सीहोर : पंडित प्रदीप मिश्रा की मां का संदेश, दीपोत्सव की तरह मनाए प्राण-प्रतिष्ठा का पर्व - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 20 जनवरी 2024

सीहोर : पंडित प्रदीप मिश्रा की मां का संदेश, दीपोत्सव की तरह मनाए प्राण-प्रतिष्ठा का पर्व

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सीहोर। शहर के संजय टाकीज के समीपस्थ अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा का निवास अयोध्या की तर्ज पर सजाया गया है। वहीं पंडित श्री मिश्रा की माताश्री श्रीमती सीतादेवी का कहना है कि अयोध्या में होने वाले उत्साह को दीपोत्सव की तरह मनाए और आस्था और उत्साह के साथ पूजा अर्चना की जाए। वैसे भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा अयोध्या के लिए रवाना हो गए है और 22 जनवरी को कुबेरेश्वरधाम में वापसी करेंगे। आगामी 22 जनवरी को अयोध्या की तरह जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा की झलक देखने को मिलेगी। मंदिर में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के निर्देशानुसार कई कार्यक्रम कराए जाएंगे। इसे लेकर तैयारियां की जा रही हैं।


इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि 22 जनवरी सोमवार को सुबह बाबा की विशेष आरती की जाएगी और उसके पश्चात भंडारे के अलावा दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा। गत दिनों भागवत भूषण पंडित मिश्रा ने अपने संदेश में कहा कि अनोखे ढंग से 22 जनवरी के दिन को मनाया जाएगा। ताकि हर व्यक्ति के मन में इस दिन के प्रति जोश और उत्साह बढ़े, इस पर काम किया जा रहा है। भगवान श्री राम हम सब के आदर्श हैं, 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर मनाई गई दीपावली की तर्ज पर 500 वर्षों के लंबे समय के बाद हो रही प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में 22 जनवरी को घर-घर दीपावली मनाई जाए। इसके लिए पंडित मिश्रा ने सभी क्षेत्रवासियों और देशवासियों से कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा का महोत्सव आस्था के साथ मनाए। श्रीराम के महत्व को लोगों को समझाया है। भगवान राम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं, जिसने सनातन धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है। भगवान विष्णु ने राम बनकर असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया। भगवान श्रीराम ने मातृ-पितृ भक्ति के चलते अपने पिता राजा दशरथ के एक आदेश पर 14 वर्ष तक वनवास काटा। नैतिकता, वीरता, कर्तव्यपरायणता के जो उदाहरण भगवान राम ने प्रस्तुत किए, वह बाद में मानव जीवन के लिए मार्गदर्शक बन गए।

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