सीहोर : पांच दिवसीय श्रीराम कथा में बताया भगवान शंकर और राम का प्रसंग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 17 जनवरी 2024

सीहोर : पांच दिवसीय श्रीराम कथा में बताया भगवान शंकर और राम का प्रसंग

  • हर परिवार में ब्रेक का अनुशासन होना चाहिए-जगद गुरु महावीर दास ब्रह्मचारी महाराज

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सीहोर। हर परिवार में ब्रेक का अनुशासन होना चाहिए। जैसे हर वाहन में ब्रेक होता है। वह नियंत्रित तरीके से चलाया जाता है, इसी तरह हर परिवार में, समाज में व देश सरकारों में ब्रेक होते हैं। इन ब्रेक से ही सही तरीके से किसी वाहन जैसे बस, ट्रेन को चलाया जा सकता है। भगवान भोलेनाथ के परिवार का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि भगवान शंकर का परिवार विचित्र है। भगवती का वाहन शेर, बाबा का वाहन नंदी, इसी तरह भोलेनाथ के गले का सर्प कार्तिकेय की सवारी मोर व गणेशजी का वाहन मूषक चूहा है। जो एक साथ एक ही परिवार में रहते हैं, जबकि सभी एक-दूसरे के भोजन है। पर इस परिवार में नियंत्रण करता ब्रेक है। उक्त विचार शहर के चाणक्यपुरी स्थित श्री गोंदन सरकारधाम पर श्री रामलला विराजमान एवं प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में जारी पांच दिवसीय श्रीराम कथा में बुधवार को तीसरे दिन जगद गुरु महावीर दास ब्रह्मचारी महाराज ने कहे। उन्होंने कहा कि यही अनुशासन है, जिसके चलते यह परिवार एक है। अनुशासन है इसलिए सभी अपनी-अपनी जगह अनुशासित है। इस तरह का ब्रेक सभी परिवारों में जरूरी है। श्रीरामचरितमानस शत मार्ग व रास्ता दिखाती है। काम, क्रोध, मद, लोभ सब नाथ नरक के पंथ। जो इन में लिप्त हैं वे जेल में प्रवचन कर रहे हैं। तो भाई राम नाम रूपी टिकट लेकर बैठो, सीधे बैकुंठ पहुंचा देंगे। अंत में वही चौपाई संत द्वारा कही गई मन, क्रम, वचन, छाडि चतुराई। तब प्रभु कृपा करी है रघुराई।। साथ ही रामराज्य जातिवाद, क्षेत्रवाद, प्रांत बाद, भाषावाद से नहीं आएगा और नक्सलवाद से भी नहीं आएगा बल्कि रामराज संत आशीर्वाद से आएगा।


जब-जब धर्म की हानि होती है तो धर्म की रक्षा के लिए भगवान प्रकट होते

श्रीराम कथा के तीसरे दिन जगद गुरु महावीर दास ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है तो धर्म की रक्षा के लिए भगवान प्रकट होते हैं। अपनी लीला से सभी बाधाओं को दूर कर परमानंद प्रदान करते हैं। परमानंद की प्राप्ति के बाद मानव जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। व्यक्ति को जीवन में उन्नति के लिए आशावादी होना चाहिए। आशा की किरण को पूरा करने के लिए ईश्वरवादी होना जरूरी है। कथाओं में जीवन जीने के लिए जरूरी बातों का समावेश है। मानवता की राह पर चलकर व्यक्ति जीवन में अपेक्षित सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकता है। भगवान श्री राम का जीवन चरित्र ही धर्म है। भगवान राम अपने गुरु, पिता, भाई संत, अनुचर, सहचर से कैसे व्यवहार करते हैं। धर्म को समझना हो तो उनके आदर्श को अपना लें तो धर्म का पालन हो जाएगा। क्योंकि धर्म के सारे लक्षण भगवान के चरित्र में समाहित हैं। उन्होंने कहा कि राम कथा के श्रवण मात्र से ही मानव जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य जीवन के सारे दुखों का नाश हो जाता है। उसे हर स्थिति में एक समान रहने की सीख मिलती है। उन्होंने कहा कि राम नाम तो कण-कण में व्याप्त है। मात्र कुछ ही वक्त निकालकर अगर कोई रामकथा सुन ले तो उसका जीवन सफल हो जाता है। आज हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव है। ऐसे में रामकथा उन्हें सच्चाई का अहसास करवाती है। बिना सत्संग के मानव का जीवन अधूरा होता है। जीवन के सारे कष्टों का निवारण सिर्फ राम कथा से ही संभव है। 

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