हर तीन साल बाद आंखों की जांच करानी चाहिए
इस मौके पर नेत्र चिकित्सक डॉ. मंधानी ने सलाह देते हुए कहा कि अभी भले ही आपकी आंखों की रोशनी अच्छी हो फिर भी आपको हर तीन साल बाद आंखों की जांच करानी चाहिए, क्योंकि कुछ बीमारियों के कोई लक्षण नहीं होते। उम्र बढऩे के साथ-साथ कई शारीरिक बदलाव आते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं दृष्टि में बदलाव आना काफी सामान्य है। हालांकि आंखों की रोशनी की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। एक बार जब आप अपने 60 के दशक को पार कर लेते हैं, तो आप अपनी दृष्टि में बदलाव देखेंगे जो आपके नियमित काम को भी प्रभावित कर सकते हैं। एक बार जब वे अपने चालीसवें वर्ष तक पहुंच जाते हैं, तो अधिकांश लोगों को चश्मे के बिना पढऩे में परेशानी होती है, जिसके लिए साधारण वयस्क पढऩे वाले चश्मे की आवश्यकता होती है। लेकिन, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आप पा सकते हैं कि आपका पढऩे का कौशल खऱाब हो रहा है या आपको दूर की वस्तुओं को समझने में एक साथ परेशानी होने लगती है। अन्य संकेत, जैसे प्रकाश संवेदनशीलता, कम रोशनी में काम करने में चुनौतियां और एक या शायद दोनों आँखों में अस्पष्ट दृष्टि, पहले से ही दिखाई देने लगे होंगे। हालांकि शुरुआत में, आप इनमें से कुछ संकेतों को असुविधाएँ मानकर नजरअंदाज कर सकते हैं, लेकिन उनका एक कारण हो सकता है। वृद्ध लोगों की आँखों की बीमारियां और उम्र बढऩा और इन सभी समस्याओं का इलाज आमतौर पर वरिष्ठ नागरिकों के चश्मे से किया जाता है।
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