मौका है।
एक दुसरे सवाल के जवाब में बाबा रामदेव ने कहा कि जिन पार्टियों को जल्दी मोक्ष चाहिए वो भगवान राम से दूर रहे। हम केवल इतना चाहते हैं कि अयोध्या समेत मथुरा और काशी के मंदिर भी हमें बिना विवाद मिल जाएं। ओवैसी के सवालों का जवाब देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि राम मंदिर अगर अयोध्या में नहीं बनेगा तो क्या मक्का-मदीना या वेटिकन सिटी में बनेगा? वहां पर तो कोई ईसा मसीह और पैगंबर मोहम्मद पैदा नहीं हुए। राम इस राष्ट्र की अस्मिता और हर भारतीय के पूर्वज हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई का मुद्दा नहीं है। राम मंदिर बने और देश के सब लोग सहयोग करें, इसी में वर्तमान और भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने कहा, ’हजारों मंदिर तोड़े गए वहां एक जगह जहां हमारे पूर्वज पैदा हुए, उसे तो छोड़ दो।’ भगवान राम केवल हिंदुओं के नहीं, बल्कि मुसलमानों के भी पूर्वज हैं. राम मंदिर का मुद्दा देश के गौरव से जुड़ा है. इसका वोट बैंक की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. योग गुरु बाबा रामदेव ने राम के विरोधियों पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान राम ने रावण को मोक्ष में पहुंचाया था, ठीक उसी तरह राम का विरोध करने वाली राजनीतिक पार्टियों को भी फल मिलेगा. राम मंदिर का उद्घाटन न कोई राजनीतिक विषय है और न कोई धार्मिक विषय है. हमने अपने योग धर्म, सनातन धर्म और राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि माना है. इसलिए हमने अपनी भूमिका को निभाया है. जब कभी राष्ट्र पर संकट आएगा तो हम अपनी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि ’’हर काल खंड में सनातन को झुठा-ढोंग साबित करने का असफल और कुत्सित प्रयास किया गया है और आज भी कुछ उसी अंदाज में झुठलाने का प्रयास हो रहा है। जहां तक सनातन धर्म का सवालहै तो सनातन को हिन्दू धर्म या वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है. इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप के तौर पर सभी जानते हैं. भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में सनातन धर्म के कई चिह्न मिलते हैं. अब अगर उस उंगली उठाएं जाएं। सनातन को ढोंग कहा जाएं तो एक बड़ तबके का आक्रोशित होना स्वभाविक है। वैसे सनातन धर्म करीब 12 हजार साल पुराना है। कुछ मान्यताओं के मुताबिक 90 हजार साल पुराना भी बताया जाता है. दावा है कि सनातन धर्म के कोई संस्थापक नहीं हैं। सनातन धर्म भारत की विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का मिश्रण है। सनातन धर्म की उत्पत्ति 9057 ईसा पूर्व में स्वायंभुव मनु के साथ हुई थी।
सनातन धर्म के मूल मंत्र सत्य, अहिंसा, त्याग और परोपकार हैं। धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना शुरू किया कि सभी देवता समान हैं और विष्णु, शिव और शक्ति आदि देवी-देवता परस्पर एक दूसरे के भी भक्त हैं। उनकी इन शिक्षाओं से तीनों सम्प्रदायों में मेल हुआ और सनातन धर्म की उत्पत्ति हुई। सनातन धर्म के कई चिह्न भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में मिलते हैं। समाज को समरस बनाने में सनातन धर्म की भूमिका महत्वपूर्ण है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता। सनातन धर्म भी न सिर्फ सत्य और शाश्वत है, बल्कि ईश्वरीय है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, 9057 ईसा पूर्व, स्वायंभुव मनु हुए, 6673 ईसा पूर्व में वैवस्वत मनु हुए, भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व बताया जाता हैं। वर्तमान शोध के अनुसार 12 से 15 हजार वर्ष प्राचीन और ज्ञात रूप से लगभग 24 हजार वर्ष पुराना धर्म हिन्दू धर्म को माना जाता हैं। सबसे प्राचीन धर्मों में हमारा हिन्दू धर्म है। पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल व चीन तक में सिन्धु घाटी सभ्यता एवं हिन्दू धर्म के कई चिह्न एवं प्रमाण मौजूद हैं। हिन्दू धर्म सनातन धर्म है जिसका मतलब होता है सदा बना रहने वाला। सनातन धर्म पर उंगली उठाने का मतलब है मानवता को संकट में डालने का कुत्सित प्रयास करना. सनातन धर्म सूर्य की तरह ऊर्जा देने वाला है। ’’अगर कोई व्यक्ति मूर्खतावश सूर्य की तरफ थूकने का प्रयास कर रहा है तो उसे समझना चाहिए कि सूर्य तक उसका थूक नहीं पहुंचेगा, बल्कि पलटकर थूक उसके सिर पर ही गिरेगा. साथ ही उसकी आने वाली पीढ़ियों को लज्जित होना पड़ेगा. हमें भारत की परंपरा पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए. भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना के लिए हुए था. पांच हजार वर्षों से लगातार भगवान श्रीकृष्ण की आदर्श प्रेरणा भारत समेत पूरी दुनिया के मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर रही है. भगवान श्रीकृष्ण ने शांति काल में सामान्य नागरिकों को कर्म की प्रेरणा प्रदान करने वाला ’कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का मंत्र दिया. वहीं संकट काल में समाज को परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् के मंत्र को आत्मसात करने की प्रेरणा दी. ‘सनातन’ का मतलब ‘शाश्वत’ है, धर्म यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सभी लोग खुशी के लिए प्रयास करें. सनातन धर्म का मूल समाज के सभी वर्गों की भलाई के लिए काम करना है. सनातन धर्म का मूल इस बात में है कि हमारे पड़ोसियों को भी असुविधा नहीं होनी चाहिए. हमारे प्रयास ऐसे होने चाहिए जिससे दूसरे व्यक्ति को भी खुशी मिले.
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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