प्रतियोगी परीक्षाओं का हाल ये हो गया था कि देश में बड़ी से बड़ी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षा में इस बात की कोई गारंटी नहीं ले सकता कि पेपर लीक नहीं होगा। देश में शायद ही कोई राज्य बचा हो, जहां कभी कोई पेपर लीक ना हुआ हो। और ना ही कोई ऐसा प्रतियोगी परीक्षा है जो पेपर लीक माफिया से बचा हो। ऐसा लगता है मानो प्रतियोगी परीक्षाओं और पेपर लीक का चोली-दामन का साथ हो। इस खत्म करने की कोशिशें और वादे तो बार-बार होते रहे लेकिन पेपर लीक रूकने का नाम ही नहीं लेती। क्योंकि हमारे देश में पेपर लीक अब एक संगठित उद्योग का रूप ले चुका है। जिसका कारोबार हजारों करोड़ रुपये का है। लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य धांधली करने वालों की अब खैर नहीं। सरकार इन परीक्षाओं में गड़बड़ी से शक्ति से निपटने के प्रावधान वाला लोक परीक्षा अनुच्छेद साधनों का निवारण विधेयक 2024 बना दिया है। विधेयक में परीक्षाओं में गड़बड़ी के अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की सजा और एक करोड रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। मतलब साफ है अब मुन्नाभाईयों न सिर्फ नकेल कसेगा, बल्कि होनहारों के न ही सपने टूटेंगे, न ही उम्मींद खोएंगे। खास यह है कि पेपर लीक की वजह से परीक्षाएं रद्द कर दोबारा नहीं कराना पड़ेगा। अतिरिक्त खर्च का बोझ भी नहीं उठाना पड़ेगा और छवि खराब के चलते कई तरह की परेशानियों से छुटकारा मिल जायेगाभविष्य की राह देख रहे लाखों युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां किसी सपने से कम नहीं होती. महीनों की मेहनत के बाद मिलने वाला एक अवसर उनकी जिंदगी बदल सकता है. लेकिन क्या हो जब उनकी मेहनत पर पेपर लीक का दाग लग जाए? जबकि प्रतियोगी परीक्षा यानी करियर के प्रवेश द्वार की चाभी होती है। देश में हर नौकरी का पहला चरण प्रतियोगी परीक्षा है. लाखों छात्र परीक्षाओं की तैयारी के लिए छोटी-सी उम्र में अपना घर छोड़ देते हैं. इन परीक्षाओं के लिए परीक्षार्थी अपने कई साल की मेहनत, त्याग, माता-पिता की कमाई और कठिन परिश्रम लगाते हैं. लेकिन बीते कुछ सालों से इन परीक्षाओं को पास करने का सपना देखने वाले मेहनती छात्रों के लिए पेपर लीक एक ऐसा विश्वासघात बन गया है जो पूरे सिस्टम की शुचिता को कटघरे में खड़ा करता है. पेपर लीक एक ऐसी खाईं है जिसमें हमारे सपने, उम्मीदें और उम्र सब डूब जाते हैं. इससे न सिर्फ छात्र बल्कि टीचर्स की मेहनत बर्बाद होती है और उम्मीदें टूटती हैं. कुछ लालची चंद पैसों की खातिर युवाओं में अवश्विस पैदा करते हैं. ये केवल परीक्षा व्यवस्था में खामी नहीं है, बल्कि लाखों युवाओं के सपनों को चकनाचूर करने वाला एक बड़ा मुद्दा बन गया था।
क्या है नए नियम
विधेयक के अनुसार, जांच किसी ऐसे अधिकारी द्वारा की जानी चाहिये जो पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर से नीचे का न हो। केंद्र सरकार के पास जांच को किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की भी शक्ति है। मोटे तौर पर, विधेयक के तहत 20 अपराधों और अनुचित साधनों की पहचान की गई है, जिसमें किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को शॉर्टलिस्ट करने या अंतिम रूप देने के लिए प्रतिरूपण, उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ शामिल है। विधेयक में सार्वजनिक परीक्षाओं पर एक उच्च-स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति की स्थापना की भी परिकल्पना की गई है, जो डिजिटल प्लेटफार्मों को सुरक्षित करने, फुल-प्रूफ आईटी सुरक्षा प्रणाली सुनिश्चित करने, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी लागू करने और बुनियादी ढांचे के लिए राष्ट्रीय मानक तैयार करने के लिए प्रोटोकॉल विकसित करेगी। हालाँकि, विधेयक उम्मीदवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिसमें कहा गया है कि वे इसके प्रावधानों के तहत उत्तरदायी नहीं होंगे, लेकिन मौजूदा प्रशासनिक नियमों के दायरे में रहेंगे।
बिल का उद्देश्य
पेपर लीक विधेयक का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती परीक्षा (आरआरबी), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित एनईईटी, जेईई और सीयूईटी सहित विभिन्न सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी को संबोधित करना है। इस बिल के तहत पेपर लीक मामलों को संबंधित विभाग द्वारा गभीरता से लिया जायेगा और इस पर कड़ी कार्रवाई कर देश में परीक्षाओं से पहले पेपर लीक जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाये जाने का प्रयास किया जायेगा।
बिल में क्या होंगे दायरे
इस बिल में सार्वजनिक परीक्षा के संचालन से संबंधित अनुचित साधनों में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों या संस्थानों के समूह द्वारा किया गया या किसी भी उद्देश्य से किया गया कोई भी कार्य या चूक शामिल होगी, और इसमें मौद्रिक या गलत तरीके से निम्नलिखित में से कोई भी कार्य शामिल होगा, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं होगा।
प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी या उसके किसी भाग का लीक होना;
प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी को लीक करने के लिए दूसरों के साथ मिलीभगत में भाग लेना;
बिना अधिकार के प्रश्नपत्र या ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन रिस्पॉन्स शीट हासिल करना या उसे अपने पास रखना;
किसी सार्वजनिक परीक्षा के दौरान किसी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा एक या अधिक प्रश्नों का समाधान पत्र प्रदान करना;
सार्वजनिक परीक्षा में अनाधिकृत रूप से किसी भी तरीके से उम्मीदवार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना;
ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन रिस्पॉन्स शीट सहित उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ करना;
बिना किसी अधिकार के किसी वास्तविक त्रुटि को सुधारने के अलावा मूल्यांकन में बदलाव करना;
केंद्र सरकार द्वारा स्वयं या अपनी एजेंसी के माध्यम से सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने के लिए स्थापित मानदंडों या मानकों का जानबूझकर उल्लंघन;
किसी सार्वजनिक परीक्षा में उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग या किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक किसी दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ करना;
सार्वजनिक परीक्षा के संचालन में अनुचित साधनों की सुविधा के लिए सुरक्षा उपायों का जानबूझकर उल्लंघन;
कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़;
परीक्षाओं में अनुचित साधन अपनाने की सुविधा के लिए उम्मीदवारों के लिए बैठने की व्यवस्था, तारीखों और पालियों के आवंटन में हेरफेर;
सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण या सेवा प्रदाता या सरकार की किसी अधिकृत एजेंसी से जुड़े व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता को धमकी देना या गलत तरीके से रोकना; या किसी सार्वजनिक परीक्षा के संचालन में बाधा डालना;
धोखा देने या आर्थिक लाभ के लिए फर्जी वेबसाइट बनाना;
नकल करने या आर्थिक लाभ के लिए फर्जी परीक्षा आयोजित करना, फर्जी प्रवेश पत्र या प्रस्ताव पत्र जारी करना।
सुरेश गांधी
वरिष्ठ पत्रकार
वाराणसी
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