नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड सन्ज़ के स्टॉल पर एकांत श्रीवास्तव की पुस्तक जितनी यह गाथा के लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन हुआ। मंच संचालन करते हुए कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि एकांत श्रीवास्तव चार दशक से हमारे मित्र हैं वह बेहद अच्छे कवि और कहानीकर हैं। इनके इस कहानी संग्रह में स्थानीयता और पंचतत्त्व दिखाई देते हैं। कथा में थोड़ी ज़मीन है, जनसामान्य से जुड़े प्रेम, जीवन का रसायनशास्त्र। रंग आलोचक रवींद्र त्रिपाठी ने कहा कि एकांत श्रीवास्तव की कहानियां छोटी होने के बावजूद बेहद शानदार हैं। इनकी कहानियों में स्थानीयता का बोध होता है। इनकी कहानियों में जो भीतर है वह बाहर आ रहा है तथा जो बाहर है वह भी कहानियों का हिस्सा बन रहा है। इनकी कहानियों में फूलों, रंगों की छटाएं स्वाद आदि का बोध होता है। कथाकार हरियश राय ने कहा कि एकांत श्रीवास्तव अनेक विधाओं में लिखने वाले रचनाकार हैं इसलिए मैं कहता हूँ कि कवियों का लिखा गद्य हमें ज़रूर पढ़ना चाहिए। एकांत श्रीवास्तव का कहानी संग्रह 'जितनी यह गाथा' चौदह रंगों पर केंद्रित कहानियों से बना है। इन कहानियों में सामाजिक यथार्थ को रंगों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। यह सभी कहानियां एक अबोध बच्चे को केंद्र में रख कर लिखी गई हैं। सफेद, पीला, लाल बेहद मार्मिक कहानियां हैं। एकांत श्रीवास्तव ने नई शैली की कहानियां लिखी हैं। लेखक अशोक मिश्र ने परिचर्चा में कहा कि एकांत श्रीवास्तव की कहानियां जीवन से, रंगों से जुड़ी कहानियां हैं। मेरे अनुमान से विगत पच्चीस वर्षों में रंगों पर कोई कहानी संग्रह नहीं आया है। एकान्त श्रीवास्तव ने रचना प्रक्रिया पर कहा कि यह कहानी संग्रह लॉकडाउन में लिखा गया है जब चौदह दिनों में चौदह कहानियां लिखी गई। लेकिन इसके पीछे वर्षों का अनुभव रहा। अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।
बुधवार, 14 फ़रवरी 2024
विश्व पुस्तक मेला में हुआ "जितनी यह गाथा" पुस्तक का लोकार्पण व परिचर्चा।
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