आलेख : देश की कमाऊ राजधानी बनेगी अयोध्या राम मंदिर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 जनवरी 2024

आलेख : देश की कमाऊ राजधानी बनेगी अयोध्या राम मंदिर

’पूत के पांव पालने में दिख जाते है’, ये मुहावरा मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी अयोध्या पर बिल्कुल सटीक बैठती है। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शनार्थियों की भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है. पहले ही दिन सायंकाल तक तकरीबन साढ़े तीन लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में मत्था टेक चुके है। आलम यह है कि मंदिर प्रबंधन ने सभी गाड़ियों को पंच कोसी परिक्रमा पथ के पास रोकना शुरू कर दिया है. हालत ऐसे हो गए हैं कि फिलहाल दर्शनार्थियों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है. भक्तों को कोई असुविधा न हो, इसके सारे प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद व डीजीपी प्रशांत कुमार पहुंच गए है। मतलब साफ है राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उमड़ रही श्रद्धालुओं का हुजूम चीख-चीख कर बता रही है कि अयोध्या राम मंदिर देश की आर्थिक राजधानी बनेगी। अयोध्या न सिर्फ में धार्मिक पर्यटन, बल्कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जो इस धार्मिक उत्सव से काफी फायदा उठा पाएंगे. इनमें ट्रांसपोर्ट से लेकर पूजा सामग्री के कारोबार तक शामिल हैं। विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफ्रीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल राम मंदिर में लगभग 5 पांच करोड़ से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है. जाहिर तौर पर इससे अयोध्या में केवल टूरिज्म ही नहीं बल्कि कई और सेक्टर भी फायदा उठाने के लिए तैयार हैं। वर्ष 2022 में दो करोड़, 68 लाख, 17 हजार से अधिक देसी और एक हजार 511 विदेशी पर्यटक व श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण के बाद यहां सालाना आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर 5 करोड़ तक पहुंच जाएगी

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भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदिरों के अर्थतंत्र का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में केवल छह बड़े हिंदू मंदिरों में 24000 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया था। 2019 प्रयागराज में कुंभ मेले ने लगभग 1.2 लाख करोड़ की आय उत्पन्न की थी। राम मंदिर इन सभी का रिकार्ड तोड़ेगी। फिरहाल, बिहार के लालू पुत्र तेजस्वी के इस बयान, जिसमें कहा गया है कि राम मंदिर से गरीबी थोड़ी दूर होगी, मंदिर में दवाई नहीं मिलेगी! पर श्रद्धालुओं का उत्साह करारा तमाचा है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद 23 जनवरी की रात 3 बजे से ही दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। रामलला के दर्शन के लिए कई राज्यों से लोग आए हुए हैं। जैसे ही मंदिर के गेट खुले तो लोगों में अंदर जाने के लिए होड़ सी मच गई। दर्शन के लिए उमड़े हुजूम का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोपहर में शयन के लिए बंद किए गए भगवान रामलला के कपाट एक घंटे पहले ही खोल दिए गए। रामलला के शयन के लिए पट दोपहर 12.30 बजे से 2 बजे तक बंद रहने थे, लेकिन भीड़ के चलते 1 बजे ही खोल दिए गए। कहा जा सकता है मंदिर से आर्थिक विकास तो होगा ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन से शहर में प्रति वर्ष कम से कम 5 करोड़ पर्यटकों के आने की संभावना है। उदाहरण के तौर पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य भव्य स्वरूप में आने के बाद 13 दिसंबर, 2021 से छह दिसंबर, 2023 तक 12 करोड़ 92 लाख 24 हजार श्रद्धालु बाबा का दर्शन कर चुके हैं। वर्षांत तक यह संख्या 13 करोड़ तक पहुंच गयी। अयोध्या में सालाना 5 करोड़ पर्यटक आएंगे. यदि प्रत्येक पर्यटक अपने प्रवास के दौरान मामूली 2000 रुपये खर्च करता है तो सालाना 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार पैदा होने की संभावना है.”


