सीहोर के सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने संस्कृतमय वातावरण बना दिया आशीर्वचन में आपने कहा कि संस्कृत तो जन - जन की भाषा है सिर्फ उसे सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है और यह कार्य संस्कृत भारती द्वारा किया जा रहा है . संस्कृतभारती के प्रयास सफल होगें। सीहोर विधायक सुदेश राय ने अपने अनुभव सुनाते हुए संस्कृत भाषा के महत्व का उल्लेख किया. मुख्य वक्ता संस्कृत भारती प्रांत संगठन मंत्री जागेश्वर पटले ने संस्कृत की महत्ता व संस्कृत भारती के भारत सहित विश्व स्तर पर कार्यों का विवरण से सभी को अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन धर्मेन्द्र शर्मा ने किया व प्रस्तावना संस्कृत भारती प्रांत प्रचार प्रमुख पवन द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर प्रांत अध्यक्ष अशोक भदौरियार, सुदीप प्रजापति, सन्नी महाजन, सह जिला संयोजक सुरेंद्र सिंह यादव, लखनलाल महेश्वरी, जिला प्रचार प्रमुख जितेंद्र राठौर, गोपाल कृष्ण त्यागी, संस्कृति प्रकोष्ठ नरेश मेवाडा, धर्मेंद्र शर्मा, डॉ गोविंद मंसूर प्रदीप नागिया बलराम पवार, गोपाल सिंह ठाकुर, गजराज सिंह ठाकुर, दिनेश शर्मा, कृष्णा गहलोत, अमिता आहूजा, हेमलता सेंगर, सोनम चौधरी, निशा राठौर, मोनाली साहू, आशा मकराई, आशीष शर्मा, विक्रम देव, एवं जिले के सभी संस्कृत शिक्षक सहित संस्कृत अनुरागियों की गरिमामय उपस्थिति रही।
सीहोर, संस्कृतभारती द्वारा आयोजित जिला स्तरीय संस्कृत भाषा के सम्मेलन में सीहोर के सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप जी मिश्रा, राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा, सीहोर विधायक सुदेश राय व नगरपालिका अध्यक्ष विकास प्रिंस राठौर की मुख्य उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ. संस्कृतभारती जिला अध्यक्ष पंडित पृथ्वी बल्लभ दुबे ने पंडित प्रदीप मिश्रा जी का स्वागत शाल श्रीफल से स्वागत किया. वही सभी मुख्य अतिथियों का स्वागत जिला सह मंत्री सुरेन्द्र सिंह यादव, लखनलाल माहेश्वरी , विष्णु प्रसाद परमार , जितेन्द्र सिंह राठौर इस अवसर पर राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की अधिकांश भाषाओं की जननी कही जाती है! हमारा जीवन संस्कृत भाषा से संबंधित होता है अगर हमको अच्छे परिवार का निर्माण, अच्छे समाज का निर्माण, एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण या राम राज्य का निर्माण करना है तो संस्कृत भाषा को साथ में लेकर के ही वह किया जा सकता है! भारत में संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत भारती संगठन बहुत उत्तम कार्य कर रहा है जिसके लिए आप सभी धन्यवाद के पात्र हैं! साथ ही छात्रों को अच्छे संस्कार संस्कृत में लिखे नैतिक वचनों से से भी दिए जा सकते हैं अतः संस्कृत शिक्षकों का यह बड़ा दायित्व है और साथ ही छात्रों के अच्छे व्यक्तित्व के निर्माण में वह अपना उत्कृष्ट योगदान दे सकते हैं इसलिए संस्कृत के शिक्षक भी बहुत-बहुत धन्यवाद के पात्र हैं!
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