पटना : हरित कृषि विकास में पर्यावरण हितैषी तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

पटना : हरित कृषि विकास में पर्यावरण हितैषी तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता

Harit-krishi-vikas
पटना : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 13 फरवरी 2024 को कृषि में उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में एक समेकित प्रयास के रूप में “टिकाऊ कृषि- उत्पादकता और हरित विकास” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम में लगभग 100 हितधारकों ने भाग लिया, जिसमें वैज्ञानिक, विद्यार्थी, किसान तथा निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मी मौजूद थे | संस्थान ने राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी), एवं  बिहार उत्पादकता परिषद, पटना  और उद्योग भागीदार के रूप में इंडिया पोटाश लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से इस संगोष्ठी का आयोजन किया,  जिसमें हरित विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया गया । कार्यक्रम का आयोजन तीन सत्रों में किया गया और विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने प्रक्षेत्र का भी भ्रमण किया।  उद्घाटन सत्र में श्री जे.के. सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, पटना ने पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी एवं हरित विकास और टिकाऊ कृषि की जागरूकता बढ़ाने और जलवायु स्मार्ट हस्तक्षेप, उत्पादकता वृद्धि, हरित विकास और नीतियां बनाने जैसी टिकाऊ तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. राजीव रंजन (सेवानिवृत्त भा.प्र.से.), निदेशक, आईसीआरओ ने कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से अमृत इंटर्नशिप कार्यक्रम जैसी सरकारी पहल के महत्व पर जोर दिया। अपने संबोधन में उन्होंने बदलती जलवायु के संदर्भ में हरित विकास की चुनौतियों के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की और इससे निपटने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए |


Harit-krishi-vikas
डॉ. रामेश्वर सिंह, कुलपति, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना ने अपने संबोधन में प्राकृतिक संसाधनों के महत्व के बारे में बताया और हरित विकास को बढ़ाने के लिए नई शोध पर प्रकाश डाला। उन्होंने मिथेन उत्सर्जन को कम करने की तकनीक के रूप में प्रति किलोग्राम मांस और दूध उत्पादन में पानी के उपयोग को कम करने के साथ-साथ पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने के महत्व पर भी जोर दिया। डॉ. अनुप दास, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने बताया कि कृषि के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं: प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादकता बढ़ाना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना और हरित विकास पर कार्य। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों के बारे में विस्तार से बताया जिसमें नाइट्रोजन और जल उपयोग दक्षता में सुधार और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना जो राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान की प्राथमिकता में  शामिल है। डॉ. दास ने विभिन्न हरित विकास के तकनीकों, जैसे अनुकूलित उर्वरक अनुप्रयोग, कुशल सिंचाई प्रणाली, जैव-उर्वरक और संरक्षण कृषि को बढ़ावा देने के विषय में चर्चा की। डॉ. बिकाश दास, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर ने स्थानीय रूप से उपलब्ध, कम उपयोग वाले फलों और सब्जियों के संरक्षण और उपभोग के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि ऐसा करके, हम हरित विकास में क्रान्ति ला सकते हैं, जिससे फल और सब्जियों को दूसरे जगह से लाना नहीं होगा और परिवहन की आवश्यकता भी कम हो जाएगी। साथ ही उन्होंने मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए बायोमास मल्चिंग और जीरो टिलेज जैसी हरित कृषि पद्धतियों को अपनाने के महत्व पर भी जोर दिया।


डॉ. राज कुमार जाट, बीआईएसए, पूसा ने अपने संबोधन में सतत् हरित विकास पर जोर देने के साथ भारत में जलवायु-अनुकूल कृषि पर केंद्रित पहलों के बारे में जानकारी दी। तकनीकी सत्र का आयोजन डॉ. रामेश्वर सिंह, कुलपति, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें डॉ. बिकाश दास, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर सह-अध्यक्ष के रूप में मौजूद थे | इस सत्र में श्री राजीव कुमार, सहायक महाप्रबंधक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, पटना ने हरित वित्तपोषण योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया। स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, नालंदा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और डीन डॉ. सपना ए. नरूला ने टिकाऊ कृषि व्यवसाय पर चर्चा की। नालंदा विश्वविद्यालय के डॉ. मुनीर अहमद मैग्री ने झारखंड केस स्टडीज के साथ आदिवासी आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की। आर्यभट्ट सेंटर फॉर नैनोसाइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी, पटना के प्रमुख डॉ. राकेश कुमार सिंह ने टिकाऊ कृषि में नैनोटेक्नोलॉजी की भूमिका पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में डॉ. संजीव कुमार, आयोजन सचिव, डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग; डॉ. कमल शर्मा, प्रमुख, पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन प्रभाग; डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक एवं प्रसार प्रभाग; डॉ. वीरेंदर कुमार, उप निदेशक, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद, श्री बी.के .सिन्हा, महासचिव, राज्य उत्पादकता परिषद; डॉ. संतोष कुमार; डॉ. रजनी कुमारी; डॉ. धीरज कुमार सिंह; डॉ. राकेश कुमार, डॉ. अकरम अहमद; डॉ. अनिर्बाण मुखर्जी; डॉ. पी.के. सुंदरम; डॉ. कुमारी शुभा; डॉ. कीर्ति सौरभ; डॉ. मनीषा टम्टा, डॉ. अभिषेक कुमार दूबे; डॉ. सौरभ कुमार; डॉ. सोनका घोष, डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. बांडा साईनाथ, श्री अनिल कुमार, श्री संजय राजपूत, श्री उमेश कुमार मिश्र समेत अन्य कर्मी मौजूद थे |

कोई टिप्पणी नहीं: