सिस्टर मरिया पी. ने कहा कि यह महान व्यक्ति हॉस्पिटल के अनुशासन पालन करने वाले है.हॉस्पिटल में मरीजों से मिलने का समय नहीं होने के कारण दरबान ने ठाकुर साहब को अंदर जाने नहीं दिया.वहां पर जाकर बैठ गये.इतना कहकर सिस्टर मारिया पी.चली गयी.तब में कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल की अतीत की घटना के बारे में सोचने लगा.एक बार कांग्रेसी नेता चंदन बागची आकर ओपीडी में चिकित्सक की कुर्सी पर बैठ गये.जब चिकित्सक आकर देखे कि अनजान व्यक्ति चिकित्सक की कुर्सी पर आकर बैठ गये है.चिकित्सक ने आग्रह पूर्वक कहा कि आप चिकित्सक की कुर्सी पर से उठ जाएं.इतना कहना था कि कांग्रेसी नेता भड़क गये.तुझे बता देंगे.कुछ देर में दर्जनों व्यक्तियों के साथ आये और हाॅस्पिटल में दादागिरी करके तोड़फोड़ करके चले गये.उसके बाद अरवल के पूर्व विधायक सरदार कृष्णा सिंह ने भी रंगदारी हाॅस्पीटल में किये थे. कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 - 17 फरवरी 1988) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता था.कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में कुर्मी जाति में हुआ था. जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था. इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा हल चलाने का काम करते थे.भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे. वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे.26 जनवरी, 2024 को उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा, जैसा कि गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले 23 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई थी.
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