केवल अनाज ही नहीं बल्कि और भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो केवल सड़क नहीं होने के कारण प्रत्यक्ष नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य प्रभावित होते हैं. अभी भी देश के कई ऐसे गांव हैं जहां विकास के लिए सड़कों का होना बहुत ज़रूरी है. इन्हीं में एक राजस्थान के बीकानेर जिला स्थित लूणकरणसर का ढाणी भोपालराम गांव भी है. जहां कच्ची और नाममात्र की सड़क होने के कारण न केवल गांव का विकास प्रभावित हो रहा है बल्कि इससे किशोरियों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. इस संबंध में गांव की एक 21 वर्षीय किशोरी जेठी कहती है कि वह कॉलेज की छात्रा है, लेकिन वह बहुत कम कॉलेज जा पाती है क्योंकि गांव में सड़क ठीक नहीं है, ऐसे में उसके माता-पिता उसे कॉलेज भेजने से डरते हैं क्योंकि सड़क ख़राब होने की वजह से कई बार दुर्घटना हो चुकी है. ऐसे में वह मेरी सलामती के लिए मुझे कॉलेज जाने से रोकते हैं. उनका कहना है कि यदि एक्सीडेंट से मुझे कोई शारीरिक हानि पहुँचती है तो भविष्य में मेरी शादी होने में कठिनाई आ सकती है. जेठी कहती है कि हमने बचपन से गांव में सड़क की ऐसी ही हालत देखी है, जिसकी वजह से कई बार दुर्घटना हो चुकी है. सड़क इतनी कच्ची है कि इस पर बड़ी मुश्किल से गाड़ियां गुज़रती हैं.
इस संबंध में गांव की एक 76 वर्षीय बुज़ुर्ग शिबानी कहती हैं कि गांव में 9 किमी तक सड़क बिलकुल खराब अवस्था में है जिसकी पिछले कई सालों से मरम्मत नहीं हुई है. इससे हम बूढ़ों को बहुत समस्या आती है. हमें कहीं भी आने जाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गाड़ियां इस सड़क से इस तरह गुज़रती हैं कि जैसे हमारी जान ही निकल जाए. कई बार तो कुछ बुज़ुर्ग केवल ख़राब सड़क के कारण अपना इलाज कराने शहर नहीं जा पाते हैं. उन्होंने ने कहा कि यह गांव की मुख्य सड़क है जो गांव को शहर से जोड़ती है लेकिन जब यही सड़क इतनी जर्जर होगी तो भला शहर से इसके जुड़ने का क्या अर्थ रह जाता है? उन्होंने कहा कि इसके कारण गांव में कोई उद्योग भी नहीं खुल पाता है और न ही किसान इसकी वजह से अपनी फसल को शहर ले जा पाते हैं. वहीं एक दुकानदार मुकेश कुमार माली कहते हैं कि इस सड़क के बारे में कई बार पंचायत में भी बात की गई. पंचायत के माध्यम से उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया गया. कुछ महीने पूर्व कुछ अधिकारी भी आये थे और इस जर्जर सड़क की फोटो भी लेकर गए थे, उन्होंने गांव वालों को आश्वासन भी दिया था कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. यह सड़क आज भी पहले की तरह ही जर्जर हालत में बनी हुई है. मुकेश ने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस संबंध में उदासीन हैं. उन्हें गांव वालों की कठिनाइयों से कोई वास्ता नज़र नहीं आता है.
बहरहाल, गांवों के लोगों के लिए सड़क का नहीं होना किसी अभिशाप की तरह है। ऐसा नहीं है कि गांव वाले इसके लिए गंभीर नहीं हैं. लोग सड़क की हालत सुधारने के लिए गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं. धीरे धीरे उनकी उम्मीदें भी टूटने लगी हैं. अब देखना यह है कि उनकी उम्मीदें कब पूरी होंगी? लेकिन एक सवाल उठता है कि क्या सड़कों की ज़रूरत केवल शहर वालों के लिए होती है? क्या गांव वालों के लिए सड़क की अहमियत नहीं है? क्या सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभाग को यह लगता है कि सड़क के बिना भी गांव का विकास संभव हो जाएगा?
अंजू नायक
बीकानेर, राजस्थान
(चरखा फीचर)
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