नई दिल्ली। राजपाल एंड सन्ज़ के स्टॉल पर सुपरिचित लेखक राजेन्द्र राजन के उपन्यास 'हीरा मंडी' का लोकार्पण हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रामशरण जोशी ने लोकार्पण करते हुए कहा कि हीरा मंडी की भाषा में एक रवानी है। शुरू से आखिर तक इस उपन्यास में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व्यवस्था हमें देखने को मिलती है। इस उपन्यास में स्त्री की मजबूरी, सामंती व्यवस्था, जागीरदार, नवाब का भी वर्णन मिलता है। इसमें सभी विचारधाराओं को भी शामिल किया गया है। कराची से भारत आये लेखक अजमल कमाल ने कहा कि भारत-पाक विभाजन पर पहला उपन्यास यशपाल द्वारा लिखित झूठा सच पढ़ा और उसके बाद हज़ार दास्तां उपन्यास पढ़ा और अब हीरा मंडी उपन्यास पढूंगा जोकि एक ऐसे व्यक्ति ने लिखा है जो कभी लाहौर नहीं गया लेकिन लाहौर के बारे में उन्होंने गहराई से अध्ययन किया है। कवि और अनुवादक रचना भोला यामिनी ने उपन्यास की भाषा को बहुत ही मीठा बताते हुए कहा कि इसमें आज़ादी के समय के लोगों के विचार, फिल्मी उद्योग का इतिहास भी आया है। उन्होंने कहा कि सेक्स को लेकर आज़ादी से पहले और अब हमारी सोच में कोई बदलाव नहीं आया। यह उपन्यास किसी फिल्म या वेब सीरीज के लिए भी महत्वपूर्ण दस्तावेज है। मंच संचालन करते हुए प्रभात रंजन ने कहा कि हीरा मंडी लाहौर पर लिखा गया बेहद खूबसूरत उपन्यास है। लाहौर की पृष्ठभूमि को जानने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है। लेखक राजेन्द्र राजन ने कहा कि यह मेरा चौथा उपन्यास है। मैं कभी लाहौर नही गया लेकिन मैंने यह उपन्यास लाहौर पर लिखा है। जोकि मैंने लाहौर पर लिखी गयी रचनाओं के आधार पर लिखा है। अंत में मीरा जोहरी जी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024
"हीरा मंडी" पुस्तक लोकार्पण व परिचर्चा विश्व पुस्तक मेला में
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