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ब्रोकरेज का कहना है कि अयोध्या राम मंदिर बड़ा आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकता है. क्योंकि भारत को एक नया पर्यटन स्थल मिला है, यहां पर हर साल पांच करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि 85,000 करोड़ रुपये में जो मेकओवर किया गया है, उसमें नया हवाई अड्डा, पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन, टाउनशिप, बेहतर सड़क कनेक्टिविटी शामिल हैं. ये सब संभवतः नए होटलों और अन्य फाइनेंशियल एक्टिविटीज के साथ कई गुना प्रभाभाव डालेगा. जेफरीज के मुताबिक, लगभग 70 एकड़ में फैला मुख्य तीर्थ स्थल, लगभग 10 लाख भक्तों की एक साथ मेजबानी करने के लिए तैयार किया गया है. हर दिन यहां पर तीर्थयात्रियों की संख्या 1-1.5 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के टूरिज्म सेक्टर में धार्मिक पर्यटन अभी भी सबसे बड़ा हिस्सा रखता है. देश के कई लोकप्रिय धार्मिक केंद्र मौजूदा बुनियादी ढांचे की बाधाओं के बावजूद करीब 3 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और अब जबकि बेहतर कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एक नए धार्मिक पर्यटन केंद्र अयोध्या का निर्माण किया गया है, जो इस सेक्टर में बूस्टर का काम करेगा. राम मंदिर से होटल, एयरलाइंस, हॉस्पिटैलिटी, एफएमसीजी, ट्रैवल एडवाइजर, सीमेंट समेत कई सेक्टर्स को लाभ पहुंचाएगा. वित्त वर्ष 2033 तक 8 फीसदी से बढ़कर 443 अरब डॉलर होने की उम्मीद है. ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कई निवेशकों ने अपना पैसा लगाना शुरु कर दिया है। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि अयोध्या का नया राम मंदिर ट्रांसपोर्ट यानी परिवहन सेक्टर के लिए भी गेमचेंजर बनने वाला है. इसके अलावा यहां पूजा के सामान का कारोबार काफी तेजी से बढ़ सकता है. इसमें खास तौर पर घी, गुग्गल, कुमकुम, रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, धूपबत्ती, अगरबत्ती, फूल, फल, माला आदि की बिक्री में जबरदस्त तेजी आ सकती है. पूजन सामग्री का कारोबार करने के लिए अयोध्या नगरी में अपार संभावनाएं हैं. जहां पर्यटन सेक्टर को राम मंदिर के उद्घाटन का सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा, वहीं एफएमसीजी सेक्टर भी इससे जबरदस्त लाभ लेने की स्थिति में आ गया है. अयोध्या जैसे टूरिस्ट प्लेस में तमाम तरह की खाने-पीने की वस्तुएं पहुंचाने की जरूरत का फायदा एफएमसीजी सेक्टर को भरपूर मिलेगा. कंस्ट्रक्शन कार्य सीमेंट सेक्टर के लिए बड़ा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट साबित हो सकते हैं. अयोध्या और इसके आस-पास के स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्यों के लिए सीमेंट सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है. लिहाजा सीमेंट सेक्टर के लिए ये कई मौका सालों में एक बार आने वाला मौका बन गया है. इन सबके अलावा हॉस्पिटेलिटी सेक्टर, एयरलाइंस को भी इस क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों का जमकर फायदा मिलने वाला है. अयोध्या में श्रीराम के पावन धाम में कारोबारी जगत के लिए अपार संभावानएं हैं, ये तो जगजाहिर हो ही चुका है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के मुताबिक अयोध्या में रामलला का उनके जन्मस्थान में प्रवेश और मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह भारतवर्ष के पुनर्निर्माण के अभियान की शुरुआत होगी। इससे नए भारत का उदय होगा। यह आधुनिक भारतीय समाज द्वारा श्रीराम के चरित्र के पीछे के जीवन दर्शन की स्वीकृति का भी प्रतीक है।


प्रमुख 15 मंदिरों की सालाना आय 2500 करोड़

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एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के प्रमुख 15 मंदिरों की सालाना आय 2500 करोड़ के आसपास अनुमानित की जाती है। जहां रोजगार भी है, खुशी भी है। ईको फ्रेंडली भी है। देश के कई शहर तो किसी एक मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के बलबूते फलफूल रहें है। इनमें मुस्लिम धर्म की दरगाह वाले शहर भी शामिल है। भव्य मंदिर बनने के बाद अयोध्या में दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ेगी। फूलमाला प्रसाद के साथ नये होटल, सड़के, टैक्सी सहित दैनिक जरूरतों की खपत बढ़ेगी। भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर का प्रबंधन देखने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट 3 अस्पताल ,8 विश्वविद्यालय व कालेज का संचालन करता है। तीर्थयात्रियों के लिए बस सेवायें, भोजन और आवास सहित विभिन्न सेवाएं देता है। श्री वैष्णोमाता श्राइन बोर्ड भी शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक विकास की सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए सुपर स्पैसियाल्टी कैंसर हास्पिटल और टैक्नीकल यूनिवर्सिटी स्थापित की है। श्राइन बोर्ड ‘स्पिरिच्युल ग्रोथ सेंटर, श्री विद्या संस्कृत गुरूकुल केंद्र का निर्माण भी करवा रहा है। आने वाले समय में यह अब अयोध्या में भी संभव होगा। मंदिर का प्रभाव केवल अयोध्या तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि 84 कोस परिक्रमा मार्ग की परिधि में आने वाले इलाके भी इससे लाभान्वति होंगे. केंद्र सरकार इस मार्ग के निर्माण की स्वीकृति दे चुकी है. 84 कोस परिक्रमा मार्ग की परिधि में बस्ती, आंबेडकर नगर, बाराबंकी, गोंडा और अयोध्या स्थल आते हैं. “राम मंदिर और 84 कोस परिक्रमा मार्ग बनते ही अयोध्या और आसपास के क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बदल जाएगी.” जाहिर है कि इससे स्थानीय व्यवसायों को काफी लाभ होगा, छोटे उद्यमियों को आवास, परिवहन, भोजन और विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग से लाभ होगा. छोटे उद्योगों और कृषि के विकास को बढ़ावा देते हुए, अयोध्या के धार्मिक पर्यटन का प्रभाव पड़ोसी गांवों तक फैलने की उम्मीद है.


अयोध्या में निवेशकों का जमावड़ा

इंडिगो से लेकर एयर इंडिया, स्पाइसजेट, आकाशा एयर तक ने अयोध्या के लिए हवाई यात्रा को सुगम बनाने के लिए कमर कसी है। जेफरीज ने होटल सेक्टर से संभावित लाभार्थियों के रूप में इंडियन होटल कंपनी, आईटीसी, जुबिलेंट फूडवर्क्स, ब्रिटानिया इंडस्टज, गोदरेज कंज्यूमर, वेस्टलाइफ फूडवर्ल्ड, हिंदुस्तान यूनिलीवर, देवयानी इंटरनेशनल और सैफायर फूड्स शामिल हैं. उदाहरण के लिए, इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) - जिसके पास ताज होटल्स और विवांता जैसे लोकप्रिय ब्रांड हैं - दो संपत्तियां लेकर आ रही है। आईएचसीएल में कार्यकारी उपाध्यक्ष-रियल एस्टेट और विकास, सुमा वेंकटेश के अनुसार, कंपनी ने विश्वास की छलांग लगाई क्योंकि भगवान राम की पवित्र जन्मस्थली अयोध्या में पूरे वर्ष तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ आकर्षित होने की उम्मीद है। “आईएचसीएल ने अयोध्या में दो नई संपत्तियों के लिए प्रबंधन अनुबंध पर हस्ताक्षर करके अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है - एक 100 कमरों वाला विवांता होटल और 120 कमरों वाला जिंजर होटल, दोनों के 36 महीनों में चालू होने की उम्मीद है।“ पेंटालून, फन अनलिमिटेड, मार्केट 99, डिशुम मल्टीप्लेक्स के साथ डोमिनोज, पिज्जा हट जैसी कंपनियों के आउटलेट खुल चुके हैं. यहां पर लूलू हाइपर मार्केट का निर्माण भी प्रस्तावित है. आर्थकि केंद्र बनने की ओर अग्रसर अयोध्या को फरवरी में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में 33 हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का प्रस्ताव मिला था. राज्य सरकार ने आवास योजनाओं के लिए अयोध्या में केवल 20 करोड़ रुपये का निवेश किया है. आगरा और वाराणसी में 400 करोड़ रुपये, मुरादाबाद और मेरठ में 200 करोड़ रुपये, न्यू कानपुर में 170 करोड़ रुपये और आवास के लिए कुल 3000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.


मझले कारोबारियों की बूम

छोटे व्यापारियों के व्यापार में अयोध्या में तेजी आ रही है. सजावटी पेंडेंट, चूड़ियाँ, लॉकेट, चाबी के छल्ले, मालाएं जैसे हस्तशिल्प की मांग बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में अयोध्या से निर्यात 130 प्रतिशत बढ़कर 254 करोड़ रुपये हो गया. अयोध्या में सार्वजनिक निवेश ज्यादा नहीं है. इसे अधिकतर निजी निवेश पर टिके रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष दिनेश गोयल ने प्रेस को बताया कि उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन समारोह से पहले चल रही तैयारियों के कारण 50,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है. देश भर की व्यावसायिक संस्थाएँ इन अवसरों का लाभ उठा रही हैं. ब्रोकेज के मुताबिक भारत को एक नया पर्यटन स्थल मिला जो प्रति वर्ष 50 मिलियन से अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है. 10 अरब अमेरिकी डॉलर का बदलाव (नए हवाईअड्डे, पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन, टाउनशिप, बेहतर सड़क कनेक्टिविटी इत्यादि) संभवतः नए होटलों और अन्य आर्थिक गतिविधियों के साथ कई गुना प्रभाव डालेंगे. यह पर्यटन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक टेम्पलेट भी सेट कर सकता है.“ मौजूदा ढांचागत बाधाओं के बावजूद कई लोकप्रिय धार्मिक केंद्र सालाना 1-3 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. इसलिए, बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के साथ एक नए धार्मिक पर्यटन केंद्र (अयोध्या) का निर्माण सार्थक रूप से बड़ा आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकता है.


मंदिरों से होता है रोजगार सृजन

मंदिरों के आसपास असंख्य लोग अपना जीवनयापन करते हैं और मंदिरों में भी आधुनिकीकरण एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के माध्यम से न केवल उन सेवाओं के स्तर को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि जीडीपी में भी उनके योगदान में वृद्धि की जा सकती है। इसलिए अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की ही भांति मंदिर अर्थव्यवस्था के बारे में भी चिंतन और विचार करना जरूरी है। 20 लाख से भी अधिक मंदिरों वाले भारत देश में 4 करोड़ लोग पर्यटन और यात्रा के उद्योग से सीधे जुड़े हुए हैं। धार्मिक और मंदिर पर्यटन उसका एक बड़ा हिस्सा हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि धार्मिक एवं तीर्थ पर्यटन की संभावनाओं के अनुरूप इन क्षेत्रों का विकास करते हुए देश के विकास में इनके योगदान को बढ़ाया जाए। इस हेतु मंदिरों का जीर्णोद्धार, सस्ते और महंगे सभी प्रकार के होटलों का निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नागरिक सुविधाओं का विस्तार और इन केन्द्रों में पर्यटन सूचना केन्द्रों की स्थापना और इन तक पहुंचने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों के साथ उनका जुड़ाव आदि कुछ ऐसे कार्य हैं, जिसके द्वारा इन तीर्थ स्थलों एवं मंदिरों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को पुष्ट किया जा सकता है।




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सुरेश गांधी

वरिष्ठ पत्रकार

वाराणसी

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